Lansdowne की हवा खराब कर रहा वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट, खुले में कूड़े पर लगाई जा रही आग

सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण सांसों पर पहरा लग गया है। प्रदूषण से बचने के लिए लोग हिल स्टेशनों की तरफ रुख करते हैं, लेकिन वहां भी अगर प्रदूषण मिले तो क्या? लैंसडाउन में वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट के अंदर ही खुले में कूड़ा जलाते हुए हमने स्वयं देखा है।

खुले में जलाया जा रहा कूड़ा

दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण से बचने का कोई उपाय सरकारों के पास भी नहीं है। ऐसे में हर कोई यही सोचता है कि कुछ दिन पहाड़ों की तरफ निकल जाएं और वहां के प्राकृतिक वातावरण में स्वच्छ हवा में सांस लें। हो भी क्यों नहीं, दिल्ली-एनसीआर से सिर्फ 4-8 घंटे की दूरी पर तमाम हिल स्टेशन मौजूद हैं। इसमें अल्मोड़ा, रानीखेत, नैनीताल, लैंसडाउन, चकराता, मसूरी, शिमला, मनाली सहित कई पहाड़ी शहर हैं। लेकिन वहां जाकर भी आपका सामना प्रदूषण से हो तो आप स्वयं को ठगा हुआ सा महसूस करेंगे। हजारों रुपये खर्च करके आप इन जगहों पर प्रदूषण मुक्त हवा में सांस लेने जाते हैं, लेकिन वहां भी प्रदूषण से सामना होना बहुत ही दुखद है। ऐसा ही हमें देखने को मिला, हमारी हाल ही के लैंसडाउन दौरे पर।

19वीं सदी में अंग्रेजों के समय बसा लैंसडाउन, शुरुआत से ही एक कैंट एरिया है। यानी शहर को कैंट बोर्ड ही मैनेज करता है। लैंसडाउन कैंटोनमेंट बोर्ड ही शहर की साफ-सफाई से लेकर सड़क और हर चीज के लिए जिम्मेदार है। कैंट बोर्ड ने शहर को बहुत ही खूबसूरती से मैनेज भी किया हुआ है। शहर में गंदगी देखने को नहीं मिलती है। शहर के अंदर की सड़कें भी अच्छी हैं और पर्यटकों के लिए सुविधाएं भी अच्छी हैं। लेकिन...

लेकिन... प्रदूषण

लैंसडाउन बांज, देवदार और चीड़ के पेड़ों के बीच बसा पहाड़ी शहर है। यहां कैंट बोर्ड साफ-सफाई का अच्छा ध्यान रखता है। यहां के लोग भी शहर को साफ-सुथरा रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। शहर से गंदगी उठाकर एक जगह इकट्ठा की जाती है। जिस प्रदूषण से बचने के लिए आप लैंसडाउन आते हैं, वह प्रदूषण आपको यहां भी परेशान करता है। क्योंकि यहां शहर से इकट्ठा किए गए कचरे को आग लगा दी जाती है।

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