Best Places to Visit in Jaipur : अपने जयपुर टूर प्लान में इन जगहों को जरूर करें शामिल, कुछ ही दूरी पर ये शानदार टूरिस्ट प्लेस

Best Place Visit in Jaipur : जयपुर सहित आसपास के इलाकों में अपने अतीत को समेटे राजपूती विरासत का इतिहास भी देखने व जानने के लायक है। राजधानी जयपुर के पर्यटन स्थलों में जो नाम आपके जेहन में सबसे पहले आता है वो है हवा महल। देश के सबसे सुंदर शहरों की फेहरिस्त में शामिल जयपुर आने का अगर आप न्यू ईयर में प्लान कर रहे हो तो इस बेहद सुंदर शहर के अलावा इसके आसपास के इलाकों को भी अपनी ट्रिप में शामिल कर सकते हैं। इनमें से कई जगह तो विश्व प्रसिद्ध है।

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जयपुर आने का आप न्यू ईयर में प्लान कर रहे हो तो इसके आसपास के इलाकों को भी अपनी ट्रिप में शामिल कर सकते हैं।

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • विंटर वेकेशन में जयपुर समेत देखें ये इलाके भी
  • भूतों से जुड़ी कहानियों वाली जगहों पर जाना ना भूलें
  • राजस्थान का जंगल आपके ट्रिप को रोमांच से भर देगा

Best Place Visit in Jaipur : पूरे विश्व में गुलाबी शहर के नाम से मशहूर राजधानी जयपुर से तो आप सभी अच्छे से परिचित होंगे। यहां की फिजा में देशी घी से ठेठ मारवाड़ी घेवर, फिणी, दाल,बाटी व चूरमे की महक तो है ही। इसके अलावा जयपुर सहित आसपास के इलाकों में अपने अतीत को समेटे राजपूती विरासत का इतिहास भी देखने व जानने के लायक है। राजधानी जयपुर के पर्यटन स्थलों में जो नाम आपके जेहन में सबसे पहले आता है वो है हवा महल। देश के सबसे सुंदर शहरों की फेहरिस्त में शामिल जयपुर आने का अगर आप न्यू ईयर में प्लान कर रहे हो तो इस बेहद सुंदर शहर के अलावा इसके आसपास के इलाकों को भी अपनी ट्रिप में शामिल कर सकते हैं। तो चलिए आपको जयपुर समेत इसके नजदीकी इलाकों के बारे में बताते हैं।

अद्भुत वास्तु शैली की नजीर है हवा महल

महाराजा सवाई सिंह द्वारा बनवाया गया हवा महल अद्भुत वास्तु शैली की नजीर है। इस शाही महल को रानियों के लिए बनवाया गया था। जिसके पीछे का मकसद था, वे बाहर होने वाली आयोजनों को महल के झरोखों से देख सकें। इस महल के निर्माण में हिन्दू, राजपूत व इस्लामिक वास्तुकला का समावेश किया गया। बता दें कि हवा महल में 953 झरोखे हैं। जयपुर में आमेर फोर्ट के अलावा नाहरगढ़ व जयगढ़ के किले भी हैं। यहां से आप जयपुर शहर की खूबसूरती को देख पाएंगे। किलों की दीवारों पर प्राचीन शैली से बने चित्र व आभूषणों से सजी कलाकृतियां बरबस मन को मोह लेती हैं। जयपुर को अन्य शहरों से अलग पहचान दिलाता है जंतर-मंतर। इसका निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह ने करवाया था। बता दें कि जंतर-मंतर को यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। रजवाड़ों के समय में ज्योतिषीय व खगोलीय घटनाओं की भविष्यवाणी करने के लिए इसका निर्माण करवाया गया था।

रणथंभौर में गूंजती है बाघों की दहाड़

जयपुर से दूरी - 180 किमी

अगर आपको वाइल्डलाइफ के बारे में जानना है तो आइए आपको ले चलते हैं रणथंभौर। जयपुर से महज 180 किमी की दूरी पर स्थित है, 10वीं शताब्दी में बना अजेय दुर्ग रणथंभौर। इसे यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। दिल्ली-मुबंई रेल मार्ग पर स्थित सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से केवल नौ किमी की दूरी है रणथंभौर की। अरावली की पहाड़ियों से घिरे इस इलाके में टाइगर रिजर्व भी है। जहां पर आप जंगल में बाघों के दीदार कर सकते हैं। इसके अलावा देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान गजानन की त्रिनेत्र प्रतिमा स्थापित है।

अजमेर का तारागढ़ फोर्ट

जयपुर से दूरी - 130 किमी

राजस्थान के किलों की अगर बात करें और उसमें अजमेर को शामिल ना करें तो ये बेमानी होगा। तारागढ़ फोर्ट को 7वीं शताब्दी में चौहान वंश के राजा अजयपाल ने बनवाया था। इसके अलावा अगर आप अजमेर जा रहे हैं तो ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में जरूर जाएं व अनासागर लेक में बोटिंग के साथ जलीय पक्षियों की क्रीड़ा का भी मजा लें। अजमेर से 9 किमी की दूरी पर पहाड़ियों के बीच से सफर करते हुए पुष्कर जाना भी ना भूलें।

सरिस्का समेटे है पांडवों का इतिहास

जयपुर से दूरी - 135 किमी

अरावली पवर्तमाला के बीच मौजूद सरिस्का टाइगर रिजर्व राजस्थान के अलवर ज़िले का एक हिस्सा है। अलवर से इसकी दूरी करीब 59 किमी है। जबकि नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर से 135 किमी दूर है। बता दें कि सरिस्का को 1955 में वाइल्डलाइफ सेंचुरी डिक्लेयर किया गया था। जबकि 1978 में इसे टाइगर रिजर्व बनाया गया। यहां का कंकरवाड़ी फोर्ट सरिस्का के जंगलों में मौजूद है। सरिस्का की सबसे खास बात ये है कि इसका इतिहास महाभारत काल से नाता रखता है। वनवास के दौरान पांडव यहां आए थे, उस जगह को पांडूपोल कहते हैं। इसके अलावा हनुमान जी की लेटे हुई प्रतिमा का एकमात्र मंदिर है यहां।

आइए मत्स्य नगरी अलवर में

जयपुर से दूरी - 160 किमी

राजस्थान का अलवर शहर का इतिहास महाभारत से भी पुराना है। राजा विराट के पिता वेणु ने मत्स्यपुरी नामक नगर बसा कर उसे अपनी राजधानी बनाया था। यहां आने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर है, जिसकी अलवर से दूरी 160 किमी है। अरावली की सुरमयी पहाड़ियों के बीच बसा ये शहर बेहद आकर्षक है। यहां झीलों की भरमार है। इसके आसपास के इलाकों में प्रकृति का अनुपम सौंदर्य बिखरा पड़ा है।

बीसलपुर में रावण ने किया था शिव को प्रसन्न

जयपुर से दूरी - 159 किमी

टोंक जिले मेें स्थित बीसलपुर बांध राजस्थान के कई जिलों की प्यास बुझाता है। यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर की दूरी करीब 136 किमी है। यहां की खास बात ये है कि त्रेता युग में रावण ने यहां पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की थी। जिसके प्रमाण के तौर पर आज भी यहां गोकर्णेश्वर मंदिर मौजूद है। बीसलपुर बांध का निर्माण सन 1985 में शुरू करवाया गया था। बांध की टोंक शहर से दूरी करीब 61 किमी है।

देश का सबसे डरावना फोर्ट भानगढ़

जयपुर से दूरी - 83 किमी

अगर आप राजस्थान घूमने आए हैं तो देश के सबसे डरावने भानगढ़ फोर्ट की विजिट जरूर करें। जयपुर से इसकी दूरी है 83 किमी जबकि अलवर से यह 90 किमी की दूरी पर है। भानगढ़ का किला देखने में ही भयानक लगता है। शाम को किला देखने पर सरकार की रोक है।

भूतों ने बना डाली थी आभानेरी बावड़ी

जयपुर से दूरी - 92 किमी

जयपुर आगरा मार्ग पर स्थित राजस्थान की आभानेरी चांद बावड़ी का इतिहास 9वीं सदी से जुड़ा हुआ है। इस बावड़ी का निर्माण राजा मिहिर भोज ने करवाया था। उनका नाम ‘चांद’ भी था, यही वजह है कि इसे चांद बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी का खिताब भी मिला हुआ है। इसमें करीब 3500 सीढ़ियां बनी हुई हैं और यह 35 मीटर चौड़ी है। यह जयपुर से 92 किलोमीटर दूर है। किवदंती है कि इसका निर्माण भूतों ने रातों रात कर दिया था।

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