बिहार में बना अनोखा पुल, आप भी पूछेंगे भाई ये ब्रिज कहां लेकर जाता है-कहीं नहीं?

बिहार के पुल इन दिनों खूब चर्चा में हैं। सिर्फ 3 हफ्ते में ही 13 पुल गिरने से बिहार न सिर्फ सुर्खियों में आया था, बल्कि खूब बदनामी भी हुई थी। अब एक बार फिर पुल के कारण ही बिहार चर्चा में है। लेकिन इस बार बिना अप्रोच रोड के बने पुल के कारण। जानें -

बिहार में बना अनोखा पुल

बिहार में हाल के समय में पुल गिरने की कई घटनाएं हुई हैं। एक के बाद एक पुल गिरने से बिहार और राज्य की नीतीश सरकार की जमकर आलोचना भी हुई है। लेकिन इस बार खबर पुल गिरने की नहीं बल्कि बनने की है। आमतौर पर पुल किन्हीं दो इलाकों को जोड़ते हैं या किसी नदी, नाले, रेलवे लाइन आदि के ऊपर बनाए जाते हैं। इस बार बिहार में एक ऐसा पुल चर्चा में है, जो आपको कहीं नहीं ले जाएगा। जी हां, इस पुल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। हर कोई पूछ रहा है भाई ये पुल कहां लेकर जाता है और जवाब एक ही है... कहीं नहीं... देखकर आपको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होगा। आखिर कौन इस तरह का पुल बना सकता है। किस इंजीनियर की यह कारस्तानी है और किसने इस पुल को पास कर दिया। चलिए जानते हैं पुल के बारे में -
ये तो आप जानते ही हैं कि हाल के समय में सिर्फ 3 हफ्ते के दौरान बिहार में 13 बुल गिरने की खबर नेशनल मीडिया में छा गई थी। इन पुलों के गिरने से बिहार सरकार की छवि पर जो दाग लगा था, उसे और गहरा कर दिया है यहां अररिया जिले में रानीगंज के एक गांव में बने नए पुल ने। जिसने भी इस पुल या इसकी तस्वीर को देखा वह हैरान है। राज्य में भ्रष्टाचार, इंफ्रास्ट्रक्चर व लोगों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ को लेकर हर कोई चिंतित है।

3 करोड़ में बना पुल

यह ब्रिज 3 करोड़ की लागत से बनाया गया है, जो आपको कहीं लेकर नहीं जाएगा। इस पुल को एक खुले मैदान या कहें खेत के बीच बनाया गया है। हालांकि, पुल के नीचे पानी देखा जा सकता है, जिससे पता चलता है कि यह किसी बरसाती नदी के ऊपर बनाया गया है। पुल के दोनों तरफ कहीं भी दूर-दूर तक सड़क नहीं है। सरकारी पैसे की इस तरह से बर्बादी को लेकर लोग तरह-तरह के सवाल पूछ रहे हैं। जिला प्रशासन ने भी रूरल वर्क डिपार्टमेंट (RWD) से इस पर डिटेल रिपोर्ट मांग ली है।
यह पुल 3 किलोमीटर लंबी सड़क और ब्रिज परियोजना का हिस्सा है, जो परमानंदपुर गांव में मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाई जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर मौसमी नदी बहती है, जिसकी वजह से बरसात के मौसम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। साल के दूसरे मौसम में यह सूखी रहती है। इस प्रोजेक्ट को मानसून के दौरान ग्रामीणों को मदद पहुंचाने के लिए बनाया जा रहा है।
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