कुत्ते के काटने से लड़के की मौत के बाद गाजियाबाद में रेबीज का डर, नोएडा में भी खौफ में लोग

गाजियाबाद के विजयनगर थाना क्षेत्र में चरण सिंह कॉलोनी है। यहां रहने वाले 14 साल के शाहवेज को करीब डेढ़ महीने पहले पड़ोसी के कुत्ते ने काट लिया था। डर के चलते शाहवेज ने यह बात परिजनों को नहीं बताई। धीरे-धीरे रेबीज इन्फेक्शन पूरे शरीर में फैल गया।

Ghaziabad rabies

गाजियाबाद में रेबिज के खौफ में लोग (प्रतीकात्मक फोटो- Pixabay)

तस्वीर साभार : IANS

दिल्ली एनसीआर के टॉप के दो जिलों नोएडा और गाजियाबाद में कुत्तों के खौफ से लोग डरे हुए हैं। दोनों जिलों में कुत्तों के काटने के कई मामले सामने आ चुके हैं, साथ ही रेबीज से एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है। जिसके बाद से लोग दहशत में जी रहे हैं। दोनों ही जिलों से सामने आने वाले मामलों की बात करें तो तकरीबन 400 से ज्यादा मामले रोजाना डॉग बाइट के सामने आते हैं। साथ ही करीब 1.25 लाख से ज्यादा कुत्ते दिनों जिलों की सड़को पर घूम रहे हैं।

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14 साल के बच्चे की मौत

गाजियाबाद के विजयनगर थाना क्षेत्र में चरण सिंह कॉलोनी है। यहां रहने वाले 14 साल के शाहवेज को करीब डेढ़ महीने पहले पड़ोसी के कुत्ते ने काट लिया था। डर के चलते शाहवेज ने यह बात परिजनों को नहीं बताई। धीरे-धीरे रेबीज इन्फेक्शन पूरे शरीर में फैल गया। 1 सितंबर को शाहवेज को दिक्कत होनी शुरू हो गई। परिजनों ने एम्स दिल्ली, जीटीबी दिल्ली और मेरठ-गाजियाबाद के कई बड़े हॉस्पिटल में दिखाया। मगर, डॉक्टरों ने शाहवेज को लाइलाज घोषित कर दिया। आखिरकार 4 सितंबर को शाहवेज ने एम्बुलेंस में पिता याकूब की गोद में दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद लोग अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद सचेत हो गए हैं।

चिंता में प्रशासन

इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश प्रशासन भी चिंता में आ गया और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने भी इस घटना में गाजियाबाद के चिकित्सा अधिकारियों से जवाब-तलब किया है। वहीं, डॉग मालिक फैमिली पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। भारत में रेबीज़ के बहुत से मामले देखने को मिलते हैं। विश्व में रेबीज़ से होने वाली कुल मौतों में 36 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। रेबीज़ से प्रत्येक वर्ष 18,000-20,000 मृत्यु हो जाती है।

क्या है रेबीज

रेबीज एक बीमारी है जो कि रेबीज नामक विषाणु से होता है। यह मुख्य रूप से पशुओं की बीमारी है। लेकिन संक्रमित पशुओं द्वारा मनुष्यों में भी हो जाती है। यह विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में रहता है और जब कोई पशु मनुष्य को काट लेता है यह विषाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह भी बहुत मुमकिन है कि संक्रमित लार से किसी की आँख, मुहँ या खुले घाव से संक्रमण हो सकता है। इस बीमारी के लक्षण मनुष्यों में कई महीनों से लेकर कई वर्षों तक दिखाई देते हैं। लेकिन साधारणतः मनुष्यों में ये लक्षण 1 से 3 महीनों में दिखाई देते हैं। रेबीज से संक्रमित जानवर के काटने से रेबीज का संक्रमण फैलता है। ज्यादातर मामलों में मनुष्यों में यह बीमारी कुत्ते के काटने या खरोंचने से भी होती है (90 प्रतिशत से ज्यादा)। रेबीज बीमारी के लक्षण संक्रमित पशुओं के काटने के बाद या कुछ दिनों में लक्षण प्रकट होने लगते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में रोग के लक्षण प्रकट होने में कई दिनों से लेकर कई वर्षों तक लग जाते हैं। रेबीज बीमारी का एक खास लक्षण यह है कि जहां पर पशु काटते हैं, उस जगह की मासपेशियों में सनसनाहट पैदा हो जाती है।

गाजियाबाद का हाल

गाजियाबाद नगर निगम ने बताया कि साल 2013 से कुत्तों की नसबंदी शुरू हुई, ताकि उनकी संख्या न बढ़ सके। पिछले 10 साल में नगर निगम 24,580 कुत्तों की नसबंदी कर चुका है। जबकि आवारा कुत्तों की संख्या यहां 60 हजार से ज्यादा है। ये संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। गाजियाबाद नगर निगम के अनुसार, साल 2013 से कुत्तों की नसबंदी शुरू हुई, ताकि उनकी संख्या न बढ़ सके। फिर भी गली-मोहल्लों में इनकी संख्या बढ़ती दिखाई देती है।

नोएडा का हाल

नोएडा प्राधिकरण के एनपीआर ऐप पर करीब 10 हजार पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। नोएडा प्राधिकरण ने दावा किया है कि अभी 40 से 45 हजार कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। इसके बाद भी कुत्तों की तादाद कम नहीं हो रही। नोएडा अथॉरिटी ने कुत्ते पकड़ने के लिए दो एजेंसियां हायर की हैं। एजेंसियां दावा करती हैं कि हर महीने 1200 कुत्ते पकड़े जा रहे हैं। जिले के सरकारी अस्पताल में हर साल करीब 40 हजार एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए जाते हैं।

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