भारी बारिश और बाढ़ ने बढ़ाई बिहार के तुतला भवानी झरने की खूबसूरती, देखें तस्वीरें
बिहार में इन दिनों भारी बारिश और बाढ़ का प्रकोप देखने को मिल रहा है। लेकिन इस बीच सासाराम में माता तुतला भवानी मंदिर के पास जबरदस्त झरना और भी खूबसूरत नजर आ रहा है। हालांकि, झरने का शोर दिल में खौफ भी पैदा कर रहा है, जो दूर से ही सुनाी दे रहा है।
तुतला भवानी झरना
भारत की खूबसूरती देखनी हो तो महानगरों से निकलकर देश के अंदरूनी इलाकों में जाना होगा। यहां भी मानसून के मौसम में खूबसूरती जबरदस्त तरीके से मामने आती है। हर तरफ हरियाली का राज और आसमान से आशीर्वाद सी गिरती पानी की बूंदें, तन-मन को तर कर जाती हैं। फिर जगह-जगह बनने वाले खूबसूरत झरने मन को हर लेती हैं। ऐसा ही नजारा आज बिहार के सासाराम में देखने को मिल रहा है। यहां भारी बारिश और बाढ़ के कारण मां तुतला भवानी धाम के पास तुतला भवानी झरना अपने पूरे वेग से बह रहा है। दूर से ही इसकी खूबसूरती और लाखों गैलन गिरते पानी की भयावहता का अंदाजा इसकी आवाज से ही लगाया जा सकता है।
मां तुतला भवानी को तुतला या तुतला धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह डेयरी ऑन सोन से करीब 20 किमी दक्षिण-पश्चिमी में स्थित है। यहां पर श्रद्धालु मां तुतला भवानी के मंदिर में मां से आशीर्वाद लेने आते हैं। इसके अलावा यहां पर बहुत ही खूबसूरत झरना भी है। इस झरने की खूबसूरती निहारते-निहारते आप थकेंगे नहीं।
तुतला भवानी मंदिर के आसपास खूब प्राकृतिक खूबसूरती बिखरी पड़ी है। यहां पर तुतराही झरने के बीच में ही महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा स्थापित है। इस इलाके में ऐसा कोई दूसरा बड़ा और सुंदर झरना नहीं है।
तुतला भवानी मंदिर शहर को शोर-ओ-गुल से काफी दूर है। यहां प्रदूषण के लिए कोई जगह नहीं है। हर तरफ सुंदरता का ही राज है। यहां का झरना तो खूबसूरत है ही, जिस पहाड़ से झरने गिरता है, उसकी खूबसूरती भी कम नहीं।
यहां पर जैसा झरना है, वैसा पूरे बिहार में कहीं देखने को नहीं मिलता। विशेषतौर पर आजकल बरसात के मौसम में जब पहाड़ी पर हर तरफ हरा रंग चढ़ा हुआ है, वैसे में झरने का मटमैला रंग खूबसूरती के साथ ही डरावना एहसास भी देता है।
कहा जाता है कि यहां पर मां तुतला भवानी के मूर्ति की स्थापना 12वीं सदी में राजा देवप्रताप धवल ने करवाई थी। माता के मंदिर पर दो शिलालेख हैं, जिसमें से एक आठवीं सदी का शारदा लिपि में है तो दूसरा 12वीं सदी का है।
जिस नदी पर यह झरना बना है, उसे कछुअर नदी कहा जाता है। इस झरने के पानी को सतकुंडवा का पानी भी कहते हैं। क्योंकि यहां माता के मंदिर के ठीक ऊपर पहाड़ी पर सात कुंड हैं। इन सातों कुंडों से होकर झरने का पानी गिरता है। नीचे गिरने पर यह तूतराही नदी कहलाती है।
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