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अब घाटे का सौदा नहीं रहा सूरजकुंड मेला, इस साल सरकार की छप्परफाड़ कमाई हुई

पिछले कई वर्षों की तरह इस साल भी फरीदाबाद में सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का आयोजन हुआ। लेकिन इस साल के सूरजकुंड मेले ने इसके आयोजकों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ा दी है। हो भी क्यों नहीं, इस साल मेले से सरकार को 9 करोड़ से अधिक की कमाई हुई, जो एतिहासिक है।

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सूरजकुंड मेला 2025

इस साल दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सूरजकुंज में 38वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला (Surajkund International Crafts Mela) का आयोजन हुआ। पिछले महीने ही यह मेला बड़ी सफलता के साथ समाप्त हुआ। 38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेले में सिर्फ सांस्कृतिक विरासत की झलक ही नहीं दिखी, बल्कि इससे हरियाणा को अभूतपूर्व वित्तीय लाभ भी मिला। विछले साल आयोजित हुए 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेले में राज्य सरकार को 1 करोड़ का नुकसान हुआ था, जबकि राज्य ने इस साल 9 करोड़ से अधिक का एतिहासिक लाभ दर्ज किया।

कॉर्पोरेट और इंस्टीट्यूशनल पार्टनरशिप की तरफ ज्यादा स्ट्रक्चर्ड अप्रोच के चलते इस साल मेले को स्पॉन्सरशिप और ग्रांट यानी अनुदान से ही 24.5 करोड़ रुपये की कमाई हुई, जबकि पिछले साल यह सिर्फ 19.23 करोड़ थी। इस साल मेले के आयोजन में खर्चों को युक्तिसंगत बनाया गया और कुल खर्च को 17 करोड़ रुपये तक सीमित किया गया। जबकि साल 2024 में आयोजित हुए सूरजकुंड मेले में 21 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए थे।

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सूरजकुंड मेला 2025 की झलकियां

तस्वीर साभार : Times Now Digital

यहां हुई बड़ी बचत

हरियाणा टूरिज्म कॉर्पोरेशन (HTC) ने सूरजकुंड मेला से जुड़े डाटा को साझा किया है। साल 2024 और 2025 की वित्तीय तुलना करें तो फर्क साफ नजर आता है। इसमें पता चलता है कि साल 2024 में HTC की संपत्तियों में आवास और भोजन पर कुल 9 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जबकि 2025 में सिर्फ 5 करोड़ खर्च हुए। इस तरह से हरियाणा टूरिज्म ने 4 करोड़ रुपये की बचत की। सांस्कृतिक खर्च में भी कटौती की गई और 2024 के 1.25 करोड़ के मुकाबले सिर्फ 64 लाख रुपये खर्च किए और इस तरह से 61 लाख रुपये यहां भी बचाए गए।

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