ओपीएस पर बोले अशोक गहलोत, बुढ़ापे में कहां जाएंगे कर्मचारी, जानकारों की राय हो सकती है अलग

ओल्ड पेंशन स्कीम को योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बेहुदगी भरा कदम बताते हुए आर्थिक दिवालिएपन की रेसिपी बताया था। लेकिन राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने फैसले का बचाव किया है।

ashok gehlot

अशोक गहलोत, सीएम, राजस्थान सरकार

देश में कुछ राज्यों ने अपने यहां ओल्ड पेंशन स्कीम(old pension scheme) को दोबारा लागू किया है, उस सूची में गैर बीजेपी राज्य शामिल हैं, हालांकि इस ओपीएस लागू करने के फैसले को अर्थशास्त्री घातक बता रहे हैं। योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने तो इसे आर्थिक दिवालिएपन की बेहतर रेसिपी करार दिया। इसके साथ ही फैसले को बेहुदगी से भरा बताया। लेकिन उनकी इस टिप्पणी से राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हद की बात यह है कि आर्मी में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू है और पैरा मिलिट्री के लिए एनपीएस। आखिर इस तरह से भेदभाव क्यों किया जा रहा है। उनका स्पष्ट मानना है कि अगर सरकारी कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का आधार नहीं देंगे तो गुड गवर्नेंस को जमीन पर उतार पाना संभव नहीं हो पाएगा।

सबकी सोच अलग, ओपीएस से नुकसान नहीं

अशोक गहलोत ने कहा कि जहां तक आर्थिक मामलों के जानकारों की बात है वो अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं। हमने गंभीर विचाक विमर्श के बाद ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि आप बताइए जब 60 साल तक ओपीएस के लागू होने के बाद देश का विकास नहीं रुका तो वो कौन सी वजह है कि आर्थिक दिवालियापन आ जाएगा। दूसरी सबसे बड़ी बात मानवीय आधार की है। बुढ़ापे में पेंशन ही पति और पत्नी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। एक पल को मान लिया जाए कि कुछ परिवारों को दिक्कत नहीं आती है।लेकिन ज्यादातर परिवारों के मामले में ऐसा नहीं है।

मोंटेक अहलूवालिया ने क्या कहा था

मोंटेक अहलूवालिया का मानना है कि व्यवस्था को राजनीतिक दलों या सत्ता में बैठे दलों को उन नीतियों को अपनाने से रोकना चाहिए जो वित्तीय आपदा का कारण बन सकती हैं।स बीच, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने मोंटेक अहलूवालिया की क्लिप साझा की और कहा कि कांग्रेस को तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए देश के भविष्य के साथ क्या कर रहे हैं, इस पर मंथन करना चाहिए।उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगलने के बजाय अपने ही लोगों की बात सुननी चाहिए।

ओपीएस को 1 अप्रैल, 2004 को बंद कर दिया गया था और इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) से बदल दिया गया था। ओपीएस में, पेंशन सरकारी कर्मचारी के अंतिम आहरित वेतन का 50 प्रतिशत थी। दूसरी ओर, एनपीएस एक अंशदायी पेंशन योजना है।अब तक, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के नेतृत्व वाली सरकारें और पंजाब में आप सरकार ओपीएस में वापस चली गई हैं।

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ललित राय author

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