Hathras Stampede : बाबा के पैरों की मिट्टी माथे पर लगाना चाहते थे भक्त...एक झटके में लगा लाशों का ढेर, कहां गया 116 मौतों का गुनहगार?
Hathras Stampede : हाथरस हादसे का गुनहगार 'भोले बाबा' सूरज पाल अपने आश्रम से गायब है। 116 लोगों की मौत के बाद प्रत्यक्षदर्शियों ने मौत के मंजर को साझा किया है। लोगों का कहना है कि कार्यक्रम स्थल की जमीन कीचड़ और फिसलन से भरी थी। लेकिन, बाबा के दर्शन की होड़ में भगदड़ मच गई। आइये जानते हैं उस दौरान क्या-क्या हुआ?

हाथरस भगदड़ केस
Hathras Stampede : उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में आयोजित एक सत्संग में मंगलवार को प्रवचनकर्ता भोले बाबा के दर्शन के लिए अनुयायियों में होड़ लग जाने और वहां की जमीन कीचड़ और फिसलन भरी होने से भगदड़ मची। भगदड़ मचने से 116 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गये। स्वास्थ्य केंद्र में शव बिखरे पड़े थे, जबकि लोग उनके चारों ओर इकट्ठा होकर दहाड़े मारकर रो रहे थे। एक-दूसरे को सांत्वना देते लोग हादसे की वजह पर बात कर रहे थे। सिकंदराराऊ ट्रॉमा सेंटर के बाहर दिल दहला देने वाले दृश्य देखने को मिले, जहां पुलराई गांव में 'सत्संग' में हुई भगदड़ में मृत या बेहोश पीड़ितों को एंबुलेंस, ट्रक और कारों में लाया गया था। हालांकि, अभी तक 116 मौतों का गुनहगार बाबा पुलिस के हाथ नहीं आया, लेकिन आश्रम में उसकी मौजूदगी बताई जा रही है।
त्रासदी के लिए प्रशासन जिम्मेदार?
एक महिला ट्रक में पांच या छह शवों के बीच बैठी रो रही थी और लोगों से अपनी बेटी के शव को वाहन से बाहर निकालने में मदद करने का आग्रह कर रही थी। एक वीडियो क्लिप में एक पुरुष और एक महिला को दूसरे वाहन में बेजान पड़े हुए दिखाया गया। कई घायलों को स्थानीय सरकारी अस्पताल के प्रवेश द्वार के पास चिंतित रिश्तेदारों से घिरे हुए देखा गया। स्थानीय लोगों ने इस त्रासदी के लिए प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। जैसे-जैसे दिन बीतता गया, मृतकों की आधिकारिक संख्या बढ़ती गई और ट्रॉमा सेंटर तथा शवगृह के बाहर भीड़ बढ़ती गई।
नहीं थी ऑक्सीजन की कोई सुविधा
देर शाम अलीगढ़ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक शलभ माथुर ने मृतकों की संख्या 116 बताई। इस हादसे में कई अन्य घायल हुए। अस्पताल के बाहर एक आक्रोशित युवक ने कहा कि लगभग 100-200 लोग हताहत हुए हैं और अस्पताल में केवल एक डॉक्टर था। ऑक्सीजन की कोई सुविधा नहीं थी। कुछ लोग अभी भी सांस ले रहे हैं, लेकिन उचित उपचार सुविधाएं नहीं हैं। सत्संग में शामिल होने के लिये अपने परिवार के साथ जयपुर से आयी एक महिला ने एटा में पोस्टमार्टम हाऊस के बाहर बताया कि सत्संग के समापन के बाद लोग एकदम से बाहर निकलने लगे, जिससे भगदड़ मच गयी।
बाबा के पैर छूने के चक्कर में मची भगदड़
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि हम सद्भावना कार्यक्रम समाप्त होने से पहले ही वहां से चले गए थे। कार्यक्रम पूर्वाह्न करीब 11.30 बजे शुरू हुआ था। धक्का-मुक्की के कारण यह घटना हुई। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार वहां की व्यवस्थाएं कम थीं। प्रत्यक्षदर्शी सोनू कुमार ने बताया कि पानी की टंकियों और बारिश के पानी ने आस-पास की नालियों को भर दिया था, जिससे सतह फिसलन भरी हो गई थी। सोनू ने बताया कि जब गुरु जी लगभग डेढ़ घंटे बाद वहां से निकले तो भक्त अचानक उनके पीछे उनके पैर छूने के लिए दौड़े। जैसे ही उनकी कार वहां से निकली, भक्तों को जमीन पर झुकते देखा जा सकता था।
10,000 लोगों की भीड़
सोनू कुमार ने बताया कि इसके बाद जब लोग वापस लौटे तो अचानक फिसलन भरी जमीन के कारण वे एक-दूसरे पर गिर पड़े। उन्होंने बताया कि वहां कम से कम 10,000 लोगों की भीड़ थी। एटा के पोस्टमार्टम हाउस पर आए एक वृद्ध कैलाश ने बताया कि आज ‘साकार विश्व हरि भोले बाबा’ के सत्संग में बड़ी संख्या में भक्तगण शामिल हुए और आरती के बाद वापस आते समय रास्ते में कीचड़ था, कुछ लोग वहां गिर गए और भगदड़ मच गई।
बाबा के पैरों की मिट्टी इकट्ठा करने के चक्कर में राख में मिल गए 116 लोग
उन्होंने कहा कि लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर गए और इसी बीच पीछे से आ रही भीड़ गिरे हुए लोगों को कुचलते हुए आगे आगे बढ़ गयी जिसमें बडी संख्या में लोगों की मौत हो गई और भारी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। सिकंदराराऊ के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) रवेंद्र कुमार के अनुसार, भगदड़ तब हुई जब श्रद्धालु सत्संग के अंत में प्रवचनकर्ता भोले बाबा की एक झलक पाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वे बाबा के पैरों के आसपास की मिट्टी इकट्ठा करना चाहते थे। सिकंदराराऊ थाने के प्रभारी निरीक्षक आशीष कुमार ने हादसे के लिए प्रवचनकर्ता भोले बाबा के सत्संग में भीड़भाड़ को जिम्मेदार ठहराया।
एडीजी ने कही ये बात
आगरा जोन के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अनुपम कुलश्रेष्ठ ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि प्रवचन चल रहा था, जिसमें ज्यादातर महिलाएं प्रवचन सुनने गई थीं। जब प्रवचन समाप्त हुआ, तो अचानक भीड़ लग गई, महिलाओं को घुटन महसूस हुई, उसके बाद इस घटना के बारे में पता चला। एडीजी ने कहा कि यह बहुत ही दर्दनाक हादसा है, हमारी प्राथमिकता उन लोगों को उपचार उपलब्ध कराना है जो घायल हुए हैं, और हम मृतक श्रद्धालुओं की औपचारिकताएं जल्द से जल्द पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने (एडीजी) कहा कि हम सभी मृतकों की पहचान कर रहे हैं और उनकी तस्वीरें ले रहे हैं, ताकि हम उनके शवों को उनके परिवारों को सौंप सकें। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम की अनुमति एसडीएम ने दी थी और वहां उचित पुलिस व्यवस्था थी। उन्होंने कहा कि करीब 40 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे।
(इनपुट-भाषा)
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