Gurugram News: इस वजह से कम दाम में मिलती है महंगे ब्रांड की शराब, जानें शराब रैकेट का पूरा सच
महंगे ब्रांड की शराब सस्ते में मिलने का सच सामने आ गया है। दरअसल असली ब्रांड जैसी दिखने वाली इन बोतलों में मिलने वाली शराब असली नहीं होती, बल्कि इनमें सस्ती व्हिस्की भरी होती है, ये बोतले देखने में बिल्कुल असली जैसी ही नजर आती हैं। इन नकली बोतलों को ये जालसाज गुरुग्राम समेत कई शहरों में बेचने के लिए सप्लाई करते हैं।
शराब रैकेट का ये है पूरा सच (फोटो साभार - BCCL)
ऐसे बनती है नकली ब्रांड की बोतलें
गुरुग्राम के गोल्फ कोर्स रोड, गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड, सेक्टर 29 और एमजी रोड के पास से मैदानों में शराब की खाली बोतलों को कूड़ा उठाने वाले लोग इकट्ठा करते हैं, शराब की ये खाली बोतलें मैकलन, अमृत ग्रीडी एंजल्स, ब्लैक लेबल, ग्लेनलिवेट, चिवस रीगल और ग्लेनफिडिच जैसे फेमस ब्रांड की होती है, इन बोतलों को रीबॉटलिंग यूनिट खरीदी लेती है। जिसके बाद इन्हें केमिकल का इस्तेमाल करके साफ किया जाता है। आर्टिस्टों की मदद से इन बोतलों के लिए ऑरिजिनल लेबल की कॉपी बनवाई जाती है जो देखने में बिल्कुल असली लगते हैं। इन लेबलों को बोतल पर चिपकाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है।
सस्ती व्हिस्की से भरी जाती हैं ये बोतलें
शराब की बोतलों को तैयार करने के बाद इनमें सस्ती व्हिस्की को भरा जाता है। इसके लिए जानवरों के लिए इस्तेमाल होने वाली सिरिंज का उपयोग किया जाता है। नकली व्हिस्की भरने के बाद ये बोतले देखने में बिल्कुल असली ब्रांड जैसी ही दिखती है जिसे देखकर कोई भी पहचानने में धोखा खा जाए। इन रिफिल की हुई बोतलों को ऑनलाइन या स्थानीय दुकानों पर एजेंटों के माध्यम से बेचने लिए भेज दिया जाता है।
नकली ब्रांड की बोतलों की लागत
इन फर्जी शराब की बोतलों को बनाने में जालसाजों को मात्र 750 रुपये की लागत आती है जिसे वे 2000 के आसपास की कीमत में बेचते हैं। इन खाली बोतलों को स्क्रैप डीलर से खरीदने और उसकी साफ-सफाई करने में कुल 300 रुपये खर्च होते हैं, इसके लेबल बनाने और बोतल पर लगाने में 50 रुपये खर्च होते है और इन्हें सस्ती व्हिस्की से भरने में 350 रुपये का खर्चा आता है। इस तरह ये जालसाज नकली ब्रांड की बोतल बनाकर लोगों को सस्ती शराब महंगे ब्रांड के नाम पर सस्ते में बेचते हैं।
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