घर खरीददारों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट, GNIDA से कहा- गड़बड़ी आपकी ही पैदा की हुई है; शिकायत दूर करें, वरना...

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है और कहा कि ग्रेटर नोएडा में गड़बड़ियों के लिए आप जिम्मेदार हैं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि जब बिल्डर परियोजनाओं की शर्तों का उल्लंघन कर रहे थे तो आपने उनके प्लॉट आवंटन रद्द क्यों नहीं किया? कोर्ट ने GNIDA को जल्द शिकायत दूर करने को कहा।

Greno Authority Supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने GNIDA को लगाई फटकार

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी यानी ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए, GNIDA) जिसकी जिम्मेदारी ग्रेटर नोएडा को बसाना और लोगों को सुविधाएं देना है। लेकिन ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में इतनी समस्याएं हैं कि यहां के लोग लगभग हर छुट्टी के दिन किसी न किसी चौराहे पर धरना-प्रदर्शन करते हुए नजर आते हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट यानी नोएडा एक्सटेंशन में तो इतनी समस्याएं हैं कि लोगों ने इसे नोएडा-एक-टेंशन कहना शुरू कर दिया है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी यहां हाउसिंग प्रोजेक्ट चलाने वाले बिल्डरों पर भी नकेल नहीं कस पाती है। बिल्डरों ने अथॉरिटी के करोड़ों रुपये हड़पे हुए हैं। अथॉरिटी उन बिल्डरों से अपने बकाये की वसूली नहीं कर पाती है और अपनी इस नाकामी की सजा यहां के घर खरीददारों को उनके घरों की रजिस्ट्री रोककर देती है। घर खरीददारों की समस्याओं को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने अथॉरिटी को फटकार लगाई है।

घर खरीददारों की समस्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए, GNIDA) को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने अथॉरिटी से घर खरीददारों की शिकायतों को समाप्त करने के लिए प्रस्ताव पेश करने को कहा है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कर्ज में डूबी बिल्डर कंपनी अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की दिवालिया कार्यवाही से जुड़ी 12 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

ये भी पढ़ें - UP Holiday 2025 List: उत्तर प्रदेश में 2025 में छुट्टियों की पूरी लिस्ट; यूपी के लोग इन्हें देखकर बनाएं प्लान

NCLAT ने NCLT के खिलाफ घर खरीददारों की एक याचिका को खारिज कर दिया था। जिसमें NCLT ने अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के अधिग्रहण के लिए अल्फा कॉर्प डेवलपमेंट के समाधान की योजना को मंजूरी दी थी।

शिकायतें दूर करें या CBI जांच को तैयार रहें

देश की शीर्ष अदालत ने GNIDA के रुख पर नाराजगी जताई और कहा कि गड़बड़ी के लिए आप जिम्मेदार हैं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि GNIDA घर खरीददारों की शिकायतों को दूर करने के लिए कोई योजना पेश करे, अगर ऐसा नहीं होता है तो सुप्रीम कोर्ट गड़बड़ी की जांच CBI को सौंप सकती है।

ये भी पढ़ें - यहीं पर यज्ञ करने के बाद ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, तीर्थों का तीर्थ है ये शहर

आपने ही गड़बड़ी पैदा होने दी

यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर GNIDA समय पर अपना जवाब दाखिल नहीं करता है तो उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि 10 दिन में आप एक योजना लेकर आएं, अन्यथा हम CBI जांच के आदेश देंगे। उन्होंने GNIDA से कहा, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि घर खरीददारों के हितों की रक्षा हो। आप भी समस्या का हिस्सा हैं, आपने ही यह गड़बड़ी पैदा होने दी है।

आपने प्लॉट आवंटन रद्द क्यों नहीं किया

चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने GNIDA से कहा कि पूरी जमीन को अपने कब्जे में लें और घर खरीददारों को उनके घर दें। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने GNIDA से विस्तृत हलफनामा मांगा है और भूमि आवंटन की तारीख के साथ ही प्राइवेट कंपनी के पक्ष में लीज डीड बनाए जाने की तारीख सहित सभी जानकारी देने को कहा। यही नहीं पीठ ने GNIDA से पूछा कि जब डेवलपर्स ने परियोजनाओं की शर्तों का उल्लंघन किया तो आपने उनके प्लॉट आवंटन को रद्द क्यों नहीं किया।

ये भी पढ़ें - सुनी होगी अंधेर नगरी चौपट राजा कहावत, चलिए जानते हैं कहां है उस राजा का उल्टा किला

अल्फा कॉर्प का कहना है कि दिवाला प्रक्रिया के जरिए ग्रेटर नोएडा में अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की तीन रुकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए वह लगभग 900 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। बता दें कि यह परियोजनाएं 2010 से 2012 के बीच शुरू हुई थीं, लेकिन अभी तक इनका काम पूरा नहीं हुआ है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। ग्रेटर नोएडा (Cities News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited