गाजियाबाद का यह मंदिर है बेहद खास, रावण के पिता ने की थी यहां पर सालों तपस्या

गाजियाबाद के ‘दूधेश्वरनाथ मंदिर’ का उल्लेख भारतीय पुराणों में किया गया है। इस मंदिर में लंकापति रावण के पिता विश्रवा ने सालों कठोर तपस्या की थी। पौराणिक कथाओं में इस मंदिर का वर्णन हिरण्यगर्थ ज्योतिलिंग के तौर पर किया गया है, जहां जमीन से करीब साढ़े तीन फीट नीचे स्थापित स्वयंभू दिव्य शिवलिंग है।

गाजियाबाद में है दूधेश्वर नाथ मंदिर

मुख्य बातें
  • रावण के पिता विश्रवा ने इस मंदिर में की थी सालों कठोर तपस्या
  • छत्रपति शिवाजी के जलाभिषेक और निर्माण से जुड़ा मंदिर का इतिहास
  • मंदिर में हिरण्यगर्थ ज्योतिर्लिंग के तौर पर मौजूद हैं स्वयंभू दिव्य शिवलिंग

दिल्ली- एनसीआर में शामिल गाजियाबाद के ‘दूधेश्वरनाथ मंदिर’ का उल्लेख भारतीय पुरणों में किया गया है। इस मंदिर का इतिहास लंकापति रावण से जुड़ा हुआ है। हिंडन नदी किनारे बने इस मंदिर के बारे में प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि इस मंदिर में रावण के पिता विश्रवा ने सालों कठोर तपस्या की थी। मान्यता है कि यह मंदिर कभी बीहड़ जंगल और हरनंदी नदी के किनारे बना था। यह नदी अब हिंडन नदी कहलाती है। वहीं जंगल अब घनी आबादी में बदल चुकी है। पौराणिक कथाओं में इस मंदिर का वर्णन हिरण्यगर्थ ज्योतिर्लिंग के तौर पर किया गया है, जहां जमीन से करीब साढ़े तीन फीट नीचे स्थापित स्वयंभू दिव्य शिवलिंग है।

संबंधित खबरें

इस मंदिर के बारे में एक पौराणिक कथा यह भी है कि इस मंदिर के पास ही पहले एक कैला गांव हुआ करता था। जहां से गाय यहां चरने के लिए आया करती थी। इनमें से एक गाय चरते हुए शिवलिंग के पास पहुंच गई, तो उसके थनों से दूध बहने लगा। इसके बाद वह गाय रोजाना वहां जाने लगी और अपने दूध से शिवलिंग का जलाभिषेक करती। यह चर्चा जब आसपास के गांवों में फैल गई तो लोगों ने एकत्रित होकर उस जगह पर खुदाई शुरू की। जिसके बाद यहां से एक शिवलिंग निकला। गाय के दूध से शिवलिंग का जलाभिषेक होने और उसके कारण इस शिवलिंग की खोज होने के कारण ही अब इस मंदिर को दूधेश्वरनाथ के नाम से बुलाया जाता है।

संबंधित खबरें

छत्रपति शिवाजी के मंदिर से जुड़ा इतिहास

संबंधित खबरें
End Of Feed