Faridabad: फरीदाबाद में 60% प्रवासी लोग, होली पर दिखती है यूपी-बिहार की इन खास रीति-रिवाज की झलक

Faridabad: औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में हर त्‍योहार पर कई राज्‍यों के रीति-रिवाज की झलक देखने को मिलती है। यहां पर रहने वाले लाखों पूर्वाचलवासी होली को अपने अंदाज में मनाते हैं। इनकी होली में आपको यूपी और बिहार की संस्कृति से रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा। पूर्वाचल के लोगों ने इस बार भी होली खेलने की खास तैयारी की है।

Faridabad Holi

पूर्वाचल की होली होती है खास

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • अबीर-गुलाल से शुरू होती है होली, दोपहर में कपड़ा फाड़
  • होली के दिन आयोजित होते हैं कई सांस्‍कृति कार्यक्रम
  • होली के दिन महिला और पुरुष के परिधन भी होते हैं खास

Faridabad: औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में हर त्‍योहार को बेहद खास तरीके से मनाया जाता है। यहां पर होली पर्व भी बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। फरीदाबाद में कई राज्‍यों के लाखों प्रवासी रहते हैं। इसकी झलक यहां के त्‍योहारों में भी देखने को मिलता है। इसलिए फरीदाबाद की होली बहुत ही अतरंगी मानी जाती है। यहां पर रहने वाले करीब 60 फीसदी पूर्वांचलवासी होली मनाने की तैयारी जोर-शोर से करने में जुटे हैं। इनकी होली खेलने का अंदाज देखकर आपको यूपी और बिहार की संस्कृति से रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा। जिस तरह से पूर्वांचल में होलिका पूजन और कपड़ा फाड़ होली खेला जाता है, वह फरीदाबाद के ग्रीनफील्ड, एनआईटी, ओल्‍ड फरीदाबाद, सूर्या विहार, पल्ला, दयालबाग, डबुआ और बहादुरगढ़ आदि इलाकों में देखने को मिलता है।

पूर्वांचल में होलिका दहन के बाद से फाग शुरू हो जाता है। लोग एक दूसरे के साथ कपड़ा फाड़ होली खेलने के साथ देवर भाभी के बीच भी अनोखी होली खेलते हैं। होली पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और लोग एकत्रित होकर फाग गाते हैं। इस दौरान पूर्वाचल के लोग संस्कृति व सभ्यता का परिचय लघु नाटकों के माध्यम से दिया जाता है। फरीदाबाद में पूर्वांचल मंच और बिहार प्रोत्साहन मंच की तरफ से इस दिन भव्‍य होली मिलन समारोह व कई अन्‍य सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इसमें यूपी व बिहार की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इस बार इन समारोहों में होली गीत और नृत्‍य प्रस्‍तुत करने के लिए बिहार से कलाकारों को बुलाया गया है।

बसंत पंचमी के साथ होती है होली की शुरुआत पूर्वांचल मंच के प्रवक्‍ता राघव सिन्‍हा ने बताया कि पूर्वांचल में बसंत पंचमी के साथ ही होली की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन गली मुहल्ले में चौराहे पर लकड़ियों को एकत्रित कर होलिका तैयार की जाती है। होलिका दहन के दिन इसमें मेवा, पिड़कियां चढ़ाकर परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इस दौरान दहन स्थल पर म्यूजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। पूर्वाचल के लोगों का होली खेलने का पहनावा भी खास होता है। होली पर ज्‍यादातर पुरुष मलमल का कुर्ता और वाइट टोपी पहनते हैं, वहीं महिलाएं लाल या पीले रंग की साड़ी पहनती है। पूर्वाचल के लोग सुबह गुलाल और अबीर से होली खेलने की शुरुआत करते हैं और दोपहर होते-होते यह कपड़ा फाड़ होली में बदल जाता है। शाम को सभी सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

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