एक घर ने रोकी दिल्ली से देहरादून तक की रफ्तार, Expressway के बीच में दीवार बनकर खड़ा ये मकान

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर फर्राटा भरते हुए दिल्ली से सिर्फ ढाई घंटे में देहरादून पहुंचने का सपना मूर्त रूप ले रहा है। लेकिन इस एक्सप्रेसवे का काम पूरा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इसके रास्ते में दो मंजिला बिल्डिंग अटकी पड़ी है। मामला कोर्ट में है और यहां पर निर्माण कार्य ठप्प हो चुका है।

Delhi-DehradunExpressway-house

इस घर ने रोका दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का काम

दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी को गच्चा देकर सिर्फ ढाई घंटे में देहरादून और साढ़े तीन घंटे में मसूरी की वादियों का सफर करवाने वाला दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे तेजी से बन रहा है। इस एक्सप्रेसवे का ज्यादातर हिस्सा लगभग बनकर तैयार हो चुका है, कहीं-कहीं पर कुछ पैचेस में काम बचा है। लेकिन इस एक्सप्रेसवे की राह में एक ऐसी दीवार आ गई है, जो Expressway के निर्माण की गति पर ब्रेक लगा रही है। एक्सप्रेसवे के अलाइनमेंट में एक घर के आ जाने की वजह से आपके दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर फर्राटा भरने की चाह को अडंगा लग रहा है। चलिए जानते हैं -

दो मंजिला इमारत ने रोका Expressway

दिल्ली से देहरादून के बीच की दूरी तय करने में अभी करीब 6 घंटे का समय लगता है। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के बन जाने से दोनों शहरों के बीच की दूरी मात्र ढाई घंटे की रह जाएगी। लोगों को बड़ी बेसब्री से इस एक्सप्रेसवे के खुलने का इंतजार है। जैसा कि हमने पर बताया एक्सप्रेसवे का काम लगभग पूरा होने को है, लेकिन इसके बीच में क घर दीवार बनकर खड़ा है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में आने वाले मंडोला गांव में एक्सप्रेसवे के बीच में एक दो मंजिला इमारत खड़ी है। इस इमारत के कारण यहां पर एक्सप्रेसवे का काम अटका हुआ है।

जमीन अधिग्रहण का मामला

खबरों के मुताबिक यह घर वीरसेन सरोहा के परिवार का है, जो 1990 के दशक से ही यहां पर 1600 स्क्वायर मीटर के प्लॉट पर रहते आए हैं। जमीन को लेकर विवाद 1998 में शुरू हुआ जब वीरसेन ने उत्तर प्रदेश हाउसिंग बोर्ड द्वारा मंडोला हाउसिंग स्कीम के लिए उनकी जमीन के अधिग्रहण को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी।

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NHAI के पास कैसे आई जमीन

हालांकि, जनता प्रदर्शन की वजह से जमीन अधिग्रहण में लगातार देरी होती रही और हाइसिंग प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया। आखिरकार स्थानीय निवासियों से जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया था, उस जमीन को एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट के ले NHAI को सौंप दिया गया। लेकिन वीरसेन के परिवार ने अपनी जमीन नहीं दी।

सुप्रीम कोर्ट पहुंची लड़ाई

NHAI दिल्ली में अक्षरधाम से लोनी बॉर्डर तक 14.7 किमी और लोनी-यूपी बॉर्डर से खेकड़ा गांव में ईस्टर्न पेरिफरल-वे तक 16 किमी के दो सेक्शन का निर्माण यहां कर रहा है। लेकिन कानूनी लड़ाई के चलते इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का काम यहां अटका हुआ है और अब कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है।

NHAI अधिकारी के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि घर के मालिक और उसके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में केस किया है, इस कानूनी लड़ाई के चलते यहां काम अटका हुआ है। NHAI का कहना है कि अगर कानूनी अड़चन खत्म हो जाती है तो वह जून तक इस प्रोजेक्ट का काम पूरा कर सकता है। वीरसेन का पोता लक्ष्यवीर साल 2024 में इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए, जिसमें उन्होंने दलील दी कि NHAI को जमीन ट्रांसफर करना गैर-कानूनी है।

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16 अप्रैल को अगली सुनवाई

इस मामले को अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होनी है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में जल्द से जल्द फैसला लेने को कहा है, क्योंकि इस कानूनी लड़ाई की वजह से दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे जैसा महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अटका हुआ है।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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