Surajkund Crafts Mela 2023: सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला इतिहास बहुत पुराना, जानिए मेले सी जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें
Surajkund Crafts Mela 2023: भारत के सबसे प्रसिद्ध मेलों मे से एक सूरजकुंड मेला आज से शुरु हो गया है। इस मेले का आयोजन हर साल सूरजकुंड गांव में होता है। इस मेले का इतिहास 1987 में हुआ था। इस मेले में कई देश कला, शिल्प और व्यंजन का प्रदर्शन करते हैं। अगर आप इस मेल में आ रहे हैं तो इसका इतिहास जान लें तो बेहतर होगा।
सूरजकुंड मेले का शुभारंभ करते उप राष्ट्रपति और हरियाणा सीएम
मुख्य बातें
- सूरजकुंड मेले की शुरुआत 1987 से हुआ
- मेले को पहली बार 2013 में अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त
- इस बार सूरजकुंड मेले में 40 देश हिस्सा ले रहे
Surajkund Crafts Mela 2023: भारत के सबसे प्रसिद्ध मेलों मे से एक सूरजकुंड मेला शुरु हो चुका है। यह शिल्प मेला अपनी कला, साहित्य और प्रतिभा को दिखाने के लिए पूरे देश और विश्व में प्रसिद्ध है। इसका आयोजन हर साल फरीदाबाद जिले के सूरजकुंड गांव में होता है। इस मेले का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी शुरूआत भारत सरकार ने 1987 में किया था। इस मेले में भारत के साथ-साथ शार्क के सभी देश भी अपनी कला, शिल्प और व्यंजन का प्रदर्शन करते हैं। अगर आप इस मेल में आ रहे हैं तो इसका इतिहास जान लें तो बेहतर होगा।
बता दें कि फरीदाबाद में हर साल इस मेले का भव्य आयोजन सूरजकुंड गांव में किया जाता है। इस मेले का इंतजार शिल्पकार से कलाकार तक हर साल बहुत बेसब्री से करते हैं। इसका आयोजन हर साल जनवरी से फरवरी के बीच में होता है। इस बार सूरजकुंड मेले का आयोजन 3 फरवरी से 19 फरवरी तक किया जा रहा है। इस मेले को देखने के लिए पूरे भारत से लोग आते हैं। अगर आप भी इस बार सूरजकुंड मेला देखने जा रहें हैं तो आप इस मेले का इतिहास जान लें तो ज्यादा बेहतर होगा। यहां हम आपको इस मेले के इतिहास के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं।
सूरजकुंड मेला 2023 कब से कब तकबता दें कि सूरजकुंड मेले का आयोजन करीब 36 साल से किया जा रहा है। इस मेला का आयोजन साल 1987 में किया गया था। इस बार मेले का 36वां संस्करण है। इस मेल के आयोजन का मुख्य उद्देश्य हस्तशिल्प, हथकरघा और भारतीय कला को इंटरनेशनल लेवल पर बढ़ावा देना है। इस मेले को पहली बार 2013 में अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हुआ। इसी साल केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति, विदेश मंत्रालय का समर्थन मिला। जिसके बाद इस मेले में भारत के शिल्प, संस्कृति एवं व्यंजनों को प्रदर्शन होने लगा। वर्ष 2015 से इस मेले में यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण एशिया के 20 देशों ने भाग लेना शुरू कर दिया। इस बार सूरजकुंड मेले में 40 देश हिस्सा ले रहे हैं। इसमें चीन, रूस, श्रीलंका, नेपाल, जापान, अफगानिस्तान, कांगो, मिश्र, थाईलैंड, मालदीव, लेबनान, ट्यूनिशिया, किर्गिस्तान, वियतनाम, तुर्कमेनिस्तान, मलेशिया और बांगलादेश जैसे देश शामिल हैं।
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