Assembly Elections 2023: राजस्थान में किस जाति का है कितना दबदबा, समझिए यहां का जातीय समीकरण

भारत के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी जातीय समीकरण चुनावों में पार्टियों की जीत और हार में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। राजस्थान में किस जाति का कितना दबदबा है आज हम इसी बात को जानेंगे।

राजस्थान का चुनावी समीकरण

Assembly Elections 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव आने में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं, जीत हासिल करने के लिए सभी पार्टियां अपनी ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। भारत के अधिकतर राज्यों की तरह राजस्थान में भी जातियों का गणित बहुत मायने रखता है। किसी पार्टी को जीत का स्वाद चखाने या हार का मुंह दिखाने में जातियों का बहुत योगदान होता है। राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का राजनीतिक इतिहास रहा है। जिसमें जातियों की भागीदारी साफतौर पर देखने को मिली है। इस बार ये जातियां किस पार्टी पर महरबान होंगी, ये जानने के लिए हमें सबसे पहले ये समझना होगा कि राजस्थान का जातीय गणित कैसा है?

राजस्थान की आबादी

राजस्थान की आबादी में हिंदू का आंकड़ा 89 फीसदी है, जिनमें 18 फीसदी एससी, 13 फीसदी एसटी, 12 फीसदी जाट, 9 फीसदी गुर्जर, 9 फीसदी राजपूत, 7 फीसदी ब्राह्मण और 7 फीसदी मीणा जाति के लोग हैं। वहीं मुस्लिमों का आंकड़ा 9 फीसदी है और बाकी के 2 फीसदी लोग अन्य धर्मों के हैं। इस लिहाज से राजस्थान की सत्ता हासिल करने के लिए ओबीसी वोटर बहुत जरूरी हैं। जिन्हें साधने का प्रयास सभी पार्टियां करती हैं।

इन जगहों पर हावी है ये जातियां

कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाने वाला जाट समुदाय मारवाड़ और शेखावाटी इलाकों में अधिकतम संख्या में हैं। दक्षिणी राजस्थान में सबसे ज्यादा गुर्जर और मीणा जाति के लोग हैं। राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में ब्राह्मण, वैश्य और जैन बाहुल्य संख्या मैं हैं, वहीं मत्स्य क्षेत्र में मिश्रित जाति के लोग रहते हैं। जोधपुर, अजमेर, पानी, टोंक और नागौर समेत मध्य राजस्थान में जिन जातियों का दबदबा है उनमें मीणा, जाट, राजपूत और मुस्लिम समुदाय शामिल है। उदयपुर में आदिवासियों की संख्या ज्यादा है।

End Of Feed