Best Place to Near Jaipur: श्राप के कारण यहां नहीं होती सृष्टि के निर्माता की पूजा, यहां है देश का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर, जानिए पूरी पौराणिक कहानी

Best Place to Near Jaipur: अग्नि यज्ञ करने के लिए ब्रह्मा जी के साथ पत्नी सावित्री का होना जरूरी था। पत्नी सावित्री वहां पर मौजूद नहीं थी। इस वजह से ब्रह्मा जी ने एक कन्या से विवाह कर उसके साथ अग्नि यज्ञ को संपन्न किया। यह बात पत्नी सावित्री का पता चली तो वे क्रोधित हो गई। सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि पूरी सृष्टि की रचना करने वाले की कहीं भी पूजा नहीं की जाएगी।

Famous Brahma Temple

राजस्थान के पुष्कर में है देश का एकमात्र पौराणिक ब्रह्मा मंदिर (फाइल फोटो

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का पुष्कर में विश्व का एकमात्र मंदिर है
  • अग्नि यज्ञ के समय अन्य स्त्री से विवाह किया था ब्रह्मा जी ने
  • सावित्री ने क्रोधित होकर ब्रह्मा जी को दिया था श्राप, कहीं नहीं होगी पूजा

Best Place to Near Jaipur: ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता माने जाते हैं, इस बात का जिक्र सनातन धर्म के ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। सनातन धर्म में आदिकाल से देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना का विधान चला आ रहा है। मगर, हैरानी तो इस बात की है कि, संसार के निर्माणकर्ता की पूजा का उल्लेख किसी भी धर्मग्रंथ और पुराण में नहीं मिलता। इसके अलावा एक और आश्चर्यजनक बात है कि, सभी देवों व देवियों के संसार में अनेक मंदिर व देव स्थान हैं।

मगर, ब्रह्मा जी का सिर्फ एक ही मंदिर है। जो कि, राजस्थान के अजमेर जिले में अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसी पुष्कर नगरी में है। अब आप सोच रहे होंगे कि, आखिर ऐसा क्या है जो ब्रह्मा जी की पूजा नहीं होती व उनका महज एक ही मंदिर है। तो चलिए आपको बताते हैं पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इसके पीछे की वजह। जयपुर से पुष्कर की दूरी करीब 150 किमी है, नजदीकी एयरपोर्ट किशनगढ़ है। जबकि रेलवे स्टेशन अजमेर है।

जहां कमल गिरा वहां बन गए सरोवरमहंतों के मुताबिक, पुराणों में अंकित पौराणिक तथ्यों के मुताबिक, ब्रह्मा जी अपने हंस वाहन पर सवार होकर अग्नि यज्ञ के लिए उपयुक्त जगह की तलाश कर रहे थे, उसी समय उनके हाथ से कमल का फूल पृथ्वी पर गिर गया था। जिस जगह कमल गिरा, वहां पर एक झरना बना गया व 3 सरोवरों का निर्माण हो गया। पुराणों के मुताबिक, जिन स्थानों पर सरोवर बनें हैं, उन्हें आज भी ब्रह्म पुष्कर, विष्णु पुष्कर और शिव पुष्कर के नाम से जाना जाता है।

ये वजह है ब्रह्माजी की पूजा नहीं होने की पौराणिक इतिहास के जानकारों के मुताबिक, ब्रह्मा जी ने देखा कि कमल के गिरने से सरोवर बन गए हैं तो उस स्थान पर उन्होंने अग्नि यज्ञ करने का फैसला किसा। अब यज्ञ के लिए ब्रह्मा जी के साथ उनकी पत्नी सावित्री का होना जरूरी था। यज्ञ का शुभ मुहूर्त निकला जा रहा था। मगर पत्नी सावित्री वहां पर मौजूद नहीं थी। इस वजह से ब्रह्मा जी ने यज्ञ के स्थान पर मौजूद एक कन्या से विवाह कर उसके साथ अग्नि यज्ञ को संपन्न किया। पौराणिक प्रचलित कथाओं के मुताबिक, जब इस घटना की जानकारी ब्रह्माजी की पत्नी सावित्री को हुई तो वे क्रोधित हो गई। सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि पूरी सृष्टि की रचना करने वाले की कहीं भी पूजा नहीं की जाएगी। वहीं पुष्कर के अलावा संसार में कहीं भी ब्रह्मा जी का मंदिर नहीं होगा। श्राप की वजह से ब्रह्मा जी की आज भी कहीं भी पूजा नहीं होती है। हालांकि पुष्कर में पहाड़ी पर देवी सावित्री का भी मंदिर मौजूद है।

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