Famous Temple To Visit In Rajasthan: जानिए क्यों महत्वपूर्ण है राजस्थान का नाथद्वारा का श्रीनाथ मंदिर, जहां नीता अंबानी ने परिवार समेत की पूजा

Famous Temple To Visit In Rajasthan: श्रीनाथजी का प्रसिद्ध मंदिर राजसमंद जिले के नाथद्वारा में है। यह अरावली की खूबसूरत वादियों में बनास नदी के किनारे वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है। मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण 7 साल के बाल स्वरूप में विराजमान हैं। बता दें कि, यहां भगवान श्रीकृष्ण की गोर्वधन धारी प्रतिमा है। नाथद्वारा का क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है।

अंबानी परिवार के मुखिया मुकेश अंबानी परिवार सहित आज नाथद्वारा में

मुख्य बातें
  • कृष्ण जन्माष्टमी पर लगती है 21 तोपों की सलामी
  • अंबानी परिवार का मंदिर से है पुराना नाता
  • देश के धनाढय मंदिरों में गिना जाता है नाथद्वारा का ये मंदिर

Famous Temple To Visit In Rajasthan: वैसे तो राजस्थान किलों और राजपूती विरासत के लिए तो फेमस है ही, लेकिन यह कई पवित्र तीर्थ स्थलों का ठिकाना भी है। यहां कई प्रसिद्ध पौराणिक मंदिर व मठ मौजूद हैं। जो इसकी पुरातन संस्कृति के गवाह हैं। ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर है श्रीनाथजी का, जो कि, राजसमंद जिले के नाथद्वारा में है। यह अरावली की खूबसूरत वादियों में बनास नदी के किनारे मौजूद है, यह वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है। मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण 7 साल के बाल स्वरूप में विराजमान हैं।

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बता दें कि, यहां भगवान श्रीकृष्ण की गोर्वधन धारी प्रतिमा है। नाथद्वारा का क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है। बता दें कि, नाथद्वारा का मंदिर देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी धार्मिक पर्यटन के तौर पर विख्यात है। इस बार अगर आप विंटर वैकेशन में किसी खास धार्मिक टूरिस्ट प्लेस पर जाने का प्लान कर रहे हैं, तो नाथद्वारा आपके लिए बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनी हो सकती है। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा 45 किमी की दूरी पर उदयपुर है।

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मेवाड़ के राणा राजसिंह ने बनवाया था मंदिरमुगल आक्रांता औरंगजेब मूर्ति पूजा का विरोधी था। इसलिए उसने अपने शासनकाल में मथुरा में स्थित श्रीनाथजी के मंदिर को तोड़ने का काम भी शुरू करवाया। श्रीनाथजी की प्रतिमा को पुजारी दामोदर दास बैरागी मंदिर से बाहर निकाल लाए। इसके बाद उन्होंने बैलगाड़ी में श्रीनाथजी की मूर्ति को रखा और कई राजाओं से निवेदन किया कि, मंदिर का निर्माण करवाकर श्रीनाथजी की मूर्ति को स्थापित करा दें। मगर औरंगजेब के डर से किसी ने उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। इसके बाद पुजारी ने मेवाड़ के राजा राणा राजसिंह के पास संदेश भिजवाया। इतिहासकारों के मुताबिक 1660 ईस्वी राणा राजसिंह ने खुलकर औरंगजेब को चुनौती दी और कहा कि उनके रहते हुए बैलगाड़ी में रखी श्रीनाथजी की मूर्ति को कोई छू तक नहीं पाएगा। औरंगजेब को मंदिर तक आने से पहले एक लाख राजपूतों से निपटना होगा। इसके बाद 1672 ईस्वी को मंदिर का निर्माण पूरा करवाने के बाद उसमें श्रीनाथजी की मूर्ति स्थापित कर दी गई।

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