फरीदाबाद का नाम कैसे पड़ा, पांडवों और मुगलों से क्या है इसका संबंध

दिल्ली से सटा फरीदाबाद आज लाखों लोगों को रोजगार और रहने की सुविधा देता है। यहां पर तमाम तरह की आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि NCR के इस प्रमुख शहर को उसका नाम कैसे मिला? कब और किसने इस शहर को बसाया और पांडवों व मुगलों से इसका इतिहास कैसे जुड़ा है।

फरीदाबाद का इतिहास और कैसे पड़ा ये नाम

दिल्ली से सटे हरियाणा के शहर फरीदाबाद (Faridabad) को राज्य में इंडस्ट्रियल सिटी का दर्जा हासिल है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां बड़ी मात्रा में औद्योगिक इकाईयां हैं और यह शहर राज्य की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है। राजधानी दिल्ली के पास होने की वजह से यहां पर सुविधाएं भी अच्छी हैं। दिल्ली में काम करने वाले लाखों लोगों के लिए फरीदाबाद उनका घर है। यही नहीं दिल्ली, नोएडा आदि इलाकों से लाखों लोग यहां रोजगार के लिए आते हैं। आज फरीदाबाद एक आधुनिक शहर है, लेकिन इसका संबंध महाभारत काल में पांडवों और मध्यकाल में मुगलों से भी जुड़ा है। चलिए जानते हैं फरीदाबाद के बारे में सब कुछ -

यमुना और अरावली के बीच शहर

फरीदाबाद शहर यमुना नदी के मैदानी इलाके में बसा है, जो पश्चिमी और दक्षिणी छोर से अरावली की पहाड़ियों से घिरा है। आज फरीदाबाद बड़ा कॉमर्शियल हब है। तमाम तरह की इंडस्ट्री यहां मौजूद है। सिर्फ इंडस्ट्री ही नहीं, यहां पर पर्यटन के लिहाज से भी काफी खूबसूरत जगहे हैं। इनमें बड़कल लेक, बाबा फरीद का मकबरा, राजा नाहर सिंह पैलेस शामिल हैं। इसके अलावा हर साल फरवरी में यहां सूरज कुंड झील के पास सूरज कुंड मेला भी लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इस मेले में अलग-अलग राज्यों के कला और शिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी लगती है।

पांडवों से कैसे जुड़ा फरीदाबाद का इतिहास

फरीदाबाद आज भले ही आधुनिक शहर है और यहां पर तमाम आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन महाभारत काल में यहां पर सिर्फ एक बड़ा सा गांव था। इस गांव का नाम तिलप्रस्थ था। आज भी भी तिलप्रस्थ का अपभ्रंश तिलपत गांव यहां मौजूद है। तिलप्रस्थ उन पांच गांवों में से एक था, जिसे पांडवों ने कुरुक्षेत्र का युद्ध टालने के बदले दुर्योधन से मांगा था। लेकिन दुर्योधन के पांच गांव देने से इनकार करने के बाद कुरुक्षेत्र का युद्ध हुआ और कौरवों का अंत हो गया था।

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