जामनगर के महाराजा दिग्विजय सिंह कैसे बन गए पोलैंड के Good Maharaja, जानें पूरी कहानी

यूरोपीय देश पोलैंड में भारत के एक महाराजा के नाम का स्क्वायर बनाया गया है। यहां पर उनके नाम का एक स्कूल भी है। यही नहीं पोलैंड में उन्हें गुड महाराजा कहा जाता है। जानिए आखिर नवागनर के महाराज, पोलैंड के गुड महाराज कैसे बन गए? उन्होंने ऐसा क्या काम किया, जिसके लिए वह पोलैंड में याद किए जाते हैं।

महाराज दिग्विजय सिंह रमजीतसिंह जी जड़ेजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) हाल ही में पोलैंड गए थे। इसी पोलैंड के वार्साव में भारत के एक महाराजा को छोटा सा मेमोरियल बनाया गया है। बता दें कि रूस-युक्रेन युद्ध (Russia-Ukrain War) के दौरान जब यूक्रेन में बढ़ रहे भारतीय छात्रों को वहां से निकालने की बात आई तो उस समय पोलैंड ने ही उन्हें शरण दी। इसके बाद भारत सरकार ने पोलैंड में अपने जहाज भेजकर छात्रों को वापस लाने का काम किया। जिस महाराजा का वार्साव (WARSAW) में छोटा सा मेमोरियल है, उन्हें पोलैंड में गुड महाराजा (Good Maharaja) कहा जाता है। प्रश्न ये है कि ये महाराजा हैं कौन और पोलैंड में उन्हें इतना सम्मान की नजर से क्यों देखा जाता है? चलिए जानते हैं -

महाराजा का पूरा नामपोलैंड के Good Maharaja असल में नवानगर (आज का जामनगर) के महाराजा दिग्विजय सिंहजी रणजीतसिंहजी जड़ेजा थे। महाराजा दिग्विजय सिंह जी का जन्म 18 सितंबर 1895 को हुआ था और 3 फरवरी 1966 को उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें नवानगर के जाम साहिब भी कहा जाता है। बता दें कि दिग्विजय सिंह जी के चाचा का नाम रणजीतसिंहजी था, जिनके नाम से भारत में घरेलू क्रिकेट की सीरीज खेली जाती है।

पोलैंड में गुड महाराजा मेमोरियल पर पीएम मोदी

तस्वीर साभार : Twitter

जाम साहिब ऑफ नवानगर कैसे बने Good Maharaja

जाम साहिब ऑफ नवानगर दिग्विजय सिंह जी ने 1942 में जामनगर-बालचडी में एक रेफ्यूजी कैंप बनाया, जिसमें पोलैंड के बच्चों को शरण दी गई। उस समय दूसरा विश्व युद्ध चरम पर था और इन बच्चों को किसी तरह सुरक्षित यहां पहुंचाया गया था। महाराज ने अपने इस कैंप में पोलैंड के 1000 बच्चों को शरण दी थी। ऐसा ही एक दूसरा कैंप कोल्हापुर में भोंसले छत्रपति ने बनवाया।
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