फर्जी बीमा गिरोह का भंडाफोड़, अब तक 25 आरोपी गिरफ्तार; दो साल में की 30 करोड़ रुपये की पॉलिसी; ऐसे खुला राज

Sambhal Fake Insurance Racket Busted: संभल पुलिस ने फर्जी बीमा पॉलिसी करने वाले एक गैंग का भंड़ाफोड़ किया। इस गैंग के अब तक 25 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि इतने ही आरोपियों की अभी गिरफ्तारी बाकी हैं। इस गैंग ने महज दो साल के अंदर देशभर में करीब 30 करोड़ रुपये की फर्जी बीमा पॉलिसी की है।

Sambhal Fake Insurance Racket Busted

फर्जी बीमा गैंग

Sambhal Fake Insurance Racket Busted: संभल जिले में 2 कारें चोरी हुईं। पुलिस ने चोरों को पकड़ने के लिए चेकिंग अभियान चलाया। इसी दौरान स्कॉर्पियो में सवार दो युवक पकड़े गए। इन लोगों ने एक बड़े गैंग का भंडाफोड़ किया। यह गैंग बहुत शातिर ढंग से जिंदगी की आखिरी स्टेज वाले लोगों की बीमा पॉलिसी कर करोड़ों रुपये हड़प चुका है।

क्या है पूरा मामला?

इस गैंग से बैंक कर्मी, आधार कार्ड वाले, इंश्योरेंस कंपनी वाले और मोबाइल सिम बेचने वाले भी जुड़े थे। गैंग ने सिर्फ 2 साल के अंदर देशभर में करीब 30 करोड़ रुपये की फर्जी बीमा पॉलिसी की। यह काम पिछले 8 साल से चल रहा था। पुलिस का अनुमान है कि यह फ्राड 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है। इस मामले में अब तक 25 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। करीब इतने ही लोगों की गिरफ्तारी बाकी है। पुलिस की जांच जारी है।

घने कोहरे में भाग निकला ईको ड्राइवर

संभल जिले की एडिशनल पुलिस सुपरिटेंडेंट (ASP) अनुकृति शर्मा ने बताया कि जनवरी महीने में गुन्नौर थाना क्षेत्र से दो ईको गाड़ियां चोरी हुई थीं। इसके बाद सभी थाना पुलिस को सख्त चेकिंग की हिदायत दी गई थी। मैं 15 जनवरी की रात गुन्नौर इलाके में गश्त पर थी। उस रात घना कोहरा था। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैं और ड्राइवर कार का शीशा डाउन करके यह देख रहे थे कि गाड़ी सड़क पर ठीक चल रही है या नहीं।

उन्होंने बताया कि इसी दौरान एक स्कॉर्पियो और ईको गाड़ी ओवरटेक करके तेजी से आगे निकली। मन में ख्याल आया कि ऐसा कौन ड्राइवर है, जो कोहरे में इतना खतरा मोल लेकर तेजी से गाड़ी चला रहा है। हमने भी कोई परवाह न करके अपनी गाड़ी की रफ्तार बढ़ाई और दोनों ड्राइवरों से रुकने को कहा। वे नहीं रुके और साइड से भाग निकले। यहां हमारा शक और बढ़ गया। मैंने तुरंत रजपुरा थानेदार से रोड के बीच ट्रक लगवा दिया। वो स्कॉर्पियो रोकने में कामयाब रहे, जबकि ईको वाला भाग निकला।

नकदी और डेबिट कार्ड बरामद

उन्होंने बताया कि स्कॉर्पियो से हमें साढ़े 11 लाख रुपये कैश और 19 डेबिट कार्ड बरामद हुए। स्कॉर्पियो में बैठे वाराणसी के रहने वाले ओंकारेश्वर मिश्रा और अमरोहा निवासी अमित को गिरफ्तार किया गया। ओंकारेश्वर मिश्रा के मोबाइल में एक लाख से ज्यादा अलग-अलग लोगों के फोटो और हजारों डॉक्यूमेंट्स मिले, जो बीमा पॉलिसी से जुड़े थे।

बीमार व्यक्ति को सिर्फ डॉक्यूमेंट देना है, बाकी काम गैंग करेगा

पुलिस ने जब ओंकारेश्वर मिश्रा से पूछताछ की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आईं। यह गैंग फर्जी बीमा पॉलिसी से जुड़ा था। ओंकारेश्वर ने कबूला कि हम फर्स्ट सॉल्यूशन सर्विस कंपनी (बीमा पॉलिसी का सर्वे करने वाली कंपनी) में बतौर जांच अधिकारी काम करते हैं। हम ज्यादातर ऐसे लोगों को ढूंढते हैं, जो गरीब और अनपढ़ होने के साथ काफी बीमार होते हैं। हमें यह लगता है कि अगले कुछ दिनों में वे लोग मर जाएंगे। हम ऐसे परिवारों के पास जाते हैं। उन्हें बताते हैं कि सरकार की फलां स्कीम में कुछ आर्थिक मदद दिला देंगे। चूंकि वो परिवार बेहद गरीब होते हैं, इसलिए जल्द ही हमारे झांसे में आ जाते हैं। उन परिवारों से हम बीमार व्यक्ति की पूरी डिटेल और डॉक्यूमेंट हासिल कर लेते हैं।

तो ऐसे बनाते थे शिकार

ओंकारेश्वर ने बताया कि सबसे पहले हम आधार कार्ड करेक्शन करने वाले अपने गैंग के मेंबर से उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर और एड्रेस बदलवाते हैं। इसके बाद बैंक में फर्जी ढंग से उसका खाता खुलवाते हैं। अब बैंक के सभी OTP उस नंबर पर आते हैं, जो आधार कार्ड में बदलवाया गया है। इन दोनों चीजों के बाद बीमार व्यक्ति की 10, 20, 30 लाख रुपए तक की बीमा पॉलिसी बनवाते हैं। शुरू के एक-दो महीने उसका प्रीमियम भी खुद भरते हैं। इतने में वो व्यक्ति मर भी जाता है, जिसके नाम पॉलिसी चल रही है।

आरोपी ओंकारेश्वर ने बताया कि हम ग्राम पंचायतों के सचिवों से साठगांठ करके मनमाफिक मृत्यु प्रमाण पत्र (डेथ सर्टिफिकेट) बनवाते हैं। फिर उसके सहारे बीमा पॉलिसी क्लेम कर देते हैं। अगर पॉलिसी होने के एक-दो महीने में किसी की मौत हो जाती है तो निश्चित रूप से उस फाइल पर इन्क्वायरी बैठती है। चूंकि हम खुद इन्वेस्टिगेटर (सर्वेयर) हैं, इसलिए रिपोर्ट ओके लगा देते हैं। फिर कुछ दिनों में पॉलिसी का पूरा पैसा खाते में आ जाता है।

आरोपी ने बताया कि हम जिनके नाम पर पॉलिसी करते हैं, उनके परिवार को पता भी नहीं चलता। मृतक के सारे बैंक डॉक्यूमेंट्स (पासबुक, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर) हमारे पास मौजूद हैं। इसलिए पैसा आने के 24-48 घंटे में ही दो सेल्फ चेक से हम सारा पैसा बैंक से कैश करा लेते हैं। बैंक में भी हमारे मेंबर मौजूद हैं, इसलिए सेल्फ चेक कैश कराने में कोई दिक्कत नहीं होती है।

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अनुराग गुप्ता author

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों में शुमार हैं और यह टाइम्स नाउ नवभारत की वेबसाइट क...और देखें

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