Best Places to Visit Near Jaipur: इस मंदिर में बनता है करीब 350 क्वींटल महाप्रसाद, पौराणिक महत्व है बाबा भैरव मंदिर का, यहां जरूर जाएं
Best Places to Visit Near Jaipur: कोटपुतली शहर के करीब 15 किमी की दूरी पर अरावली की सुरमयी पहाड़ियों में स्थित है गांव कुहाड़ा के छापला वाले बाबा भैरव का मंदिर। सोनगिरि पोषवाल नामक एक भक्त ने बाबा भैरव की प्रतिमा सहित पंचपीरों के साथ स्थपित कर दी। बाबा भैरव को पारंपरिक राजस्थानी दाल- चूरमे का भोग लगता है। यहां लगने वाले वार्षिक मेले में बाबा को लगने वाले महाप्रसादी के भोग के दौरान चूरमे का पहाड़ बन जाता है।
जयपुर के निकट गांव कुहाड़ा में छापाला वाले बाबा भैरव की प्रतिमा (फाइल फोटो)
- अरावली की सुरमयी पहाड़ियों में स्थित है बाबा भैरव का मंदिर
- सपने में बाबा भैरव के कहने पर दे दी थी सोनगिरी ने अपने पुत्र की बली
- 35 टन महाप्रसादी का चूरमा बनाने के लिए जेसीबी का उपयोग किया जाता है
इससे बाबा भैरव प्रसन्न हो गए व उसके पुत्र को फिर से जीवित कर दिया। इसके बाद उस भक्त ने बाबा भैरव की प्रतिमा पंचपीरों के साथ स्थपित कर दी। ग्रामीण बतातें हैं कि, यहां आने वाले श्रद्धालु पंचदेव खेजड़ी के पेड़ की पूजा करते हैं। अगर आप किसी धार्मिक पर्यटन स्थली पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो ये जगह आपके लिए सबसे बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। जयपुर से कुहाड़ा गांव की दूरी करीब 125 किमी है। जबकि कोटपुतली शहर यहां से 15 किमी दूर है। नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर है।
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लक्खी मेले में लगता है चूरमें का पहाड़यहां बाबा भैरव को पारंपरिक राजस्थानी दाल- चूरमे का भोग लगता है। यहां लगने वाले वार्षिक मेले में बाबा को लगने वाले महाप्रसादी के भोग के दौरान चूरमे का पहाड़ बन जाता है। भैरव बाबा के मंदिर में लगने वाले इस मेले के लिए करीब एक माह पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती है। इस मेले में शामिल होने के लिए राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों से श्रद्धालु यहां आते हैं। मेले में हजारों पुरुष व महिला स्वयंसेवकों समेत दर्जनों स्वयंसेवी संस्थाएं अपनी सेवाएं देते हैं। वहीं मंदिर से जुड़े लोगों के मुताबिक, इस बार लक्खी मेले के दौरान होने वाले महाप्रसादी समारोह में करीब दो लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
35 टन बनती है महाप्रसादीयह जानकार आपको हैरानी होगी कि, यहां बनने वाले करीब 35 टन महाप्रसादी का चूरमा बनाने के लिए जेसीबी सहित कई मशीनों का उपयोग किया जाता है। चूरमें की सामग्री की अगर बात करें तो उसमें क्विंटलों के हिसाब से आटा, सूजी, देसी घी, चीनी, मावा, काजू, बादाम, किशमिश, मिश्री, नारियल दूध मिलाया जाता है। इसके अलावा क्विंटलों के हिसाब से ही दाल बनाई जाती है। महाप्रसादी को देशभर से यहां आने वाले श्रद्धालुओं मे बांटा जाता हैं।
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