बिल्डिंगें जर्जर, स्टाम्प पड़े पुराने; अब भी रजिस्ट्री की राह देख रहे नोएडा-ग्रेटर नोएडा वासी

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लोगों ने अपने भविष्य के घर का सपना देखा था। लेकिन बिल्डरों और अथॉरिटी के अधिकारियों की मिलीभगत ने इसे बुरे सपने में बदल दिया है। वर्षों से अपने घरों की रजिस्ट्री के लिए लड़ रहे लोगों के फिजिकल स्टाम्प पेपर पुराने पड़ गए हैं। ये हमारा नहीं, सरकार का कहना है। सरकार ने ऐसे फिजिकल स्टाम्प पेपर को 31 मार्च के बाद अमान्य घोषित कर दिया है। समझते हैं क्या है पूरा माजरा -

Greater Noida resitry.

पुराने फिजिकल स्टाम्प पेपर हा जाएंगे बेकार

'सपनों का घर' ये शब्द जब भी सुनते या पढ़ते हैं, तब नोएडा-ग्रेटर नोएडा के लोग खून के आंसू रोते हैं। 2008 के आसपास नोएडा-ग्रेटर नोएडा में प्रॉपर्टी का जबरदस्त बूम आया। हर तरफ सड़कों पर बड़े-बड़े बोर्ड और बैनर नजर आने लगे, अखबार के पन्ने भी उनके विज्ञापनों से भरे रहते थे। कहीं सपनों का घर बेचा जा रहा था तो कहीं पर केपटाउन, पेरिस, लंदन और न्यूयॉर्क जैसी लाइफस्टाइल देने का सपना। बिल्डरों के इन विज्ञापनों की तरफ हजारों-लाखों घर खरीदार आकर्षित हुए। बस फिर क्या था उन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई लगाकर अपने लिए सपनों का घर बुक करवा लिया। सपना था एक ऐसी जिंदगी का, जो विदेशों में लोग जीते हैं। लेकिन इन सपनों को चकनाचूर होते ज्यादा देर भी नहीं लगी। पिछले करीब 17 वर्षों में बार-बार घर खरीदारों के सपने टूटे हैं। अब उन पर एक और मुसीबत टूट पड़ी है। उन्होंने अपने घर की रजिस्ट्री के लिए वर्षों पहले जो फिजिकल स्टाम्प पेपर खरीदे थे वह 31 मार्च के बाद बेकार हो जाएंगे। सरकार का कहना है कि 31 मार्च के बाद फिजिकल स्टाम्प मान्य नहीं होंगे। चलिए इस बारे में विस्तार से समझते हैं -

खबर क्या है?

उत्तर प्रदेश सरकार ने 11 मार्च 2025 को एक अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना के अनुसार 31 मार्च के बाद 10 से 25 हजार तक के फिजिकल स्टाम्प पेपर मान्य नहीं होंगे। जैसे ही यह खबर सामने आई, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में घर खरीदारों की नींद उड़ गई। एक आंकड़े के मुताबिक अकेले गौतमबुद्ध नगर जिले में ही 50 हजार से अधिक फ्लैट खरीदारों के पास फिजिकल स्टाम्प पेपर रखे हुए हैं।

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घर खरीदारों की क्या समस्या है?

घर खरीदारों को इस फैसले से क्या समस्या है? इस प्रश्न का उत्तर बिल्डर और नोएडा व ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों का नेक्सस है। इतने साल बीत जाने के बाद पूरे नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में आज भी हजारों लोगों को अपने सपनों का घर या फ्लैट नहीं मिला है। जिन कुछ लोगों को फ्लैट या घर मिला है, उनमें से ज्यादातर की रजिस्ट्री अब तक नहीं हुई है। जबकि बिल्डर के कहने पर उन्होंने रजिस्ट्री के लिए वर्षों पहले फिजिकल स्टाम्प पेपर खरीद लिए थे। समस्या ये है कि अब उनके यह स्टाम्प पेपर रद्दी होने जा रहे हैं।

पुराने फिजिकल स्टाम्प पेपर के बदले क्या मिलेगा?

जिन लोगों ने अपने घर की रजिस्ट्री के लिए फिजिकल स्टाम्प पेपर खरीदकर रखे हैं, वह उन्हें जिला प्रशासन के पास जमा करवा सकते हैं। प्रश्न उठ सकता है कि जब पुराने स्टाम्प पेपर वापस हो जाएंगे तो समस्या क्या है? इसमें समस्या ये है कि घर खरीदारों को अपने पुराने फिजिकल स्टाम्प पेपर के बदले सिर्फ 90 फीसद राशि ही वापस मिलेगी। यानी 10 फीसद की कटौती कर ली जाएगी। जबकि इतने वर्षों से उनकी राशि ब्लॉक है, जिसे अगर वह कहीं निवेश करते तो उसके बदले वह अच्छी खासी कमाई कर सकते थे। रजिस्ट्री न हो पाने के लिए घर खरीदारों की कोई गलती नहीं है, इसके बावजूद उनके खरीदे गए फिजिकल स्टाम्प पेपर पर 10 फीसद की कटौती की जाएगी।

सरकार वहन करे खर्च

घर खरीदार तो वर्षों से अपने घरों की रजिस्ट्री करवाने के लिए हर रविवार को धरना प्रदर्शन कर ही रहे हैं। रजिस्ट्री न होने के लिए सीधे तौर पर अथॉरिटी और बिल्डर जिम्मेदार हैं। लोगों का कहना है कि अगर सरकार फिजिकल स्टाम्प पेपर को रद्द करने का मन बना ही चुकी है तो, 10 फीसद की जो कटौती होनी है, उसे सरकार वहन करे। बिना गलती के वह क्यों 10 फीसद नुकसान झेलें।

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रजिस्ट्री क्यों नहीं हुई?

आज तक फ्लैटों की रजिस्ट्री क्यों नहीं हुई? यह प्रश्न बिल्डरों और अथॉरिटी के अधिकारियों की मिली भगत से उपजा है। जी हां, अथॉरिटी ने टोकन मनी लेकर बिल्डरों को जमीनें अलॉट कीं। फिर बिल्डरों ने एक के बाद एक उनमें अपने प्रोजेक्ट लॉन्च करके आम लोगों को हवा में फ्लैट बेच दिए। लोगों ने योजनाओं पर अपनी जीवनभर की कमाई लगा दी, लेकिन कई योजनाएं तो आज तक पूरी नहीं हुईं। कुछ योजनाएं जरूर पूरी हुईं या आंशिक रूप से पूरी हो गईं और कुछ घर खरीदारों को उनके फ्लैट मिल गए। लेकिन बिल्डर ने अथॉरिटी से मिली समय-सीमा के भीतर प्लॉट की बाकी रकम नहीं चुकाई। बिल्डर ने घर खरीदारों से तो उनके फ्लैट की पूरी कीमत वसूल ली, लेकिन अथॉरिटी को प्लॉट की पूरी कीमत नहीं चुकाई। इस पूरे खेल में घर खरीदार की कोई गलती नहीं है। लेकिन अथॉरिटी ने फ्लैटों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी, क्योंकि बिल्डरों ने उसका पैसा नहीं चुकाया। अथॉरिटी के पास बिल्डर से अपने प्लॉट की कीमत वसूलने के कई और उपाय भी जरूर होंगे, लेकिन उन्होंने रजिस्ट्री पर रोक लगाकर बिल्डर की बजाय घर खरीदारों को सजा देना बेहतर समझा।

क्या है रास्ता?

सबसे पहला और सबसे अच्छा रास्ता तो ये है कि सरकार तुरंत रजिस्ट्री शुरू करवाए। ताकि घर खरीदारों की समस्याएं कुछ कम हों। अथॉरिटी का बकाया न चुकाने वाले बिल्डरों को किसी अन्य तरीके से सजा दें, न कि इसके लिए घर खरीदारों को परेशान किया जाए। इसके अलावा जिन घर खरीदारों पास पुराने फिजिकल स्टाम्प पेपर हैं, उन्हें रजिस्ट्री के समय इस्तेमाल की छूट दें। एक अन्य विकल्प है कि सरकार सभी फिजिकल स्टाम्प पेपर धारी घर खरीदारों को फिजिकल से ई-स्टाम्प में निशुल्क एक्सचेंज की सुविधा दे।

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लोगों की राय क्या?

स्थानीय लोगों का कहना है कि इतने वर्षों बाद भी रजिस्ट्री न होने के लिए सीधे तौर पर बिल्डर और अथॉरिटी के अफसर जिम्मेदार हैं। अदालत का दरवाजा खटखटाना ही घर खरीदारों के लिए अंतिम रास्ता बचा है। Timesnowhindi ने इस बारे में घर खरीदारों की संस्था नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार से बात की। उन्होंने कहा कि फिजिकल स्टाम्प पेपर को अमान्य घोषित किए जाने के फैसले के खिलाफ वह कोर्ट जा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमेशा सोच-समझकर घर खरीदारों को परेशान किया जाता है। जब मन करता है फरमान जारी देते हैं। यह नहीं सोचते कि इससे घर खरीदारों पर क्या बीतेगी।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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