Places to Visit in Greater Noida: नए साल पर दर्शन करें ग्रेटर नोएडा के अनोखे मंदिर के, यहां एक साथ पूजे जाते हैं भगवान राम और रावण

Best Places to Visit in Greater Noida: ग्रेटर नोएडा में रहकर कम समय में नजदीकी टूरिस्ट प्लेस पर घूमा जा सकते है। ग्रेटर नोएडा में कई ऐसे दार्शनिक स्थल भी हैं जहां सर्दी और वीकेंड की छुट्टियों में घूमा जा सकता है। ग्रेटर नोएडा में घूमने के लिए कम बजट में भी बिसरख गांव जाने का प्लान बनाया जा सकता है। वीकेंड की छुट्टियों में परिवार के साथ दर्शन करने के लिए बिसरख गांव का प्रसिद्ध मंदिर अच्छा विकल्प हो सकता है।

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ग्रेटर नोएडा में घूमने के लिए बेस्ट हैं बिसरख का ये मंदिर

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • शिवपुराण में मिलता है ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव का उल्लेख
  • रावण के पिता ने इस गांव में की थी अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना
  • रावण के जन्म स्थान के रूप में भी जाना जाता है बिसरख

Best Places to Visit in Greater Noida: ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव का उल्लेख शिवपुराण में किया गया है। ऐसा माना जाता है कि ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में विश्रवा ऋषि के यहां रावण का जन्म हुआ था। विश्रवा ऋषि ने गांव में एक अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना की है। यह शिवलिंग आज भी पूरे वैभव के साथ विराजमान है। सबसे बड़ी बात ये कि गांव में भगवान राम और रावण की साथ में पूजा की जाती है। उससे भी हैरान करने वाली बात यह है कि, इस गांव में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता है। इस गांव में रावण का पुतला दहन भी नहीं होता।

बिसरख धाम ट्रस्ट के अनुसार, हर साल दशहरा के अवसर पर भगवान राम और रावण की खास पूजा का आयोजन किया जाता है। बताया जाता है कि, दशहरे के समय पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। संभवत: यह पहला ऐसा मंदिर होगा, जहां पर भगवान राम और रावण की एक ही साथ पूजा होती है।

अनहोनी के चलते नहीं होती है रामलीलामिली जानकारी के अनुसार, बिसरख गांव में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता है। यहां पर रावण का पुतला दहन भी नहीं होता है। बिसरख धाम ट्रस्ट के अनुसार, काफी समय पहले गांव में रामलीला का आयोजन हुआ था। उस दौरान गांव में एक युवक की मौत हो गई थी। जिसके चलते रामलीला को बीच में रोकना पड़ा था। एक बार फिर दोबारा गांव के लोगों ने रामलीला का मंचन कराना शुरू किया, लेकिन उस बार भी रामलीला पूरी नहीं हो सकी थी। अनहोनी के चलते तभी से गांव में रामलीला व रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है।

रावण ने किया था यहां के मंदिर के शिवलिंग का पूजनबता दें कि, बिसरख गांव में एक भव्य शिव मंदिर है। यहां घूमने व दर्शन पूजन करने आसपास के इलाकों से लोग आते रहते हैं। बताया जाता है कि शिव मंदिर में जो अष्टभुजी शिवलिंग हैं, उसकी स्थापना रावण के पिता विश्रवा ऋषि ने की थी। उस शिवलिंग की गहराई आज तक कोई भी जान नहीं सका है। उसकी खुदाई भी करवाई गई थी, लेकिन कोई छोर नहीं मिल सका। बिसरख धाम ट्रस्ट के अनुसार, रावण भी इसी अष्टभुजी शिवलिंग की पूजा अर्चना किया करता था। रावण की पूजा से प्रसन्न होकर शिव जी ने रावण को इसी जगह बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दिया था। बिसरख धाम ट्रस्ट के अनुसार, गांव में आज भी खुदाई के दौरान शिवलिंग निकल जाते हैं। यहीं वजह है कि सालों साल गांव में पूजा अर्चना करने आने वालों का तांता लगा रहता है। मंदिर की भव्यता और दिव्यता देखने लायक है।

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