नई उम्मीद के साथ महाकुंभ पहुंचे दिव्यांग श्रद्धालु, मुफ्त में मिलेंगे आर्टिफिशियल अंग, उपचार की पूरी सुविधा भी उपलब्ध

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में जयपुर की धर्मार्थ संस्था नरवन सेवा संस्थान भी शिविर लगाया है, जो महाकुंभ में आने वाले दिव्यांगों को आर्टिफिशियल अंग के साथ मुफ्त उपचार दे रहे हैं। दिव्यांग श्रद्धालु नई उम्मीद के साथ महाकुंभ पहुंच रहे हैं।

नई उम्मीद के साथ महाकुंभ पहुंचे दिव्यांग श्रद्धालु

Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 23 फरवरी 2025 तक चलेगा। महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन है, जो 45 दिनों तक चलेगा। अब तक आठ करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ के भव्य आयोजन में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के कई प्रबंध किए गए हैं, ताकि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इस बीच दिव्यांगों का मुफ्त इलाज और आर्टिफिशियल अंगों का ट्रांसप्लांट भी किया जा रहा है, जिसके लिए कई दिव्यांग लोग पहुंच रहे हैं।

नई उम्मीद के साथ कई दिव्यांग महाकुंभ पहुंचे

विभिन्न धार्मिक समूहों के शिविरों के बीच दिव्यांगों को राहत पहुंचाने के मकसद से काम करने वाली जयपुर की धर्मार्थ संस्था नरवन सेवा संस्थान ने भी यहां एक शिविर लगाया है। शिविर में चिकित्सक यहां आने वाले 'दिव्यांगों' की देखभाल में व्यस्त हैं और एक टीम उन दिव्यांगों के लिए आर्टिफिशियल अंगों का माप ले रही है। इस संस्थान को पोलियो प्रभावित मरीजों के उपचार और उनके पुनर्वास संबंधी परोपकारी सेवाओं के लिए भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी जयशंकर कुमार के दोनों पैर दो साल पहले गंभीर संक्रमण के कारण काटने पड़े थे और अब वह नई उम्मीद के साथ महाकुंभ पहुंचे हैं।

जयशंकर कुमार ने कहा "अपने दोनों पैर खोने के बाद मैं बैसाखी के सहारे चलता हूं। चिकित्सकों ने सुझाव दिया कि मैं कृत्रिम अंग लगा सकता हूं, लेकिन वो महंगे हैं और मैं उनका खर्च नहीं उठा सकता। जब हमें पता चला कि ये अंग यहां मुफ्त में उपलब्ध होंगे, तो मैंने अपने परिवार के साथ कुंभ जाने का फैसला किया। हम यहां स्नान भी करेंगे।" उन्होंने कहा, "मुझे 10 दिन तक इंतजार करने को कहा गया है और उसके बाद अंग लगा दिए जाएंगे। तब तक मैं 'फिजियोथेरेपी' ले रहा हूं, जो शिविर में मुफ्त में दी जा रही है।" शिविर के 'प्रोस्थेटिक ऑर्थोपेडिक' विशेषज्ञ क्रुणाल चौधरी के अनुसार, कुंभ में चिकित्सकों, 'फिजियोथेरेपी' विशेषज्ञों, 'प्रोस्थेटिक्स' विशेषज्ञों, तकनीशियनों के साथ 'फैब्रिकेशन' दल सहित 50 लोगों की एक टीम तैनात की गई है।

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