Greater Noida News: स्कूल और नर्सिंग होम की छत पर नहीं लगेंगे टावर, एयरपोर्ट अथॉरिटी से लेनी पड़ेगी इजाजत

Greater Noida News: नई नीति के आधार पर अब मोबाइल टॉवर लगाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और एयरपोर्ट अथॉरिटी से मंजूरी लेनी आवश्यक है। बता दें कि स्कूल और नर्सिंग होम की छत पर टॉवर लगाने की अनुमति नहीं है।

Mobile Towers.

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के मंजूरी के बिना नहीं लग सकेगा मोबाइल टॉवर

मुख्य बातें
  • मोबाइल टॉवर स्थापित करने के नियमों में बदलाव
  • प्राधिकरण के मंजूरी के बिना नहीं लगेगा टॉवर
  • 30 मीटर ऊंचाई के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी से अनुमति जरूरी

Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा में अब मोबाइल टॉवर आसानी से नहीं लग पाएंगे। किसी भी स्थान पर टॉवर लगाने से पहले प्राधिकरण और एयरपोर्ट अथॉरिटी की मंजूरी लेना जरूरी होगा। साथ ही कुछ चयनित स्थानों पर ही मोबाइल टॉवर लगाने की मंजूरी दी जाएगी। मोबाइल नेटवर्क कंपनियां स्कूलों, नर्सिंग होम और शॉपिंग सेंटर की छत पर मोबाइल टॉवर स्थापित नहीं कर सकती हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा मोबाइल टॉवर लगाने की नीति में कुछ आवश्यक बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों के तहत केवल उस ऑपरेटर को ही टॉवर लगाने की अनुमति दी जाएगी, जो सभी शर्तों को नई नीति के अनुसार पूरा करेंगे।

मोबाइल टॉवर लगाने से पहले लेनी होगी प्राधिकरण और एयरपोर्ट की अनुमति

जानकारी के अनुसार, ग्रेटर नोएडा में किसी भी वाणिज्यिक, संस्थागत और औद्योगिक भवनों, ग्रीन बेल्ट पार्क, सामुदायिक केंद्र, अस्पतालों पर मोबाइल टॉवर स्थापित करने के लिए ऑपरेटरों को पहले प्राधिकरण से मंजूरी लेने होगी। इतना ही नहीं, किसी भी स्थान पर 30 मीटर से ऊंचे मोबाइल टॉवर लगाने के लिए ऑपरेटर को एयरपोर्ट अथॉरिटी से अनुमति लेनी होगी। अथॉरिटी से मंजूरी मिलने के बाद ही मोबाइल टॉवर को लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं मोबाइल टॉवर लगाने के लिए प्रत्येक आवेदन के साथ आवश्यक सभी दस्तावेज होने भी अनिवार्य है। इसमें आईआईटी, एनआईटी या सीबीआरआई, रुड़की जैसे मान्यता प्राप्त संस्थानों से स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट देनी होगी।

लीज पर नहीं एग्रीमेंट पर बनेगा मोबाइल टॉवर

पहले मोबाइल टॉवर स्थापित करने के लिए 90 साल की लीज पर जगह दी जाती थी, लेकिन अब लीज को हटाकर एग्रीमेंट की शुरुआत की जा रही है। किसी भी स्थान पर मोबाइल टॉवर लगाने के लिए अब ऑपरेटरों को एग्रीमेंट बनवाना होगा। ये एग्रीमेंट केवल 20 साल का होगा। इस एग्रीमेंट के बाद चिह्नित वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, ग्रीन बेल्ट पार्कों और सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए भी कंपनी द्वारा पर्यावरण समेत ऊंची इमारतों के लिए विभिन्न प्रकार के नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के साथ बिल्डिंग के स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट को पेश करना होगा। उसी के आधार पर उन्हें मंजूरी दी जाएगी।

मोबाइल टॉवर लगाने के लिए कंपनी को अधिकतम 25 वर्ग मीटर की जगह आवंटित की जाएगी। प्राधिकरण द्वारा मंजूरी मिलने के 6 महीने के भीतर इसे चालू करना अनिवार्य है। नई नीति के तहत टॉवर स्थापित करने के लिए कंपनी को 1 लाख रुपये प्लस जीएसटी का आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा। इसके अलावा पहले से मौजूद टॉवर के लिए 1.5 लाख रुपये के आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा।

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varsha kushwaha author

वर्षा कुशवाहा टाइम्स नाऊ नवभारत में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रही हैं। नवबंर 2023 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। वह इंफ्रा, डे...और देखें

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