यूपी में बिक रही है पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की जमीन, खरीदनी है तो करना होगा ये काम

यूपी के बागपत में आज भी पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिवार वालों के नाम जमीन मौजूद है। लेकिन, अब उसकी नीलमी की जाएगी। जिसके बाद उनकी आखिर निशानी भी खत्म हो जाएगी-

Parvez mushrraf

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की जमीन की नीलामी

Baghpat: भारत-पाकिस्तान के रिश्ते के बारे में दुनिया जानती है। आजादी के बाद से दोनों के बीच अनबन बनी हुई है। लेकिन, अभी भी पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के परिवार के नाम एक जमीन यानी भारत में उनकी आखिरी निशानी आज भी मौजूद है। लेकिन, अब पहले से ही घोषित इस शत्रु संपत्ति को जल्दी ही नीलाम किया जाएगा। नीलामी के बाद जमीन खरीददार के नाम हो जाएगी और भारत से मुशर्रफ का आखिरी संबंध भी खत्म हो जाएगा।
दो हिस्सों में होगी नीलामी
जल्दी ही इस जमीन की नीलामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। लेकिन, अभी पूरी जमीन की नीलामी न होकर पहले आधी जमीन को नीलाम किया जाएगा। इसके बाद बाकी बचे जमीन की नीलामी होगी। बागपत में मौजूद बड़ौत थाना क्षेत्र में कोताना गांव मुशर्रफ की पुस्तैनी गांब है। जहां आज भी उसके परिवार के नाम जमीन मौजूद है।
5 सितंबर तक चलेगी नीलामी की प्रक्रिया
प्रशासन ने इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था। इसकी नीलामी की प्रोसेस शुरू कर दी गई है। नीलामी की इस प्रक्रिया को 5 सितंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। परवेज मुशर्रफ के नाम मौजूद जमीन को यहां पहले ही बेच दिया गया था। लेकिन, उनके भाई जावेद मुशर्रफ और बाकी परिवार के सदस्यों के नाम 10 बीघा से करीब जमीन बच गई थी।
दिल्ली और यूपी में थी शत्रु संपत्ति
बता दें कि परवेज मुशर्रफ के पिता मुशर्रफुद्दीन और उनकी मां बेगम जरीन यूपी के कोताना गांव के रहने वाले थे। दोनों की यहीं शादी हुई थी। शादी के बाद दोनों दिल्ली जाकर बस गए थे। वहीं दोनों ने अचल संपत्ति बनाई थी। साल 1943 में मुशर्रफ और उनके भाई का जन्म हुआथा। साल 1947 में भारत- पाकिस्तान के बंटवारे के बाद मुशर्रफुद्दीन अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चला गया। दिल्ली के साथ ही कोताना में भी उनकी जमीन रही, जो पहले बेच दी गई। लेकिन उनके भाई और बाकी परिजनों के बीच मौदूज 10 बीघा जमीन बच गई।
क्या है बांगर और खादर जमीन?
कोताना में इनकी एक हवेली भी थी, जो उनके चचेरे भाई हुमायुं के नाम हो गई थी। जिसे 15 साल पहले प्रशासन ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था। जिसकी अब जाकर नीलामी प्रक्रिया शुरू की जा रही है। परवेज मुशर्रफ की जमीन बांगर और खादर में दर्ज हुई थी। बांगर की जामीन उसे कहते हैं जो नदी के तट से दूरी पर होती है। यह जमीन बाढ़ की चपेट में नहीं आती है। वहीं खादर की जमीन बाढ़ की चपेट में आ सकती है।
कितनी नीलामी की बोली ?
सितंबर में होने वाली नीलामी में पहले बागंर की जमीन की नीलामी होगी। जिसे 5 सितंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए जमीन की बोली 37.5 लाख रुपये लगाई गई है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | गाजियाबाद (cities News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

Maahi Yashodhar author

माही यशोधर Timesnowhindi.com में न्यूज डेस्क पर काम करती हैं। यहां वह फीचर, इंफ्रा, डेवलपमेंट, पॉलिटिक्स न्यूज कवर करती हैं। इसके अलावा वह डेवलपमेंट क...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited