क्या आप जानते हैं भारत की पहली पैसेंजर ट्रेन किन दो शहरों के बीच चली थी? मुंबई से ठाणे सही जवाब नहीं है

भारत में 1853 में पहली बार ट्रेन चली। यह ट्रेन बॉम्बे और ठाणे के बीच चली थी। लेकिन यह देश की पहली पैसेंजर ट्रेन नहीं थी। क्या आप जानते हैं भारत में पहली बार किन दो शहरों के बीच पैसेंजर ट्रेन चली थी और यह किस सन में चली थी। नहीं जानते तो यहां जानें -

भारत की सबसे पुरानी पैसेंजर ट्रेन

भारत जैसे बड़े देश में रेल आवाजाही का प्रमुख साधन है। साल 2023 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक लाख किमी से ज्यादा लंबे रेलवे ट्रैक हैं। भारतीय रेलवे हर रोज 23 मिलियन यानी 2 करोड़ 30 लाख से ज्यादा सवारियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती है। भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारतीय पैसेंजर ट्रेनों की स्पीड 80 से 200 किमी प्रति घंटे के बीच होती है, लेकिन किसी ट्रेन की अब तक सबसे ज्यादा स्पीड 160 किमी प्रति घंटे रही है। भारत में ट्रेन का इतिहास बहुत पुराना है। यहां साल 1853 में पहली बार ट्रेन चली थी। पहली ट्रेन आज के मुंबई और ठाणे (बॉम्बे और ठाणे) के बीच चली थी। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि देश में पहली पैसेंजर ट्रेन कब चली थी। नहीं जानते तो कोई बात नहीं, हम बता देते हैं -

कब चली पहली ट्रेन

भारत में बॉम्बे और ठाणे के बीच पहली ट्रेन ने 21 मील (33.79 किमी) की दूरी तय की थी। बता दें कि यह भारतीय उपमहाद्वीप में ट्रेन की पहली यात्रा था। भारत में ट्रेन चलाने का आइडिया पहली बार बॉम्बे सरकार में अंग्रेज चीफ इंजीनियर मिस्टर जॉर्ज क्लार्क को 1843 में आया, जब उन्होंने भांडूप का दौरा किया था। देश में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को चली। इसका बकायदा विधवत उद्घाटन हुआ। इस पहले सफर में 400 मेहमान शामिल हुए। इस ट्रेन को 21 तोपों की सलामी भी दी गई थी।

पहली पैसेंजर ट्रेन

साल 1953 में भारत में पहली ट्रेन चल चुकी थी। लेकिन अब भी आम यात्रियों के लिए ट्रेन का सफर सपना ही था। फिर वह दिन भी आया, जब देश में पहली पैसेंजर ट्रेन चली। 15 अगस्त 1854 को देश में पहली पैसेंजर ट्रेन चली। इस पहली पैसेंजर ट्रेन ने हावड़ा स्टेशन से हूगली तक कुल 24 मील (38.62 किमी) का सफर तय किया। इस तरह से ईस्ट इंडियन रेलवे का पहला चरण आम जनता के लिए शुरू किया गया। इसके साथ ही भारत में रेलवे का सफर शुरू हो गया।

दक्षिण भारत की पहली ट्रेन

दक्षिण भारत में पहली रेलवे लाइन 1 जुलाई 1856 को शुरू हुई, जिसे मद्रास रेलवे कंपनी ने बनाया था। यह ट्रेन व्यासरपाड़ी जीवा निलयम (वेयासरपैंडी) और वलाजहा रोड (अरकोट) के बीच 63 मील (101.39 किमी) की दूरी में चलाई गई। इसके बाद 3 मार्च 1859 में उत्तर भारत में रेल की शुरुआत हुई। 1959 में इलाहाबाद और कानपुर के बीच 119 मील (191.51 किमी) लंबी लाइन बिछाई गई। हाथरस रोड से मथुरा कैंट के बीच 19 अक्टूबर 1875 को इसका पहला चरण चालू हुआ।
इस तरह से भारत के अलग-अलग कोनों ने रेलवे की शुरुआत हुई। रेलवे की इन छोटी-छोटी उपलब्धियों से इसके पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोने की रूप-रेखा तैयार हुई। 1880 में भारत में 9000 किमी का रेल रूट था। आज 1 लाख किमी से ज्यादा लंबी रेल लाइन के साथ भारतीय रेलवे दुनिया में चौथी सबसे बड़ी और एक ही मैनेजमेंट से मैनेज होने वाली दूसरी सबसे बड़ी इकाई है।
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