Shiva Temple in Gurugram: गुरुग्राम के ईंछापुरी के मंदिर में होती हैं सभी इच्छाएं पूरी, महाशिवरात्रि पर लगता है मेला

Shiva Temple in Gurugram: पटौदी के पास ईछापुरी गांव में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में लाखों भक्‍तों की आस्‍था बसती है। इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग अपने आप जमीन से प्रकट्य हुई है। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी होती है, जिसकी वजह से गांव का नाम ईछापुरी पड़ा। महाशिवरात्रि पर यहां भव्‍य मेले का आयोजन होता है।

ईछापुरी प्राचीन शिव मंदिर

मुख्य बातें
  • मंदिर में विराजमान शिवलिंग जमीन से प्रकट्य हुई
  • प्राचीन शिव मंदिर का इतिहास करीब 500 साल पुराना
  • मंदिर में आने वाले भक्‍तों की हर मुराद होती है पूरी


Shiva Temple in Gurugram: गुरुग्राम को साइबर सिटी के तौर पर देश-दुनिया में ख्‍याति मिली हुई है। यह शहर जितना आधुनिक है, उतना ही ऐतिहासिक और धार्मिक भी। यहां पर कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी प्रसिद्धी देश भर में फैली है। इन मंदिरों में से एक पटौदी के पास स्थित ईछापुरी का प्राचीन शिव मंदिर है। इस मंदिर के बारे में मान्‍यता है कि, यहां पर विराजमान शिवलिंग अपने आप जमीन से प्रकट्य हुई है। इस मंदिर में श्रद्धापूर्वक कोई भी मुराद मांगो, वह जरूर पूरी होती है। मंदिर में आने वाले भक्‍तों की इच्छाएं पूरी होने के कारण ही इस गांव का नाम भी अपभ्रंश होकर ईंछापुरी पड़ गया। महाशिवरात्रि पर यहां पर भव्‍य मेला का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।

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गांव की आबादी से दूर खेतों में बना यह मंदिर जिले के प्राचीन मंदिरों में शामिल है। मंदिर में जमीन से लगभग 15 फुट नीचे बने गर्भ गृह में स्‍थापित शिव लिंग को लेकर एक दंत कथा प्रचालित है। मान्‍यता है कि करीब 500 साल पहले यहां खेत में जुताई के दौरान हल जमीन में एक पत्थर से जा टकराया। किसान ने उस पत्थर को निकालने के लिए खोदना शुरू किया, लेकिन वह जितना जमीन को खोदता, पत्थर उतना ही जमीन में धंसता चला जाता। आखिर में परेशान होकर किसान ने यह बात गांव के लोगों को बताई। जिसके बाद गांव वाले मिल कर पत्थर को निकालने के लिए खुदाई करने लगे, लेकिन इसके बाद भी पत्थर नहीं निकला।

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जहां शिवलिंग मिला वहीं बन गया गर्भ गृह परेशान ग्रामीणों ने इसकी जानकारी पड़ोसी गांव जट शाहपुर के एक विद्वान पंडित हुक्‍म चंद वत्स को दी। पंडित जी ने खेत में पहुंच पत्‍थर की जांच कर उसे उदभूत शिवलिंग बताया और ग्रामीणों को वहां मंदिर स्थापपित करने की सलाह दी। ग्रीमणों द्वारा की गई खुदाई के दौरान शिवलिंग 15 फुट अंदर तक चला गया था, इसलिए वहीं पर गर्भ गृह बना दिया गया। कहा जाता है कि इस मंदिर के बनने के भगवान शिव की कृपा से इस गांव में खूब संपन्‍नता आई। मंदिर बनने के बाद से पं. हुकम चन्द वत्स के वंशज ही मंदिर के पुजारी नियुक्‍त होते हैं। इस मंदिर का वर्ष 1993 में स्व. सेठ नागरमल बंसल द्वारा पुननिर्माण कराया गया। साथ ही एक बड़े शिवलिंग की भी स्‍थापना की गई। मंदिर में अब 2 शिवलिंग स्थापित हैं, गर्भ गृह में मौजूद छोटा शिवलिंग खुद उद्भूत है। महाशिवरात्रि पर हर साल यहां भव्‍य तरीके से मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान गुरुग्राम व आसपास स्थित क्षेत्र के हजारों लोग हरिद्वार, गंगोत्री और गौमुख से गंगाजल लाकर यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि की तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई हैं। अगर आप भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां आना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको पटौदी आना होगा। वहां से ऑटो-टैकसी या बस के माध्‍यम से करीब ‘ 6 किमी दूर ईछापुरी गांव पहुंच सकते हैं।

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