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Maharashtra News: मिरज में बने सितार-तानपुरा को मिला GI टैग, यहां के करीगर सात पीढ़ियों से बना रहे हैं वाद्ययंत्र

महाराष्ट्र के मिरज शहर में बनाए जाने वाले सितार और तानपुरा को जीआई टैग मिला है। निर्माताओं के अनुसार इस शहर में सितार और तानपुरा बनाने की परंपरा 300 साल से भी अधिक पुरानी है।

Miraj Sitar TanpuraMiraj Sitar TanpuraMiraj Sitar Tanpura

सितार और तानपुरा को मिला GI टैग

Maharashtra News: महाराष्ट्र के सांगली जिले के एक छोटे से कस्बे मिरज में बनाए जाने वाले सितार और तानपुरा को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग मिला है। यह क्षेत्र संगीत वाद्ययंत्र बनाने की शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है। निर्माताओं ने दावा किया कि ये वाद्ययंत्र मिरज में बनाए जाते हैं और शास्त्रीय संगीत के कलाकारों के साथ-साथ फिल्म उद्योग के प्रसिद्ध कलाकारों के बीच भी इनकी भारी मांग है। एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में निर्मित उत्पाद को जीआई टैग मिलता है और इससे उत्पाद का व्यावसायिक मूल्य बढ़ जाता है।

300 साल से भी पुरानी परंपरा

निर्माताओं ने बताया कि मिरज में सितार और तानपुरा बनाने की परंपरा 300 साल से भी अधिक पुरानी है। सात पीढ़ियों से अधिक समय से कारीगरों इन तार आधारित वाद्ययंत्रों को बनाने का काम कर रहे हैं। भारत सरकार की भौतिक संपदा कार्यालय ने 30 मार्च को मिराज म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स क्लस्टर को सितार के लिए और 'सोलट्यून म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट प्रोड्यूसर फर्म' को तानपुरा के लिए जीआई टैग दिया था। मिराज म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स क्लस्टर के अध्यक्ष मोहसिन मिरजकर ने कहा कि यह शहर में सितार और तानपुरा निर्माताओं दोनों के लिए शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है। उन्होंने बताया कि संस्था में 450 से अधिक कारीगर सितार और तानपुरा सहित संगीत वाद्ययंत्रों के निर्माण करते हैं। उन्होंने बताया कि मिरज में बने सितार और तानपुरा की बहुत अधिक मांग है, लेकिन स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सीमित संसाधनों के कारण मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता है।

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