चित्रकूट की गुप्त गोदावरी में मिली तीसरी गुफा, अंदर है अद्भुत कलाकृतियां, जानिए इसका रहस्य
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में गुप्त गोदावरी के पास तीसरी गुफा का पता चला है। वहीं इस गुफा के अंदर पाई जाने वाली आकृतियां लोगों के लिए आकर्षण का क्रेंद्र बन गई हैं।
चित्रकूट, गुप्त गोदावरी गुफा
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में गुप्त गोदावरी के पास तीसरी गुफा का पता चला है। वहीं इस गुफा के अंदर पाई जाने वाली आकृतियां लोगों के लिए आकर्षण का क्रेंद्र बन गई हैं। भूवैज्ञानिकों को भी गुफा की ये आकृतियां आकर्षित कर रही हैं। इस गुफा का पता चलने के बाद देश के प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक गुफा का अध्ययन करने के लिए चित्रकूट जा रहे हैं।
आपको बता दें कि यहां ग्लोबल जियो पार्क का परीक्षण करने पहुंची टीम के प्रमुख भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. सतीश त्रिपाठी और सदडीएसएन कॉलेज उन्नाव के भूगोल विभाग के डॉ. अनिल साहू ने चित्रकूट के तीसरी गुफा का सर्वेक्षण किया है। जिसके बाद उनकी टीम के हवाले से ही पता चला है कि गुप्त गोदावरी की पहाड़ी एक तरह के चूने से बने पत्थर से तैयार हैं, जिसे लाइमस्टोन कहते हैं।
लाइमस्टोन से बनी है पहाड़ी
इसी तरह जब पहाड़ी के ऊपर से पेड़-पौधों की जड़े के माध्यम से जब पानी गुफाओं तक पहुंचता है तो इन लाइमस्टोन चट्टानों के घुलने से गुफाओं का निर्माण होता है। ऐसा माना जाता है कि गुप्त गोदावरी की पहली दोनों गुफाएं भी इसी तरह से बनी थी।
6 फीट ऊंची है तीसरी गुफा
पहाड़ों पर भी धीरे-धीरे इसी तरह से गुफाओं का निर्माण हो रहा है। वहीं यहां आई टीम ने इस तीसरी गुफा के अंदर जाकर गुफा की बनावट और इसके अंदर मौजूद कलाकृतियों का निर्माण किया है। टीम का कहना है कि गुफा में प्रवेश करने की जगह काफी संकरा है,जिसमें बहुत मुश्किल से एक आदमी ही किसी तरह प्रवेश कर सकता है। वहीं यह करीब 6 फीट ऊंची है और दो भागों में बटी हुई है।
स्टेलेक्टाइट और स्टेलेग्माइट की गुफाएं
इस गुफा को देखने के बाद ऐसा लगता है कि गुफा में लाइमस्टोन चट्टानों के घुलने से इस गुफा का निर्माण हुआ है। इसके अंदर स्टेलेक्टाइट और स्टेलेग्माइट पाए गए हैं। यह एक तरह की चट्टान से तैयार सरंचना है, जो गुफा के छत से टपकने वाले बारिश के पानी के खनिज के अवक्षेपणों से निर्मित होता है।
गुप्त रूप से बहती है गोदावरी
आपको बता दें कि चित्रकूट में गुप्त गोदावरी गुफा का अपना अलग महत्व है। कहां जाता है कि यहां के गुफा में गोदावरी गुप्त रूप से बहती है और बाहर आकर विलुप्त हो जाती है। यहीं भगवान श्रीराम ने अपने 14 वर्षों के वनवास काल में 11 वर्ष बिताए थे। गुफा में प्रवेश करने पर लोगों को घुटने तक भरे पानी से होकर गुजरना पड़ता है।
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