दिल्ली-मुंबई इलेक्ट्रिक एक्सप्रेसवे
Delhi Mumbai E-Expressway Opening Date Time : देश को पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक सड़क सूत्र में बांधने के लिए हाईटेक हाईवे (Hi-Tech Highway) और एक्सप्रेसवे का मकड़जाल बिछाया जा रहा है। कम समय में अधिक दूरी कवर करना अब धीरे-धीरे आसान हो रहा है। आपकी यात्रा को सरल और किफायती बनाने की दिशा में कई नई परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिनमें कई छोटे से लेकर हजारों किमी. लंबाई वाले एक्सप्रेसवे शामिल हैं। खासकर, 1350 किलोमीटर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) में वाहन दौड़ाने के लिए लोग बेताब हैं। हरियाणा से लेकर सूरत तक बन रहा यह सड़क मार्ग अपने निर्माण के आखिरी दौर में है। इसके खुलने से 6 राज्यों के लोगों को बेहतर सड़क मार्ग के साथ कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इसके इतर इस एक्सप्रेसवे की एक और खूबी है, जिसे आप सभी को जानना बेहद जरूरी है। जी, हां 8 लेन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर भविष्य में सिर्फ डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहन ही नहीं, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicle) भी चल सकेंगे। यानी ट्रेन की तरह ट्रॉलीबस-ट्रक इत्यादि चलेंगे, जिनके इंजन में पेंट्रो लगे होंगे, जो इंजन को पावर सप्लाई करेंगे। इसके लिए अलग से लेन डेवलप की जाएगी। तो चलिए जानते हैं इलेक्ट्रिक वाहनों के लिहाज से एक्सप्रेसवे किनारे और क्या सहूलियतें मिलेंगी।
इन राज्यों से गुजर रहा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway Route Map)
केंद्र सरकार का प्लान दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को इलेक्ट्रिक हाईवे या ई-हाईवे (Electric Highway) बनाने का है। जानकारी के मुताबिक, अच्छी गति और भीड़भाड़ कम होने से लॉजिस्टिक खर्च 70 फीसदी कम हो जाएगा। क्योंकि, ई-हाईवे बनने से डीजल-पेट्रोल की जगह बिजली का उपयोग किया जाएगा। 8 लेन के इस एक्सप्रेसवे के दोनों ओर एक-एक लेन इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बनाई जाएगी। इसके साथ ही दोनों ओर सुरक्षा कारण से 1.5 मीटर ऊंचा बैरियर बनाया जाएगा। इसके अलावा स्लिप लेन के अंदर टोल प्लाजा (Toll Plaza) बनाया जाएगा। इस परियोजना के शुरू होने से लगभग 32 लीटर ईंधन की बचत होने की संभावना है। साथ ही सोलर एनर्जी (Solar Energy) और स्टेट ग्रिड (State Grid) दोनों का इस्तेमाल करके एक्सप्रेसवे के किनारे लाइट की व्यवस्था की जाएगी।
कैसे बिन चार्जिंग चलेंगे वाहन
दिल्ली-मुंबई इलेक्ट्रिक हाईवे पर ट्रॉलीबस की तरह इस पर ट्रॉली ट्रक चलाए जाएंगे। ऐसे इलेक्ट्रिक हाईवे वह होते हैं, जहां ओवरहैड वायर्स ( सड़क के ऊपर लगे बिजली की तारों) के जरिए वाहनों को ऊर्जा प्रदान की जाती है। इलेक्ट्रिक हाईवे पर वाहनों को जमीन या फिर ऊपर लगी तारों (जैसे ट्रेन) से बिजली दी जाती है। इन वाहनों को चार्जिंग स्टेशनों पर रुककर चार्ज नहीं करना होता है। कुल मिलाकर वाहनों के ऊपर ट्रेन की तरह पेंट्रोग्राफ लगाया जाता है जो ऊपर तारों को टच करता है, जहां से इंजन में ऊर्जा ट्रांसफर होती रहती है। ठीक उसी प्रक्रिया को फॉलो करने के लिए सरकार चार लेन को इलेक्ट्रिक हाईवे के तौर पर विकसित करेगी। फिलहाल, जर्मनी और स्वीडन में ट्रकों और बसों के लिए ऐसे ही हाईवे बनाए गए हैं।
इलेक्ट्रिक हाईवे के निर्माण से संबंधित राज्यों के बीच सफर और भी आसान-किफायती हो जाएगा। इससे माल ढुलाई की लागत बेहद कम हो जाएगी। इसमें वाहनों को चार्जिंग के झंझट से पूर्णतया मुक्ति मिलेगी। इससे पेट्रोल और डीजल की खपत में कमी आएगी और पर्यावरण को दूषित करने से कहीं हद तक बचाया जा सकेगा। सरकार इस हाईवे को सौर ऊर्जा के माध्यम से उत्पन्न बिजली मुहैया कराने का प्लान बना रही है। अगर, यह योजना भारत में कारगर साबित होती है तो कई मायनों में सहूलियत मिलेगी।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के खुलने का इंतजार
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के खुलने का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। हालांकि, मध्य प्रदेश के 244 किलोमीटर के भाग को वाहनों के लिए खोल दिया गया है। उधर, पर्यावरण (Environment) को संरक्षित करने के लिहाज से इस एक्सप्रेसवे पर इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने का पूरा खाका तैयार है। इसके लिए अलग से लेन विकसित की जाएगी। इस लेन में अधिकतम 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इलेक्ट्रिक कार, बस और ट्रक इत्यादि वाहन दौड़ाए जा सकेंगे। 8 लेन एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ एक-एक ईवी वाहनों के लिए लेन होगी। लेकिन, एक चिंता भी लोगों के मन में है कि, इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने के लिए चार्जिंग स्टेशन की कमी कैसे दूर होगी। फिलहाल, देश में बहुत ही कम स्थानों पर चार्जिंग स्टेशन हैं, लेकिन इसका हल निकाला गया है। आगे चलकर ईवी वाहनों को चार्च करने के लिए चार्जिंग स्टेशनों की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इलेक्ट्रिक हाईवे प्रोजेक्ट को पूरा कर सकती हैं ये कंपनियां
इलेक्ट्रिक हाईवे प्रोजेक्ट को बिल्ट, ऑपरेट एंड ट्रांसफर योजना के तहत बनाने की योजना है। टाटा और सिमन्स जैसी कंपनियां इस प्रोजेक्ट पर काम करने की दिलचस्पी दिखा रही हैं। इलेक्ट्रिक हाईवे पर चलने वाले वाहन साधारण वाहनों से अलग होंगे। वैसे साधारण इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी से चलते हैं और उन्हें चार्ज करने की जरूरत होती है। लेकिन, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे बैटरी से नहीं बल्कि, पेंट्रो के जरिए इंजन को ऊर्जा ट्रांसफर होगी।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर इलेक्ट्रिक बसों का किराया (Fare of Electric Buses on Delhi-Mumbai Expressway)
बताया जा रहा है कि फिलहाल, मुंबई एक्सप्रेसवे पर दो इलेक्ट्रिक बसें (Electric Buses) दिल्ली के राजीव चौक से अलीपुर होते हुए राजस्थान के दौसा तक चलाई जाएंगी। दो बसों में एक बार में 80 से ज्यादा यात्री यात्रा कर सकेंगे। यह बसें पुराने दिल्ली-जयपुर हाईवे (Delhi-Jaipur Highway) से जयपुर तक चलाई जाएंगी। इसका फायदा यह है कि यात्रियों को इतनी दूरी के लिए मजह 600 रुपये बतौर किराया चुकाना पड़ रहा है। वहीं, डीजल बसों में इतनी ही दूरी के लिए 1200 रुपये बतौर किराया चुकाना पड़ता है।
अलवर में चार्जिंग प्वाइंट
फिलहाल, इस सड़क मार्ग को पूरी तरह ईवी फ्रेंडली (EV Friendly) बनाया जा रहा है। इसके लिए राजस्थान के अलवर में निजी कंपनी ने चार्जिंग प्वाइंट बनाया है। इसकी खासियत यह है कि चालक अपने वाहनों को चार्जिंग पर लगाकार खाने-पीने का लुत्फ भी उठा सकेंगे। यहां पर ईंधन और गैस स्टेशनों के अलावा स्वच्छ शौचालय, पेयजल, सीसीटीवी से सुरक्षित पार्किंग स्थल और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग (Electric Vehicle Charging) सुविधा, फूड कोर्ट समेत कई अन्य हाईटेक सुविधाएं मुहैया होंगी।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे दो पहिया वाहन प्रतिबंधित
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर केवल चार पहिया और भारी वाहन ही चलाए जा सकेंगे। इसमें 2 पहिया वाहनों को चलाने की अनुमति नहीं होगी। जो भी एनएचएआई के इस रूल का उल्लंघन करेगा, उससे 5 हजार रुपये बतौर जुर्माना वसूला जाएगा। यातायात विभाग ने ऐसे वाहनों को रोकने और चालान काटने के लिए एक्सप्रेसवे पर पुलिस की तैनाती कर दी है।
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के बारे में (Delhi Mumbai Expressway)
भारत में सभी एक्सप्रेसवे का निर्माण भारत माला परियोजना (Bharat Mala Project) के तहत किया जा रहा है। इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे अपने निर्माण कार्य के आखिरी दौर में है। हालांकि, इसका बड़ा हिस्सा बनकर तैयार है और उधर, मध्य प्रदेश के 244 किलोमीटर हिस्से का कार्य पूरा होते ही ट्रैफिक भी शुरू हो चुका है। हरियाणा के सोहना से लेकर सूरत तक जाने वाला 1350 किलोमीटर का यह सड़क मार्ग 6 राज्यों के कई शहरों को कवर करते हुए गुजरेगा। इस परियोजना के पूरा होने से कई राज्यों के विभिन्न शहरों से की कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इससे दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और जयपुर, अहमदाबाद की ओर, वड़ोदरा, मुंबई एनएच-48 (पुराना एनएच 8) पर और कानपुर की ओर कनेक्ट किया जा सकेगा। एनएच 19 (पुराना एनएच 2) के माध्यम से लखनऊ, कोलकाता भी जा सकेंगे। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे हरियाणा के सोहना से शुरू होकर राजस्थान, मध्य प्रदेश से होकर महाराष्ट्र तक जाएगा। इस लिहाज से जयपुर, अजमेर, किशनगढ़, कोटा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, सूरत और आसपास के शहरे कनेक्टीविटी आसान हो जाएगी।एक्सप्रेसवे की जानकारी | एक्सप्रेसवे का विवरण |
एक्सप्रेसवे का नाम | दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे |
एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई | 1350 किलोमीटर |
लेन | 8 से 12 तक बढ़ाई जा सकती है। |
इलेक्ट्रिक लेन संभावित | 2 |
शुरुआती बिंदु | सोहना (हरियाणा) |
आखिरी बिंदु | सूरत |
निर्माण पूरा होने का समय | 2024 |
परियोजना की लागत | एक लाख करोड़ |
निर्माणकर्ता संस्था | NHAI |
350 किमी. दूरी होगी कम
मौजूदा वक्त में दिल्ली से सूरत तक वाया रोड दूरी 1150 किमी. से अधिक है। वहीं, एक्सप्रेसवे निर्माण के बाद यही दूरी 800 किमी. तक पहुंच जाएगी। इस लिहाज से करीब 350 किमी. दूरी कम हो जाएगी। वहीं, ट्रेन से जाने में 1121 किमी. की दूरी सूरत तक पड़ती है। इससे इतनी दूरी कवर करने के लिए महज 12 घंटे ही खर्च करने होंगे।
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