Saharanpur Holi Celebration: सहारनपुर का अनोखा गांव, जहां नहीं होता होलिका दहन, क्यों इस परंपरा को मानते हैं लोग

Saharanpur Holi Celebration: सहारनपुर के बरसी गांव में लोग होलिका दहन नहीं करते हैं। गांव की औरतें पड़ोस के गांव में होलिका दहन के लिए जाती है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है।

होलिका दहन (फोटो साभार - istock)

Saharanpur Holi 2024: उत्तर प्रदेश में सहारनपुर में एक ऐसा भी गांव है, जहां पर होलिका दहन नहीं किया जाता है। इसके पीछे की वजह भी आपको हैरानी में डाल देगी। दरअसल सहारनपुर के बरसी गांव में 'होलिका दहन' नहीं किया जाता। गांव के लोगों का मानना है कि अगर यहां होलिका दहन किया गया तो भगवान शिव के पैर जल जाएंगे। इसलिए यहां 'होलिका दहन' नहीं किया जाता है।

पड़ोस के गांव में जाती हैं महिलाएं

स्थानीय महिलाएं होली की पूर्व संध्या पर 'होलिका दहन' करने पास के गांव जाती हैं। बरसी गांव में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत जितना पुराना है। मान्यता के अनुसार, मंदिर कौरवों और पांडवों द्वारा बनाया गया था। लेकिन कुछ असहमति के कारण, पांच पांडवों में से एक भीम ने अपने 'गदा' का इस्तेमाल कर मंदिर के प्रवेश द्वार की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर बदल दी।

इस परंपरा के पीछे की वजह

इस वजह से लोगों का मानना है कि गांव में भगवान शंकर का शिवलिंग स्थापित है, जो स्वयंभू शिवलिंग है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर यहां आते हैं। होलिका दहन से भगवान शिव के पैर जल जाएंगे। यही वजह है कि बरसी गांव में होलिका दहन नहीं होता है। ग्राम प्रधान आदेश चौधरी ने कहा कि होलिका दहन के लिए सभी महिलाएं पास के गांव तिक्रोल जाती हैं। मुझे नहीं पता कि यह अनुष्ठान कब से शुरू हुआ, लेकिन यह हमेशा से ऐसा ही रहा है। यह एक परंपरा है और सीधे धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है। किसी ने भी इसे बदलने की कोशिश नहीं की। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इसे बदलेगा।

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