Best Places to Visit in Rajasthan: मीलों तक संतरे के बाग और देश का एकमात्र जलदुर्ग देखना है तो जरूर आएं राजस्थान
Best Places to Visit in Rajasthan: झालावाड़ जिले में कालीसिंध व आहू नदी के संगम तट पर आज भी अडिग खड़ा है गागरोन जलदुर्ग। मुकंदरा पर्वतमाला के चारों तरफ बिखरा प्राकृतिक अनुपम सौंदर्य हर किसी को आकर्षित करता है। यहां आपको हर तरफ भीनी-भीनी महक वाले संतरे के खेत नजर आएंगे। वहीं रजपूती गौरवा गाथाओं व रजवाड़ी संस्कृति को नजदीक से जानने का अवसर मिलेगा। तो जल्दी से अपनी ट्रिप में इस अहम और ऐतिहासिक जगह को शामिल कीजिए। हम आपको यहां की सभी खास बातों और कैसे यहां पर पहुंच सकते हैं इसके बारे में बताएंगे।
प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है विश्व धरोहर जलदुर्ग गागरोन
मुख्य बातें
- प्राकृतिक सौंदर्य के बीच अडिग खड़ा है विश्व धरोहर जलदुर्ग गागरोन
- मुकंदरा पर्वतमाला के बीच नदियों का संगम स्थल है यहां का अनुपम सौंदर्य
- संतरों के खेतों से आती भीनी- भीनी महक कर देती है मदहोश
Best Places to Visit in Rajasthan: इस बार आप न्यू ईयर पर विंटर वेकेशन राजस्थान में बिताने के बारे में सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए काम की हो सकती है। जयपुर से करीब 340 किमी की दूरी पर है झालावाड़ जिले में कालीसिंध व आहू नदी के संगम तट पर आज भी अडिग खड़ा है गागरोन जलदुर्ग। मुकंदरा पर्वतमाला के चारों तरफ बिखरा प्राकृतिक अनुपम सौंदर्य हर किसी को आकर्षित करता है।
बता दें कि, गागरोन जलदुर्ग को यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। इस खास जगह को आप अपने घूमने के प्लान मेें शामिल कर सकते हैं। यहां आपको हर तरफ भीनी-भीनी महक वाले संतरे के खेत नजर आएंगे। वहीं रजपूती गौरवा गाथाओं व रजवाड़ी संस्कृति को नजदीक से जानने का अवसर मिलेगा। तो जल्दी से अपनी ट्रिप में इस अहम और ऐतिहासिक जगह को शामिल कीजिए। हम आपको यहां की सभी खास बातों और कैसे यहां पर पहुंच सकते हैं इसके बारे में बताएंगे।
ये हैं गागरोन से जुड़ी अहम बातेंराजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित झालावाड़ शहर से महज 4 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित देश का एकमात्र फोर्ट है जो विशाल व अभेद्य चट्टानों पर बिना नींव के सदियों से अभी तक खड़ा है। किले में पानी लेने के लिए भूमिगत बावड़ी बनी हुई है। वहीं उस जमाने में चारों ओर बनाई गहरी खाई दुश्मनों के दांत खट्टे करने की आज भी गवाही दे रही है। बावड़ी अभी भी पानी से लबरेज रहती है। दुर्ग के तीन तरफ उफनता नदियों का पानी व मजबूत चट्टानी परकोटा किले तक दुश्मन को पहुंचने के मंसूबों पर पानी फेर देता था। रजवाड़ों का दौर खत्म हुआ तो ये किला भी महज अतीत का गर्व बन कर रह गया। अब इसे विश्व धरोहर में शामिल किया गया है तो सरकार ने भी इसके जीर्णाेद्वार के लिए कदम बढाएं हैं। यहां आने के लिए 88 किमी की दूरी पर नजदीकी एयरपोर्ट कोटा है।
बहन गंगा के नाम पर इसे गंगारमण नाम मिलाइस किले के इतिहास को लेकर झालावाड़ के इतिहासकार ललित शर्मा के मुताबिक किले का निर्माण सन् 1150 में राजा बीजलदेव डोढ़ ने करवाया था। बहन गंगा बाई के पति की मृत्यु हो गई व बहन गंगा सती हो गई तो इसका नाम गंगारमण कर दिया गया। जो कि अब कालांतर में गागरोन हो गया। यहां विजिट करने पर आपको प्राकृतिक परिवेश समेत स्थापत्य कला व रजवाड़ो की जीवन शैली के बारे में नजदीक से जानने का मौका मिलेगा। परकोटो से सुरक्षित किले के भीतर मौजूद खास जगहों में बारुदखाना, सीलहखाना, राजा अचलदास के महल, मधुसुदन मंदिर , द्वारिकाधीश देवालय, आशापाला का मंदिर, मदनमोहन मंदिर, दरीखाना, रंग महल, शीशमहल, जौहर कुण्ड, ख्वाजा साहब की दरगाह, बुलंद दरवाजा आदि स्थान देखने को मिलेंगे।
यहां आएं तो संतरे के खेत जरूर निहारेंइस इलाके में घूमने के लिए अगर आप आते हैं तो आपको हर तरफ नारंग और हल्के हरे रंग वाले संतरे के खेत देखने को मिलेंगे। संतरों की भीनी- भीनी महक आपकी सांसों में एक बेहतरीन रस घोल देगी। बता दें कि, कोटा से लेकर झालावाड़ व राजस्थान की मध्यप्रदेश से लगती अंतिम सरहद तक हर तरफ संतरे के खेत हैं।
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