Best places to visit in Greater Noida:यहां है विश्व का इकलौता गुरु द्रोण का मंदिर, यह है कहानी

Best Places to Visit in Greater Noida: ग्रेटर नोएडा में रहकर कम समय में नजदीकी टूरिस्ट प्लेस पर घूम सकते है। ग्रेटर नोएडा में कई ऐसे दार्शनिक स्थल भी हैं, जहां सर्दी और वीकेंड की छुट्टियों में दर्शन करने जा सकते हैं। ग्रेटर नोएडा में घूमने के लिए कम बजट में भी दनकौर के द्रोणाचार्य मंदिर जाने का प्लान बनाया जा सकता है। वीकेंड की छुट्टियों में परिवार के साथ दर्शन करने के लिए ग्रेटर नोएडा का द्रोणाचार्य मंदिर अच्छा विकल्प हो सकता है।

Greater Noida News (4)

ग्रेटर नोएडा में घूमने के लिए बेस्ट है ऐतिहासिक द्रोणाचार्य मंदिर

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • महाभारत के पात्र एकलव्य से जुड़ी है मंदिर की कहानी
  • मंदिर में द्रोण कुंड को लेकर है पुरातन कहानी
  • मंदिर में स्थापित है राधा संग बांके बिहारी की भव्य प्रतिमा

Best Places to Visit in Greater Noida: ग्रेटर नोएडा के दनकौर का द्रोणाचार्य मंदिर महाभारत के पात्र एकलव्य की साधना और द्रोणाचार्य की गुरु दक्षिणा का स्थान है। गौतमबुद्ध नगर जिले के इस कस्बे में एकलव्य की अपने हाथों से बनाई गई द्रोणाचार्य की दुर्लभ मूरत का दर्शन किया जा सकता है। दनकौर को द्रोणाचार्य का क्षेत्र कहा जाता है। कहा ये भी जाता है कि द्रोणाचार्य का यह एकमात्र मंदिर है। यही नहीं इस पावन स्थल पर आपको द्रोण कुंड के भी दर्शन होंगे, जहां पर स्नान करते हुए दुर्वासा ऋषि का कमंडल बह गया था। इस पुरातन स्थल पर नए साल के अवसर पर परिवार के साथ आने का प्लान बनाया जा सकता है।

बता दें कि प्राचीन द्रोणाचार्य मंदिर के पास ही द्रोण कुंड है। दोनों स्थानों को पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित किया गया है। द्रोणाचार्य का मंदिर छोटा लेकिन अत्यंत कलात्मक तरीके से बनाया गया है। दीवारों पर बेहद खूबसूरत चित्रकारी है। गर्भगृह में एकलव्य की बनाई गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ती दर्शनीय है। भक्तों के पूजन-अर्चना के लिए द्रोणाचार्य की नवीन मूर्ति की भी स्थापना की गई है। प्रांगण में दूसरा मंदिर भगवान बांके बिहारी का है। गर्भगृह के पट खुलते ही राधा संग बांके बिहारी के दर्शन कर नयन मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को दक्षिणा में दिया था अंगूठाद्रोणाचार्य मंदिर कमेटी के अनुसार, एकलव्य द्रोणाचार्य की इस मूर्ति के सामने धनुर्विद्या सीखा करते थे। उन्होंने स्वयं अपने हाथों से द्रोणाचार्य की प्रतिमा बनाई थी। दनकौर में ही द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उनके दाहिने हाथ का अंगूठा गुरु दक्षिणा के रूप में मांग लिया था। गुरु द्रोणाचार्य के नाम पर आगे चलकर इस क्षेत्र का नाम दनकौर हुआ। मंदिर की देखरेख कमेटी की ओर से किया जाता है। बता दें कि विश्व में द्रोणाचार्य का यह एकमात्र मंदिर है। दूर-दूर से लोग यहां पर दर्शन के लिए आते हैं।

अनोखा है द्रोण कुंड का रहस्यजानकारी के लिए बता दें कि द्रोण कुंड के बारे में प्रचलित है कि इसमें कितना भी पानी भर दो, तीसरे दिन यह खाली हो ही जाता है। एक कहानी प्रचलित है कि पहले यह तालाब भरा रहता था। दुर्वासा ऋषि यहां पर आए थे। उन्होंने कुंड में स्नान करना शुरू किया। कुंड में उनका कमंडल बह गया था। उन्होंने शाप दिया कि यह हमेशा खाली ही रहेगा। तब से कुंड में पानी नहीं ठहरता है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां आठ दिवसीय मेले का आयोजन होता है, जिसमें होने वाले दंगल को लोग दूर-दूर से देखने आते हैं। द्रोणाचार्य से जुड़े इस पावन स्थल पर दर्शन-पूजन कर नए साल की शुरुआत की जा सकती है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | ग्रेटर नोएडा (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

    Times Now Digital author

    Professionals & enthusiasts who write about politics to science, from economy to education, from local issues to national events and global affairs, t...और देखें

    End of Article

    © 2025 Bennett, Coleman & Company Limited