पांडवों के समय से है फरीदाबाद के इस गांव का ऐतिहासिक महत्व, संत सूरदास ने किया था उद्धार

तिलपत गांव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने दुर्योधन से जो पांच गांव मांगे थे, उनमें एक तिलपत गांव भी था। इसलिए इस गांव में पांडवों की भी पूजा की जाती है। वहीं, इस गांव में भगवान कृष्ण के भक्त संत बाबा सूरदास भी सन् 1930 में तिलपल गांव आए थे।

FARIDABAD VILLAGE
मुख्य बातें
1.पांडवों को दिए गए पांच गांव में तिलपल गांव भी शामिल।
2.इस गांव में भगवान कृष्ण के भक्त संत बाबा सूरदास आए थे।
3.1666 को जाटों व औरंगजेब की सेना के बीच हुआ भीषण युद्ध

Faridabad: दिल्ली से सटा फरीदाबाद औद्योगिक नगरी होने के साथ ऐतिहासिक नगरी भी है। इतिहास भी ऐसा जो सदियों नहीं बल्कि युगों पुराना है। यह धरती महाभारत काल में पांडवों से जुड़ी रह चुकी है। साथ ही भारत की आजादी में भी यह धरती कई शूरवीरों के आगमन के साक्ष्य रह चुकी है। इस जिले में करीब 50 गांव है, लेकिन यमुना नदी के किनारे बसे ‘तिलपल’ गांव का ऐतिहासिक महत्व है।

तिलपत गांव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने दुर्योधन से जो पांच गांव मांगे थे, उनमें एक तिलपत गांव भी था। इसलिए इस गांव में पांडवों की भी पूजा की जाती है। वहीं, इस गांव में भगवान कृष्ण के भक्त संत बाबा सूरदास तिलपल गांव आए थे। उस समय गांव के पुरुषों की जल्दी मौत हो जाती थी। बाबा सूरदास ने जवान विधवा महिलाओं को देख कर गांव के लोगों को ‘श्री राधा वल्लभ, श्री हरि वंश, श्री वृदांवन श्री मनचंद’ मंत्र का बार बार स्मरण करने को कहा। जिसके बाद यह गांव सुखी व संपन्न हो गया। इस गांव में आज भी हर घर इस मंत्र का जाप किया जाता है। संत सूरदास ने जब प्राण छोड़े तो अंतिम संस्कार के बाद लोग उनकी राख गांव में ले आए और यहां पर समाधि स्थल बनाई। जहां पर अब भी हर मंगलवार को मेला लगता है।

जाटों व औरंगजेब के बीच युद्ध का तिलपत गवाह

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