Best Place to Visit Near Jaipur: राजस्थान के इस स्कूल में विराजित हैं मां शारदे, नहीं बजती घंटी, इसकी ये है मुख्य वजह

Best Place to Visit Near Jaipur: जयपुर से करीब 224 किमी की दूरी पर स्थित झुंझुनूं जिले के पिलानी कस्बे में बिट्स परिसर में मौजूद है मां सरस्वती का ये अनूठा मंदिर। मंदिर में शांति रहे इसलिए पूजा व आरती के समय या बाद में घंटियों समेत कोई भी म्यूजिकिल इंस्ट्रूमेंट नहीं बजाया जाता। बिरला परिवार ने बिट्स परिसर में 1956 में मंदिर का निर्माण शुरू करवाया। उस वक्त इसके निर्माण पर 23 लाख रुपए लागत आई थी।

जयपुर के नजदीक बिट्स पिलानी में मौजूद है मां सरस्वती का अद्भुत मंदिर (फाइल फोटो)

मुख्य बातें
  • बिट्स परिसर में मौजूद है मां सरस्वती का ये अनूठा मंदिर
  • मंदिर देश के प्रसिद्ध बिड़ला परिवार की ओर से बनवाया गया था
  • 1960 में मंदिर के निर्माण पर लागत आई थी 23 लाख रुपए

Best Place to Visit Near Jaipur: वैसे तो राजस्थान में रेगिस्तान की सोने सी चमकती मिट्टी व धोरों के बीच कई महल व किले मौजूद हैं, जो अपने अतीत के गौरव का आज भी बखान कर रहे हैं। मगर, वसंत पंचमी के मौके पर आपको एक ऐसे खास मां शारदे के मंदिर के बारे बताएंगे। जहां पूजा- अर्चना के समय घंटियां बजाने सहित किसी तरह का शोर शराबा करना मना है। मध्य प्रदेश के खजुराहो की तर्ज पर बनें इस मंदिर की शिल्प कला अद्भुत है।

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जयपुर से करीब 224 किमी की दूरी पर स्थित झुंझुनूं जिले के पिलानी कस्बे में बिट्स परिसर में मौजूद है मां सरस्वती का ये अनूठा मंदिर। यहां आने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर है व रेलवे स्टेशन झुंझुनूं है। बता दें कि, यह मंदिर देश के प्रसिद्ध बिड़ला औद्योगिक समूह के परिवार की ओर से बनवाया गया है।

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इस वजह से बनाया मंदिर इलाके में प्रचलित कथाओं के मुताबिक, शेखावाटी के एक संत गणेश नारायण ने बिरला परिवार के लोगों से कहा कि, आपने संस्थान तो शानदार बनवाया है, मगर ये दक्षिण मुखी है। इसका मुहं लंका की ओर है, जिसकी वजह से इसमें वास्तुदोष है। इसके ठीक करने के लिए बिट्स इंस्टीट्यूट के सामने सरस्वती का मंदिर बनवाए। इसके बाद बिरला परिवार ने बिट्स परिसर में 1956 में मंदिर का निर्माण शुरू करवाया। 300 से अधिक श्रमिकों और शिल्पकारों की मदद से 1960 में मंदिर बनकर तैयार हुआ। पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से बनाया गया है। उस वक्त इसके निर्माण पर 23 लाख रुपए लागत आई थी। करीब 25 हजार स्क्वायर फीट में बने इस मंदिर में 70 स्तंभ हैं। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित मां सरस्वती की खड़ी मुद्रा में प्रतिमा 1959 में कोलकाता से मंगवाई गई थी।

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