पाकिस्तान के पास स्थित भारत का ये गांव बना सोलर विलेज, खपत से अधिक हो रहा बिजली का उत्पादन

गुजरात के बनासकांठा में स्थित मसाली गांव भारत का पहला सोलर विलेज बन गया है। इस गांव में शत-प्रतिशत छतों पर सोलर लग गया है, जिससे खपत से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है।

फाइल फोटो।

गुजरात के बनासकांठा जिले के अंतर्गत मसाली गांव भारत का पहला ‘सीमावर्ती सौर गांव’ बन गया है। यहां प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त योजना के तहत 199 घरों में ‘सोलर रूफटॉप’ (छतों पर सौर ऊर्जा पैनल) लगाने का काम पूरा हो गया है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान की सीमा से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 800 की आबादी वाले इस गांव में यह योजना राजस्व विभाग, उत्तर गुजरात विज कंपनी लिमिटेड, बैंकों और सौर ऊर्जा कंपनियों के सहयोग से 1.16 करोड़ रुपये की लागत से क्रियान्वित की गई है।

225.5 किलोवाट बिजली का उत्पादन

बताया गया कि कुल 225.5 किलोवाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, जो गांव की आवश्यकता से अधिक है। मसाली, बनासकांठा जिले के 17 सीमावर्ती गांवों में से पहला ऐसा गांव हैं जो इस योजना के तहत पूर्णत: लाभान्वित हुआ है। बयान में कहा गया है, ‘‘यह देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके भविष्य के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों का हिस्सा है। जिला प्रशासन के प्रयासों से मसाली पूरी तरह से सौर ऊर्जा आधारित गांव बन गया है। गांव में कुल 119 घरों की छतों पर सौर ऊर्जा पैनल लगाए गए हैं।’’

सीमावर्ती क्षेत्र का पहला सौर गांव

विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस परियोजना को प्रधानमंत्री सूर्य घर बिजली योजना के तहत 59.81 लाख रुपये का अनुदान, 20.52 लाख रुपये के सार्वजनिक योगदान और 35.67 लाख रुपये की कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निधि से कार्यान्वित किया गया है। बनासकांठा के जिलाधिकारी मिहिर पटेल ने कहा, ‘‘यह गर्व और खुशी की बात है कि मोढेरा के बाद मसाली को राज्य का दूसरा और देश के सीमावर्ती क्षेत्र का पहला सौर गांव होने का खिताब मिला है।’’

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