हाथरस भगदड़ हादसे के दर्द : 100 से ज्यादा लाशें देख चुका हूं... पर बहन का कुछ पता नहीं चल रहा, भाई का फूटा दर्द

हाथरस भोले बाबा के सत्संग की भगदड़ में लापता महिला के भाई ने कहा 100 से ज्यादा शव देख चुका कुछ पता नहीं चला, ये दर्द है लाशों के ढेर में अपनों को तलाशने वाले लोगों का...

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हाथरस भगदड़ हादसे के दर्द

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भगदड़ की घटना के बाद से लापता 50 वर्षीय महिला के भाई ने बुधवार को कहा, 'अपनी बहन को ढूंढने की कोशिश में मुझे 100 से ज्यादा शवों को देखना पड़ा।' ये दर्द है 46 साल के राकेश कुमार का जो अपनी बहन हरबेजी देवी की तलाश में मोटरसाइकिल से हाथरस, एटा और अलीगढ़ के पोस्टमार्टम हाउस की खाक छानते रहे।

हाथरस में एक 'सत्संग' में मंगलवार को मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या बुधवार को बढ़कर 121 हो गई है।उत्तर प्रदेश पुलिस ने सत्संग के आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें उन पर साक्ष्य छिपाने और आयोजन की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। कार्यक्रम में ढाई लाख लोग एकत्र हुए थे, जबकि केवल 80,000 लोगों के ही एकत्र होने की अनुमति दी गई थी।

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हरबेजी 'सत्संग' में गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी हैं

हाथरस जिले के फुलरई गांव में प्रवचनकर्ता बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि 'भोले बाबा' का सत्संग जब समाप्ति की ओर था उस दौरान यह घटनी घटी।उत्तर प्रदेश के कासगंज निवासी कुमार ने बताया, "मंगलवार को मुझे अलीगढ़ के एक गांव में रहने वाले मेरे बहनोई का फोन आया। उन्होंने बताया कि हरबेजी 'सत्संग' में गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी हैं जबकि उनके पड़ोसी (जो कार्यक्रम में शामिल होने गए थे) घर पहुंच गए हैं।"कुमार तुरंत अपनी मोटरसाइकिल से भगदड़ स्थल की ओर रवाना हो गए लेकिन उन्हें वहां अपनी बहन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।

'मेरे सारे प्रयास व्यर्थ रहे, मैं अब तक उन्हें नहीं ढूंढ पाया'

उन्होंने कहा, 'मुझे बताया गया कि कुछ शव हाथरस और अलीगढ़ भेजे गए हैं। फिर मैं अपनी बहन को ढूंढते हुए वहां गया। मैंने आकस्मिक वार्ड भी देखा, जहां घायलों का इलाज किया जा रहा था, लेकिन वह वहां भी नहीं मिलीं। 'कुमार ने कहा, 'मैंने प्रशासन द्वारा जारी मृतकों की सूची भी देखी है और हर हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके उसे ढूंढने की कोशिश की है, लेकिन मेरे सारे प्रयास व्यर्थ रहे। मैं अब तक उन्हें नहीं ढूंढ पाया। मैं अब भी कोशिश कर रहा हूं।'

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उन्होंने बताया कि हरबेजी के दो बेटियां और दो बेटे हैं।कुमार की तरह कई अन्य लोग भी थे, जो अपने लापता परिजनों की तलाश में या अपने प्रियजनों के शव लेने के लिए आसपास के जिलों से 'पोस्टमार्टम हाउस' पहुंचे।

'उनकी मां लगभग एक दशक से भोले बाबा की भक्त थीं'

मथुरा के विशाल कुमार ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद वह मौके पर गए और हर जगह तलाश की, लेकिन उनकी मां पुष्पा देवी नहीं मिलीं। विशाल कुमार ने कहा, 'आखिरकार हमें पता चला कि उनका शव पोस्टमार्टम के लिए आगरा भेज दिया गया है, इसलिए मैं यहां आया हूं।'उन्होंने बताया कि उनकी मां लगभग एक दशक से भोले बाबा की भक्त थीं।

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रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

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