आदि कैलाश श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खबर; भूस्खलन के चलते इनर लाइन पास पर लगी रोक; अब कब मिलेगा परमिट?
Inner Line Permit: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में भूस्खलन की वजह से आदि कैलाश यात्रा के लिए बुधवार को इनर लाइन पास जारी नहीं हुए और माना रास्ता साफ होने तक इनर लाइन पास जारी होने भी नहीं वाला है। बता दें कि आदि कैलाश चोटी, उच्च हिमालयी क्षेत्र कुटी में स्थित है और वहां जाने के लिए प्रशासन से इनर लाइन पास लेने की जरूरत पड़ती है।
आदि कैलाश
मुख्य बातें
- रास्ता बंद होने की वजह से जारी नहीं हुए पास।
- भूस्खलन की वजह से बंद हुआ रास्ता।
- रास्ता साफ होने का इंतजार।
Inner Line Permit: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में तवाघाट के पास बड़े पत्थरों (बोल्डर) के गिरने से रास्ता बंद हो जाने के कारण बुधवार को भी आदि कैलाश यात्रा (Adi Kailash Yatra) के लिए इनर लाइन पास जारी नहीं हो सके। हालांकि, धारचूला के प्रभारी उप जिलाधिकारी श्रेष्ठ गुनसोला ने कहा, ''हम रास्ते के साफ होने का इंतजार कर रहे हैं। अगर आज रात तक भी रास्ता साफ हो जाता है तो इनर लाइन पास जारी कर दिए जाएंगे।''
श्रद्धालु कर रहे ILP की मांग
उन्होंने बताया कि यह निर्णय सीमा सड़क संगठन (BRO) की गश्ती टीम द्वारा दी गयी रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। धारचूला में उप जिलाधिकारी के कार्यालय पर 150 से ज्यादा श्रद्धालु आदि कैलाश यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट (ILP) की मांग को लेकर एकत्रित हो गए हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन
धारचूला आधार शिविर की ओर तवाघाट में 16 सितंबर को भूस्खलन के कारण तमिलनाडु के 30 श्रद्धालुओं समेत 46 से ज्यादा तीर्थयात्री फंस गए थे, जिन्हें बाद में हेलीकॉप्टर की मदद से बाहर निकाला गया। इसके बाद प्रशासन ने इनर लाइन परमिट जारी करने का काम रोक दिया था।
देश के विभिन्न हिस्सों से आए 150 से ज्यादा श्रद्धालु इस समय धारचूला में रुके हुए हैं और रास्ता खुलने का इंतजार कर रहे हैं। ये श्रद्धालु निजी टूर आपरेटरों के साथ आए हैं, क्योंकि सरकारी उपक्रम कुमाउं मंडल विकास निगम ने आदि कैलाश यात्रा का दूसरा चरण 23 सितंबर से शुरू करने का निर्णय लिया है।
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कहां है आदि कैलाश?
आदि कैलाश चोटी, उच्च हिमालयी क्षेत्र कुटी में स्थित है और वहां जाने के लिए प्रशासन से इनर लाइन पास लेने की जरूरत पड़ती है। गुनसोला ने कहा, ''हमने निर्णय लिया है कि हम इनर लाइन परमिट तभी जारी करेंगे जब हमें सीमा सड़क संगठन से यह रिपोर्ट मिल जाएगी कि रास्ता साफ है और उस पर वाहनों की आवाजाही शुरू की जा सकती है।''
उन्होंने बताया कि गुंजी तक रास्ते की दशा देखने के लिए बुधवार को तवाघाट भेजे गए सीमा सड़क संगठन के पहले और दूसरे गश्ती दलों ने बताया है कि तवाघाट के पास कुछ स्थानों पर बड़े पत्थर (बोल्डर) गिर रहे हैं और ऐसी स्थिति में उच्च हिमालयी क्षेत्र में श्रद्धालुओं को भेजे जाने में जोखिम होगा।
(इनपुट: भाषा)
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अनुराग गुप्ता author
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