बेनेट विश्वविद्यालय में हुई तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिया में कैंपस लॉ सेंटर दिल्ली यूनिवर्सिटी को पहला इनाम
बेनेट विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता का समापन हुआ। कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली यूनिवर्सिटी ने 51 टीमों को हराकर 75,000 रुपये जीते। आर्मी इंस्टिट्यूट ऑफ लॉ, मोहाली दूसरे स्थान पर रहा। फाइनल में पहुंचने वाली टीमों को प्रमुख न्यायाधीशों और विधि विशेषज्ञों ने पुरस्कृत किया। समापन समारोह में विशेषज्ञों की उपस्थिति ने विद्यार्थियों में नई ऊर्जा का संचार किया। वक्ताओं ने प्रतियोगिताओं में भाग लेने, साहित्य का ज्ञान रखने और नैतिकता व तकनीकी ज्ञान के महत्व पर जोर दिया।

मूट कोर्ट प्रतियोगिया में कैंपस लॉ सेंटर दिल्ली यूनिवर्सिटी को पहला इनाम मिला
बेनेट विश्वविद्यालय के प्रांगण में चल रही 3 दिवसीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता का आज समापन हुआ और कैंपस लॉ सेंटर दिल्ली यूनिवर्सिटी कुल 51 टीमों को हराकर 75000 रुपये की धनराशि के साथ विजेता रही। आर्मी इंस्टिट्यूट ऑफ लॉ मोहाली इस प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रही। फाइनल तक पहुंचने वाली टीम्स को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश नवीन सिन्हा, उत्तर प्रदेश कानून आयोग के अध्यक्ष प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, आई आई अल ऍम विश्विद्यालय गुरुग्राम के प्रो चांसलर रणवीर सिंह, तथा वी के अहूजा जी के कर कमलों द्वारा पुरस्कृत किया गया। समापन समारोह में विधि क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों की उपस्थिति ने विद्यार्थियों व प्रतिभागियों में नई ऊर्जा का संचारण किया। बेनेट विश्वविद्यालय के मुख्य परिचालन अधिकारी श्री सेंथिल कुमार तथा विधि संकाय के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुलश्रेष्ठ ने सभी का गर्मजोशी से स्वागत किया व प्रतिभागियों को उत्साहित करते हुए कहा कि किसी भी प्रतियोगिता के दौरान की गई यात्रा कितनी महत्वपूर्ण है साथ ही श्री सेंथिल ने सभी प्रतिभागियों को बेनेट विश्विद्यालय से जुड़े रहने की सलाह दी और कहा, 'हमारे विश्विद्यालय के दरवाजे सदा आपके लिए खुले हैं।'
एटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने अपने वक्तव्य में विद्यार्थियों को मूट कोर्ट प्रॉब्लम को विस्तार से समझाया। उत्तर प्रदेश कानून आयोग के अध्यक्ष प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने समझाया की कोई फर्स्ट आएगा कोई सेकंड आएगा पर जो महत्वपुर्ण है, वो है इन प्रतियोगिताओं में भाग लेना। 'अपनी बात को कम शब्दों में कहने की कला को सीखना बहुत आवश्यक है।' अपने वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को समझाया की केवल विधि और कानून का ज्ञान उन्हें एक सफल वकील या न्यायाधीश नहीं बनाता, उन्हें अपने बौद्धिक विकास के आयामों को विस्तृत करने के लिए साहित्य का ज्ञान रखना बहुत जरूरी है। 'समाज को जाने की लिए लोगों की मासिकता को जानने की लिए साहित्य को पढ़ना बहुत आवश्यक है।'
स्वतंत्र कुमार ने अपने वक्तव्य में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएं विधि की विद्यार्थियों के लिए कितनी आवश्यक हैं। उन्होंने अपने वक्तव्य में प्रतिभागियों को बौद्धिक उपस्थिति का महत्व समझाते हुआ कहा कि अपने दिमाग को शांत रख कर धैर्यपूर्वक सुनने की कला बहुत आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया की इन प्रतियोगितओं में संविधान से जुड़ी मूट प्रॉब्लम्स को स्थान दिया जाए। 'कठिन परिश्रम, ईमानदारी व विनम्रता, ये तीन गुण विधि से जुड़े व्यक्तियों के लिए बहुत आवश्यक हैं।' अपने भाषण को विराम देते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा करना हम सब का नैतिक कर्त्तव्य है। उन्होंने कहा, 'प्रकृति हम मनुष्यों पर नहीं, हम मनुष्य प्रकृति पर निर्भर हैं।'
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश नवीन सिन्हा ने इस बात पर हर्ष जताया कि हर वर्ष विधि की तरफ विद्यार्थियों का ध्यान बढ़ता जा रहा है और इस क्षेत्र में अब बहुत अधिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है। उन्होंने अपने वक्तव्य में विद्यार्थियों से अपने सार्वजानिक सभा में बोलने के कौशल का विकास करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बोलने के लिए बहुत साहस और कौशल की आवश्यकता होती है, और यदि यह कौशल विकसित किया जाए तो विद्यार्थियों को बहुत लाभ मिलता है। 'ऐसी प्रतियोगिताएं आपको ये मंच प्रदान करती हैं, और आप सबको इनमें भाग लेकर इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए।'
आई आई अल ऍम विश्विद्यालय गुरुग्राम के प्रो चांसलर रणवीर सिंह ने समापन समारोह की शोभा बधाई व विद्यार्थियों को बताया कि किस प्रकार ये प्रतियोगिताएं व्यावहारिक ज्ञान देकर उन्हें भविष्य की लिए तैयार कर रहीं हैं। 'केवल एक अच्छा वकील या न्यायधीश नहीं, एक अच्छा इंसान बनना बहुत आव्यशक है।' उन्होंने सामाजिक न्याय पर बल देते हुए कहा कि विधि से जुड़े लोगों के लिए नैतिकता बहुत महवपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज जब पूरा विश्व तकनिकी के क्षेत्र में इतना आगे बढ़ रहा है तो विधि से जुड़े लोगों के लिए भी यह बहुत आवश्यक है कि वे तकनीक में पारंगत हों। उन्हें अपने विषय में ज्ञान-अर्जन की साथ-साथ दूसरे क्षेत्रों में भी ज्ञान अर्जित करना है। वी के अहूजा ने अपने जीवन के अनेकों महत्व्पूर्ण अनुभव साझा किए, उन्होंने विद्यार्थियों को समझाया कि केवल कक्षा का ज्ञान जीवन में काम नहीं आता, इस तरह की प्रतियोगिताओं में सीखा गया कौशल व व्यावहारिक ज्ञान भविष्य में ऊंचाइयों पर ले जाता है।
अगले मूट कोर्ट प्रतियोगिता की घोषणा के साथ इस वर्ष की प्रतियोगिता सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
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खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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