हरिद्वार लोकसभा चुनाव : एक EX-CM और पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे में कड़ा मुकाबला

लोकसभा चुनाव 2024 के तहत हरिद्वार लोकसभा सीट पर सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बड़े बेटे वीरेंद्र रावत यहां से सीधे मुकाबले में हैं।

Hardwar Loksabha Constituency.

हरद्वार लोकसभा सीट का हाल

लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) में उत्तराखंड की हरद्वार सीट (Hardwar Loksabha Constituency) पर सभी की निगाहें हैं। यहां पर मुकाबला बड़ा ही रोचक है। तराई इलाके की इस सीट पर सीधा मुकाबला एक पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे के बीच है। लेकिन इस लड़ाई में एक मुस्लिम उम्मीदवार त्रिकोणीय बना रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार हरद्वार में करीब 83 फीसद हिंदू आबादी रहती है, जबकि इस धार्मिक नगरी में करीब 16 फीसद आबादी मुस्लिम है। हरद्वार सहित उत्तराखंड की सभी पांच सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान हुआ था। 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम घोषित होगा तो पता चल जाएगा कि हरद्वार की जनता ने इस बार किसे आशीर्वाद दिया है। चलिए जानते हैं हरद्वार का पूरा सियासी गणित क्या है -
पहले तो ये जान लें कि हरद्वार और हरिद्वार (Hardwar or Haridwar) दोनों एक ही जगहें हैं। जानकारों के अनुसार भोले बाबा के भक्त इस जगह को हरद्वार यानी हर का द्वार कहते हैं और भगवान विष्णु के उपासकों कों लिए यह हरि का द्वार यानी हरिद्वार है। इसलिए हरिद्वार और हरद्वार में बिल्कुल भी कंफ्यूज न हों।

हरद्वार से कैंडिडेट कौन हैं

हरद्वार लोकसभा सीट से उम्मीदवारों की बात करें तो केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) के पुत्र वीरेंद्र रावत (Virendra Rawat) को प्रत्याशी बनाया है। मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने जमील अहमद को हरद्वार से टिकट दिया। उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) ने भी मोहन सिंह असवाल (Mohan Singh Aswal) को अपना प्रत्याशी बनाया है, लेकिन सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही दिख रहा है। ये है हरद्वार सीट के सभी उम्मीदवारों की लिस्ट
  • त्रिवेन्द्र सिंह रावत - भाजपा
  • वीरेंद्र रावत - कांग्रेस
  • जमील अहमद - बसपा
  • मोहन सिंह असवाल - UKD
  • अवनलश कुमार - निर्दलीय
  • करण सिंह सैनी इंजीनियर - निर्दलीय
  • पवन कश्यप - निर्दलीय
  • उमेश कुमार (पत्रकार) - निर्दलीय
  • विजय कुमार - निर्दलीय
  • सुरेश पाल - BHRED
  • बलबीर सिंह भंडारी - UKSP
  • ललित कुमार - PPI(D)
  • अकरम हुसैन - IND
  • आशीष ध्यानी - IND

त्रिवेंद्र सिंह रावत

त्रिवेंद्र सिंह रावत 18 मार्च 2017 से 10 मार्च 2021 तक राज्य के 8वें मुख्यमंत्री रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही समय बाद जुलाई 2017 में उनके एक ट्वीट से विवाद खड़ा हो गया था। उन पर उत्तराखंड का मुख्यमंत्री होने के बावजूद कुमाऊंनी भाषा की जगह गढ़वाली को तरजीह देने का आरोप लगा था। जुलाई 2019 में वह एक बार फिर विवादों में तब आए जब उन्होंने बयान दिया कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है जो ऑक्सीजन छोड़ती है, इसलिए गायों के करीब रहने से टीबी ठीक हो सकती है। चमोली में अचानक आई बाढ़ के कुप्रंधन व कई विधायकों व मंत्रियों के उनके प्रति असंतोष के चलते दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के साथ बैठक के बाद उन्होंने 9 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री बद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 2022 का विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ा था। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वह एक तरह से राजनीतिक फलक से गायब रहे, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हरद्वार से उनके नाम की घोषणा ने कई लोगों को चौंका दिया था।

वीरेंद्र रावत

वीरेंद्र सिंह रावत की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत के बड़े पुत्र हैं। वह यूथ कांग्रेस से लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी तक में कई पदों पर रहे हैं। वीरेंद्र रावत के पिता हरीश रावत स्वयं हरद्वार सीट से सांसद रहे हैं। हरीश रावत ने साल 2009 में यहां से लोकसभा चुनाव जीता था और बाद में वह केंद्र की यूपीए-2 सरकार में पहले राज्यमंत्री और बाद में कैबिनेट मंत्री भी रहे।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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