तो क्या अब FASTag की छुट्टी हो जाएगी? इन दो नेशनल हाईवे पर हो रहा सैटेलाइट टोल कलेक्शन

नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर फर्राटा भरते हैं तो उसके लिए गई जगह FASTag से टोल भी कटवाना होता है। लेकिन अब केंद्र सरकार सैटेलाइट से टोल इकट्ठा करने की योजना बना रही है। इसके लिए देश के दो राष्ट्रीय राजमार्गों पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत टोल कलेक्शन शुरू भी कर दिया गया है।

FASTag

फास्टटैग के साथ अब GNSS चलेगा

GNSS: अब सैटेलाइट से कटेगा टोल! सुनने में यह भले ही अटपटा लगे, लेकिन केंद्र सरकार और सड़क परिवहन मंत्रालय ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडगरी ने बकायदा राज्यसभा में इस संबंध में जवाब दिया है। केंद्र सरकार एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश में दो राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) पर इस तरीके से टोल कलेक्शन कर रही है। इसे ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) नाम दिया गया है। चलिए जानते हैं इस सिस्टम के बारे में और इसके पूरी तरह से लागू होने के बाद मौजूदा फास्ट टैग (FASTag) का क्या होगा?

इन नेशनल हाइवे पर हो रहा टेस्ट

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार 24 जुलाई को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत कर्नाटक में NH-275 के बेंगलुरू-मैसूर हिस्से और हरियाणा में NH-709 (पूर्व में NH-71A) के पानीपत-हिसार हिस्से में इस सिस्टम पर पायलट स्टडी की जा रही है।

FASTag के साथ मिलकर काम करेगा GNSS

गडकरी ने बताया कि GNSS आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ETC) को फिलहाल देश के राष्ट्रीय राजमार्गों के कुछ हिस्सों पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर टेस्ट किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह नया सिस्टम यानी GNSS पहले से चल रहे FASTag प्रणाली का पूरक होगा यानी उसके काम में ही मददगार होगा।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) GNSS आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम को मौजूदा FASTag इकोसिस्टम के साथ इंटीग्रेट करने की योजना बना रहा है। इसके तहत RFID आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम और GNSS आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम मिलकर एक हाइब्रिड मॉडल के रूप में काम करेंगे।

आपके लिए फायदेमंद होगा GNSS

GNSS आप उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगा। ऐसे लोग जो अक्सर नेशनल हाईवे से आते-जाते हैं, उन्हें GNSS आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम से कई फायदे होंगे। इसमें उन्हें टोल प्लाजा पर किसी तरह का बेरियर नहीं मिलेगा और वह बिना रुके अपने गंतव्य की ओर जा पाएंगे। इसके अलावा GNSS सिस्टम उन्हें सिर्फ उतनी ही दूरी का टोल देना होगा, जितना उन्होंने टोल रोड पर दूरी तय की है। जबकि अभी FASTag प्रणाली में टोल रोड की पूरी दूरी का टोल चुकाना पड़ता है।

सरकार के लिए फायदेमंद

GNSS आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम सरकार के लिए भी फायदेमंद है। इससे टोल कलेक्शन लीकेज यानी अनियमितताओं और टोल की चोरी (Toll Evasion) पर भी अंकुश लगेगा। इससे देश में टोल कलेक्शन प्रक्रिया और अधिक कुशल हो जाएगी। नितिन गडकरी ने राज्यसभा में बताया कि 25 जून, 2024 को एक सभी हितकारकों (Stakeholder) के साथ परामर्श एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला (International Workshop) का आयोजन हो चुका है।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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