मुसीबत या राहत! 145 KM सड़क तोड़कर किया जा रहा ये काम, 4 लाख लोगों का होगा बुरा हाल

गाजियाबाद के मोहन नगर जोन में 145 किलोमीटर सड़क तोड़कर सीवर लाइन बिछाने का काम किया जा रहा है। सड़क टूटने से करीब 4 लाख लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

Ghaziabad Devlopment News,  Sewer line in Mohan Nagar zone

गाजियाबाद खबर

गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में विकास कार्यों को गति दी जा रही है। खासकर, सडकों के निर्माण के साथ शहर के लोगों को बेहतर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर दिया जा रहा है। अब गाजियाबाद के मोहन नगर जोन में सीवर लाइन बिछाने में 145 किलोमीटर सड़क तोड़ने का काम जारी है। इससे जहां एक तरफ लोगों को सीवर लाइन का फायदा मिलेगा तो वहीं, दूसरी ओर सड़क टूटने से राहगीरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। करीब 330 करोड़ रुपये की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लान (एसटीपी) से 68 हजार घरों को जोड़ने वाली पाइप लाइन बिछाने का काम अर्थला से शुरू किया गया है। इसके पूरा होने से शहर के लोगों को बड़ी सहूलियत होगी।

145 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन

दरअसल, अभी मोहन नगर जोन में घरों से निकलने वाला पानी हरनंदी नदी में गिरता है। इस कारण हरनंदी भी प्रदूषित होती जा रही है। फिलहाल, यहां सीवर लाइन नहीं है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए जल निगम की ओर से सीवर लाइन और एसटीपी के लिए 330 करोड़ रुपये की परियोजना पर काम शुरू किया गया है। जानकारी के मुताबिक, 145 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन बिछाने का काम अर्थला से शुरू किया गया है। अर्थला की सड़कों पर बुलडोजर से खोदाई कर पाइपलाइन बिछाई जा रही है। फिलहाल, लाइन बिछाने के बाद गड्ढे में मिट्टी भरकर छोड़ा जा रहा है। अभी सड़कों का पुनर्निर्माण नहीं किया जा रहा है।

चार लाख लोग प्रभावित

गौर करें तो इनमें से कुछ सड़कें तो एक माह पहले ही बनाई गई थीं। 145 किलोमीटर सड़क टूटने से चार लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। दैनिक जागरण के हवाले से स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई साल तक शिकायत करने के बाद एक माह पहले उनकी कॉलोनी की सड़क बनी थी। पाइपलाइन बिछाने के लिए फिर से सड़क को तोड़कर छोड़ दिया गया है। ऐसे में सड़कों से निकलना मुश्किल हो गया है। इसलिए पाइपलाइन बिछाने के बाद सड़कों का पुनर्निर्माण नहीं करने पर लोग विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि सड़कों को नहीं बनाया गया तो वह धरना प्रदर्शन करेंगे।

प्रदूषित पानी होगा इस्तेमाल

जानकारी के मुताबिक, एसटीपी का शोधित पानी का प्रयोग छिड़काव और ग्रीन बेल्ट और पार्क की सिंचाई के काम में लिया जाएगा। इससे नालों का पानी सीधा हरनंदी में नहीं गिरेगा। हरनंदी नदी को प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकेगा। शोधित पानी से सिटी फॉरेस्ट में पेड़-पौधों की सिंचाई की जा सकेगी। इस पानी से सड़कों का छिड़काव भी किया जाएगा।

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Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

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