घर का कूड़ा, आपकी गाड़ी के लिए बनेगा सीएनजी, ग्रेटर नोएडा में लगेगा प्लांट

Greater Noida Garbage Processing Plant: ग्रेटर नोएडा में गीले कचरे को प्रोसेस कर उससे बायो सीएनजी में बदलने के लिए प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। इस बायो सीएनजी को सिटी बसों और अन्य वाहनों में इस्तेमाल किया जाएगा।

plant to convert garbage

कूड़े को सीएनजी में बदलने वाला प्लांट लगेगा (सांकेतिक फोटो)

मुख्य बातें
  • अस्तौली में बनेगा सेनेटरी लैंडफिल साइट
  • 50 टन गीले कचरे का होगा रोजाना निस्तारण
  • सिटी बसों और अन्य वाहनों में इस्तेमाल होगी बायो सीएनजी

Greater Noida Garbage Processing Plant: ग्रेटर नोएडा के लोगों को जल्द ही गीले कचरे की समस्या से निजात मिलने वाली है। यहां पर कूड़े को सीएनजी में बदलने का प्लान लगाया जाएगा। ग्रेनो में कूड़े का पूरी तरह से निस्तारण करने के लिए अस्तौली में सेनेटरी लैंडफिल साइट का निर्माण हो रहा है। यहां रोजाना 50 टन गीले कचरे का निस्तारण कर उससे बायो सीएनजी में बदला जाएगा। जिसके लिए यहां अत्याधुनिक तकनीक से लैस प्लांट स्थापित करने की तैयारी चल रही है। इस प्लांट के निर्माण की अनुमानित लागत 17 करोड़ है। परियोजना के अनुसार गीले कचरे से बनी बायो सीएनजी को सिटी बसों समेत अन्य वाहनों में भी इस्तेमाल किया जाएगा।

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प्लांट के निर्माण की तैयारी शुरू

ग्रेटर नोएडा को स्वच्छता के मामले में बेहतर बनाने के लिए गीला और सूखा समेत सभी तरह के कचरे का शत-प्रतिशत निस्तारण करने की परियोजना पर काम चल रहा है। जिसके तहत प्रतिदिन 50 टन कूड़े का निस्तारण करने के लिए प्लांट के निर्माण की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके अलावा एक अन्य प्लांट को स्थापित करने की भी तैयारी चल रही है। जिसकी क्षमता 300 टन के निस्तारण की होगी। प्राधिकरण के अनुसार गीले कचरे को प्रोसेस करके उसे बायो सीएनजी में बदलने से रोड रेडी बायो फ्यूल बनाने की प्रकिया को गति मिलेगी। इस प्लांट में बनने वाली कंप्रेस्ड बायो गैस को इंडियन स्टैंडर्ड नार्मस (BIS) और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (पेसो) के गैस सिलिंडर फिलिंग मानकों का पालन करना होगा।

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8 कंपनियों ने पेश किए सुझाव

घरेलू कूड़े का शत-प्रतिशत निस्तारण कर उससे क्या-क्या उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इसको लेकर प्राधिकरण ने ईओआई निकलकर कंपनियों से इसपर आइडियाज मांगे थे। जिसमें आठ कंपनियों ने भाग लिया और अपने सुझाव पेश किए थे। प्राधिकरण अब इन सुझावों का अध्ययन करेगा और आरएफपी निकालेगा। जिसके बाद कंपनियों को चुनकर काम शुरू करा दिया जाएगा।

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Pooja Kumari author

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