भीम की पत्नी हिडिम्बा और पुत्र घटोत्कच का मंदिर है इस शहर में, मुख्यमंत्री भी कर चुके हैं पूजा
महाभारत और भीम के बारे में तो आप सब जानते ही हैं। भीम ने अकेले ही सभी 100 कौरवों को मारा था। उन्हीं भीम के एक पुत्र थे घटोत्कच, जिन्होंने कर्ण को पराजित करने में अहम भूमिका निभाई थी। घटोत्कच और उनकी मां हिडिम्बा का मंदिर भी है, आपने देखा क्या?
ये है घटोत्कच का मंदिर
महाभारत के बारे में तो आप जानते ही होंगे। कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरवों और पांडवों के बीच 18 दिन तक युद्ध हुआ। इसी कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया। बड़े-बड़े महारथी दोनों तरफ से मैदान में उतरे और ज्यादातर एक-एक करके वीरगति को प्राप्त हुए। पांडवों में कुंती के दूसरे नंबर के पुत्र भीम और उनकी शक्ति के बारे में भी आप जानते ही हैं। भीम महाबलि थे। द्रौपदी के अलावा उनकी एक अन्य पत्नी थी, जिनका नाम हिडिम्बा था। भीम और हिडिम्बा का एक पुत्र भी था, जिसका नाम घटोत्कच था। घटोत्कच ने महाभारत के युद्ध में भी भाग लिया और कर्ण को उन पर Amogh Shakti Astra का इस्तेमाल करना पड़ा. इस तरह घटोत्कच ने कर्ण के वध में एक अहम भूमिका निभाई। इसी घटोत्कच और उसकी मां हिडिम्बा का उत्तराखंड के चंपावत जिले में मंदिर है और उनकी पूजा होती है। स्वयं मुख्यमंत्री भी उनके मंदिर जाकर पूजा कर चुके हैं। चलिए जानते हैं इन दोनों मंदिरों और चंपावत शहर के बारे में -
कहां है घटोत्कच का मंदिर
हिडिम्बा और घटोत्कच के मंदिर जिला मुख्यालय चंपावत के पास ही हैं। यह मंदिर चंपावत शहर से करीब 2 किमी दूर मल्ली चौकी के पास चंपावत-तमली रोड पर देवदार के लंबे-लंबे पेड़ों के बीच हैं। सड़क से करीब 100 मीटर चलकर आप घटोत्कच के मंदिर पहुंच सकते हैं। घटोत्कच के मंदिर को घटकू मंदिर और घटकू देवता का मंदिर भी कहा जाता है। यहां मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों को देखने में आपको लगभग एक घंटे का समय लगेगा। अच्छी बात यह है कि यहां एंट्री बिल्कुल फ्री है।मुख्यमंत्री भी पहुंचे घटकू मंदिर
घटकू मंदिर में स्थानीय लोगों की बड़ी आस्था है। घटोत्कच के मंदिर से कुछ ही दूरी पर हिडिम्बा का मंदिर भी है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी स्वयं अक्टूबर 2022 में चुनाव जीतने के बाद घाटकू मंदिर में पूजा-अर्चना कर चुके हैं। घटकू मंदिर के आसपास ही कई अन्य देवताओं के मंदिर भी हैं, जिनमें हनुमान, दुर्गा मां और माता लक्ष्मी शामिल हैं।किसने बनवाया घटकू मंदिर
कहा जाता है कि घटकू मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में चंद वंश के राजाओं ने बनवाया था। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। विशेषतौर पर उत्तराखंड में कुमाऊं क्षेत्र के लोगों की घटकू मंदिर में बड़ी आस्था है। कहा जाता है कि घटोत्कच का सिर यहीं आकर गिरा था। यहां एक नौला यानी कुंड है, पूजा के दौरान जब पुजारी इस कुंड में हाथ डालते हैं तो कहा जाता है कि घटोत्कच के बाल महसूस होते हैं। कहते तो यह भी हैं कि इस कुंड में कितना भी पानी डाल लो, यह भरता नहीं है। लेकिन जब बारिश होने वाली होती है, इसमें अपने आप पानी ऊपर तक आ जाता है।मान्यता के अनुसार इसी कुंड में है घटोत्कच का सिर
कब जाएं चंपावत
चंपावत घूमने आना चाहते हैं या घटोत्कच का मंदिर देखना चाहते हैं तो यहां सर्दियों में न आएं। यहां आने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर है। गर्मियों में यहां का तापमान 12 से 18 डिग्री सेल्सियस तक रहताहै।कैसे पहुंचें चंपावत
चंपावत के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंत नगर एयरपोर्ट है, जो यहां से करीब 160 किमी दूर है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन यहां से करीब 75 किमी दूर टनकपुर है। इन दोनों ही जगहों से चंपावत के लिए अच्छी परिवहन व्यवस्था है। राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) 9 पर मौजूद चंपावत तक राज्य परिवहन की बसों के अलावा आपको टैक्सी भी मिल जाएगी।चंपावत में और क्या देखें
चंपावत पहाड़ों के बीच बसा एक बहुत ही खूबसूरत कस्बा है। चंपावत एक कटोरी की घाटी में बसा है। यहां पर चंपावत किला भी है, जिसे नागरा शैली में बनाया गया है। पत्थरों को तराशकर बनाया गया यह किला अद्भुत आर्किटेक्चर है। यहां पास में ही न्याय के देवता गोलज्यू का मंदिर भी है। यहां घटोत्कच मंदिर से करीब 2किमी की दूरी पर लोहावती नदी बहती है। नदी और उसके आसपास की खूबसूरती देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। घटोत्कच मंदिर से करीब 4 किमी दूर गुरुद्वारा रीठा साहिब भी है, जहां का मीठा रीठा का प्रसाद मशहूर है।यहां स्वामी विवेकानंद का मायावती आश्रम भी 5 किमी के दायरे में मौजूद है। मायावती आश्रम से हिमालय की बर्फ से लकदक चोटियों का बहुत ही शानदार नजारा देखने को मिलता है। यहीं पास में चमू देव का मंदिर भी, चमू देव शिव का ही एक रूप हैं और यहां जाकर आप भोले बाबा का आशीर्वाद ले सकते हैं। घटोत्कच मंदिर से करीब 7 किमी की दूरी पर नागनाथ का मंदिर भी है। यह भी भगवान शिव का एक पुराना मंदिर है। अगर आप इस इलाके में और घूमना चाहें तो मा बरही देवी का मंदिर यहां पास में ही है। बालेश्वर मंदिर, लोहाघाट, पंचेश्वर महादेव मंदिर और हैनिरी वाटरफॉल भी देख सकते हैं।
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Digpal Singh author
खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्...और देखें
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