देश में चलेगी अनोखी ट्रेन, जिसे चलाने के लिए न पेट्रोल-डीजल की जरूरत है और न ही कोयला या बिजली की
भारतीय रेलवे लगातार आधुनिक टेक्नोलॉजी को अपनाकर आगे बढ़ रही है। बुलेट ट्रेन का इंतजार अभी भले ही एक-दो साल और करना पड़े, लेकिन देश की पहली हाईड्रोजन ट्रेन का ट्रायल दिसंबर 2024 में होना तय है। अगर सब कुछ ठीक से चला तो जल्द ही देशभर में हाईड्रोजन ट्रेनें चलने लगेंगी।
हाइड्रोजन ट्रेन
भारतीय रेलवे देश की जीवन रेखा है। यह पूरे देश को एक सूत्र में पिरोती है। कश्मीर से कन्याकुमारी और अहमदाबाद से आईजोल तक देश के किसी भी कोने में जाने के लिए अधिकतर लोग भारतीय रेलवे पर ही निर्भर रहते हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस, तेजस और नमो भारत के साथ भारतीय रेलवे की न सिर्फ शक्ल बदल रही है, बल्कि इस पर भरोसा भी बढ़ा है। आज इन ट्रेनों में आधुनिक सुविधाएं मिल रही हैं। देश की पहली बुलेट ट्रेन का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। उम्मीद की जा रही है कि देश की पहली बुलेट ट्रेन साल 2027 में चलने लगेगी। इस बीच हम बात एक ऐसी ट्रेन की कर रहे हैं, जिसका 90 किमी का ट्रायल रन जल्द ही हरियाणा में होने वाला है। खास बात यह है कि इस ट्रेन को न तो बिजली की आवश्यकता है और न ही पेट्रोल-डीजल और कोयले जैसे पारंपरिक ईंधन की। चलिए जानते हैं इस ट्रेन के बारे में -
क्यों अनोखी है ये ट्रेन
इस ट्रेन की खासियत ही यह है कि यह ट्रेन पारंपरिक ईंधन कोयला, पेट्रोल-डीजल, गैस या बिजली से नहीं चलेगी। इस ट्रेन को खींचने के लिए हाईड्रोजन का ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। हाईड्रोजन एक ग्रीन और क्लीन एनर्जी है। यह साल 2030 तक भारत के नेट-जीरो कार्बन इमीशन के लक्ष्य के लिए बहुत ही जरूरी कदम है। याद दिला दें कि जो पानी हम पीते हैं उसमें हाईड्रोजन के 2 और ऑक्सीजन का 1 अणु होता है। यानी पानी से इन दोनों को अलग किया जा सकता है।
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कब और कहां होगा ट्रायल
देश की पहली हाईड्रोजन पावर ट्रेन का ट्रायल अगले महीने यानी दिसंबर 2024 में होगा। इस ट्रायल के साथ ही भारतीय रेलवे भविष्य की तरफ एक कदम और आगे बढ़ जाएगी। पहली हाईड्रोजन ट्रेन का ट्रालय हरियाणा में जिंद-सोनीपत रूट पर किया जाएगा। ट्रायल के दौरान ट्रेन 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 90 किमी का सफर तय करेगी। इसका मकसद पर्यावरण अनुकूल परिवहन की तरफ आगे बढ़ना है।
ऐसी भी क्या खासियत है हाईड्रोजन ट्रेन में?
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि यह कोई आम पारंपरिक ईंधन से चलने वाला लोकोमोटिव नहीं होगा। यह ट्रेन हाईड्रोजन और ऑक्सीजन के कॉम्बीनेशन से बने फ्यूल सेल से बिजली पैदा करेगी और आगे बढ़ेगी। डीजल से चलने वाली ट्रेन जहां से गुजरती है, वहां धुए के रूप में कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ती जाती है। लेकिन इस हाईड्रोजन ट्रेन से धुआं और कार्बन डाई ऑक्साइड नहीं बल्कि पानी पीछे छूटेगा। जी हां इसमें इस्तेमाल होने वाले हाईड्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर पानी बना देंगे, पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुचाएगा।
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हाईड्रोजन ट्रेन को भविष्य क्यों माना जा रहा?
- क्योंकि इससे हवा में कार्बन डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रदूषण नहीं होता।
- एक हाइड्रोजन टैंक ट्रेन के 1000 किमी तक के सफर के लिए काफी होगा।
- इस ट्रेन में डीजल इंजन के मुकाबले 60 फीसद तक कम आवाज होगी, शांति के साथ आपकी यात्रा पूरी होगी।
- यह भविष्य की टेक्नोलॉजी है, जो डीजल लोकोमोटिव का ग्रीन विकल्प है।
मेक इन इंडिया ट्रेन
इस ट्रेन की एक और खास बात यह है कि इसे विदेश से नहीं मंगवाया गया है, बल्कि यहीं भारत में बनाया गया है। तमिलनाडु में पेरम्बूर की इंटीग्रल कोच फैक्टरी (ICF) ने इसे बनाया गया है। अगर दिसंबर में किया जा रहा यह ट्रायल सफल रहता है तो भारतीय रेलवे 2025 तक ऐसी 35 हाईड्रोजन ट्रेनें देशभर में चलाने की प्लानिंग कर रहा है।
इन देशों में चल रही हाईड्रोजन ट्रेन
दुनिया के कई देशों में ग्रीन इनिशिएटिव के तहत हाईड्रोजन ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इसमें जर्मनी, स्वीडन और चीन के नाम प्रमुख तौर पर लिए जा सकते हैं। इन देशों के साथ भारत भी भविष्य की टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए तैयार है और इस पहल के जरिए भारत सस्टेनेबल ट्रांस्पोर्टेशन की तरफ एक बड़ा कदम आगे बढ़ाएगा। सोचें जब आप बहुत ही खूबसूरत ट्रेन के सफर पर हों तो आपको ट्रेन की आवाज कम सुनने को मिले, पीछे की तरफ धुंए का गुबार न उड़ रहा हो तो आपका सफर कितना आनंददायक होगा। इससे आपके शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) भी सुधरेगा।
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आगे और क्या?
What’s next? अगर आपका प्रश्न है तो उसका उत्तर है कि जल्द ही आपकी कार भी हाईड्रोजन से चलेगी। देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी तो पहले ही हाईड्रोजन कार का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, अभी देश में इलेक्ट्रिक कारों की तरफ लोगों का रुख है, लेकिन आगे चलकर हाईड्रोजन ट्रेन और कारें देश का भविष्य होंगी।
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