IFFCO के MD रोशडेल पायनियर्स अवार्ड से सम्मानित, डॉ. वर्गीज कुरियन के बाद बने दूसरे भारतीय विजेता

इफको के एमडी डॉ. उदय शंकर अवस्थी प्रतिष्ठित रोशडेल पायनियर्स अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया। डॉ. वर्गीज कुरियन (Dr. Verghese Kurien) के बाद यह पुरस्कार पाने वाले डॉ. अवस्थी दूसरे भारतीय हैं।

IFFCO MD Dr Uday Shankar Awasthi

इफको के एमडी डॉ. उदय शंकर अवस्थी रोशडेल पायनियर्स अवार्ड से सम्मानित

इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी को रोशडेल पायनियर्स अवार्ड 2024 (Rochdale Pioneers Award 2024) से नवाजा गया। डॉ. वर्गीज कुरियन (Dr. Verghese Kurien) के बाद यह पुरस्कार पाने वाले डॉ. अवस्थी दूसरे भारतीय हैं। डॉ. कुरियन को वर्ष 2001 में यह पुरस्कार प्रदान किया गया था। रोशडेल पायनियर्स अवार्ड इंटरनेशनल कोऑपरेटिव अलायंस (आईसीए) की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। इस अवार्ड की शुरुआत वर्ष 2000 में हुई थी। इसका उद्देश्य एक व्यक्ति या विशेष परिस्थितियों में एक सहकारी संगठन को मान्यता देना है, जिसने नवीन और वित्तीय रूप से टिकाऊ सहकारी गतिविधियों में योगदान दिया ।

कौन हैं डॉ. अवस्थी

केमिकल इंजीनियर डॉ. अवस्थी 1976 में इफको में नियुक्त हुए। उनके नेतृत्व में इस सहकारी संस्था ने अपनी उत्पादन क्षमता में 292% और शुद्ध संपत्ति में 688% की वृद्धि की। उनके नेतृत्व में इफको ने विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में कदम रखा है, अपने व्यवसाय में विविधता लाई है और भारत के किसानों के लिए सफलतापूर्वक नवाचार और स्वदेशी नैनो उर्वरक विकसित किया है। आईसीए के अध्यक्ष एरियल ग्वार्को ने भारत में पहली बार आयोजित हो रहे आईसीए के वैश्विक सहकारी सम्मेलन में एक विशेष समारोह के दौरान 25 नवंबर को डॉ. अवस्थी को यह पुरस्कार प्रदान किया। इफको लिमिटेड आईसीए और केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की साझेदारी में आईसीए महासभा और वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 की मेजबानी कर रहा है। यह सम्मेलन नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया जा रहा है जो 30 नवंबर, 2024 को समाप्त होगा।

कृषि पद्धतियों में किया बदलाव

डॉ. अवस्थी ने कहा कि इफको ने नैनो डीएपी और नैनो यूरिया (तरल) जैसे नैनो उर्वरकों के माध्यम से टिकाऊ कृषि का समर्थन किया, कृषि पद्धतियों में बदलाव किया और पर्यावरण-अनुकूल समाधानों की मांग को पूरा किया है। स्वदेशी नैनो उर्वरकों ने लॉजिस्टिक मुद्दों से निपटने, भारत की उर्वरक आयात निर्भरता कम करने और भारी पैकेजिंग को कॉम्पैक्ट बोतलों से बदल दिया। इन नवाचारों ने मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार किया, किसानों की लाभप्रदता को बढ़ावा दिया और पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार खेती को बढ़ावा दिया है। इफको के नए स्वदेशी उत्पाद नैनो यूरिया (तरल) और नैनो डीएपी (तरल) का उपयोग अब पूरे देश के किसान खुशी से कर रहे हैं। भारत के हर कोने और कुछ अन्य देशों, विशेष रूप से पड़ोसी देशों के किसानों द्वारा व्यापक रूप से इसे स्वीकार किया जा रहा है। नैनो उर्वरकों की आपूर्ति के लिए अन्य देश भी इफको से संपर्क कर रहे हैं। भविष्य में हम 25 और देशों में नैनो उर्वरक निर्यात करने की योजना बना रहे हैं।

इफको ने नैनो डीएपी (तरल) की 44 लाख बोतलों का उत्पादन और नैनो यूरिया (तरल) की 2.04 करोड़ से अधिक बोतलें बेचकर उल्लेखनीय परिचालन सफलता हासिल की है। इसने 80,000 क्षेत्रीय प्रदर्शन आयोजित किए, 80,000 से अधिक किसानों और 1,500 ग्रामीण उद्यमियों को प्रशिक्षण दिया। इफको का कुल उर्वरक उत्पादन 88.95 लाख टन तक पहुंच गया, जिसमें 48.85 लाख टन यूरिया और 40.10 लाख टन एनपीके, डीएपी, डब्ल्यूएसएफ और विशेष उर्वरक शामिल हैं। जबकि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बिक्री कुल 112.26 लाख टन रही। इससे जैविक और रासायनिक उर्वरक के उपयोग में और वृद्धि हुई है।

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Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

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