Holi Festival 2023: राजस्थान के इस इलाके में होली पर भाभी बरसाती है देवर पर कोड़े, यहां कमर में बाल्टी बांध करते हैं घूमर, जानिए ये मजेदार रिवाज
Holi Festival 2023: यहां पर फाग की मस्ती और रंगों की बौछार के साथ निभाई जाने वाली परंपराएं सदियों पुरानी है, मगर आज भी जिंदा है। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जो कि, बीकानेर संभाग के दो जनपद हैं। यहां पर बरसों से कोड़ामार होली खेलने की परंपरा चल आ रही है। बीकानेर शहर में डोलची (बाल्टी) वाली होली खेलने की परंपरा करीब 500 साल से चली आ रही है। जिसे यहां के लोग आज भी जीवित रखे हुए हैं।
राजस्थान के बीकानेर में सामूहिक गैर खेलते हुए लोग (फाइल फोटो)
- श्रीगंगानगर जनपद में भाभी बरसाती है देवर पर कोड़े
- बीकानेर में 500 साल पुरानी है डोलची वाली होली की प्रथा
- गोविदं देव जी मंदिर में श्रद्धालु खेलते हैं कान्हा संग फूलो की होली
Holi Festival 2023: रेगिस्तान वाला प्रदेश राजस्थान, जिसे वीर प्रसूता भूमि भी कहा जाता है। इस प्रदेश के कण- कण में वीरों की अनेक गाथाएं गूंजती हैं। यहां के अद्भुत किले, महल, हवेलियां और वेशभूषा सात संमदर पार के लोगों को भी आकर्षित करती है। यहां पर पग -पग पर बदलती है बोली और पंरपराएं। फिलहाल फाल्गुल माह चल रहा है, आगामी बुधवार को देश भर में रंगों का पावन त्योहार होली मनाया जाएगा।
मगर राजस्थान के हर एक हिस्से में होली मनाने की परंपराएं हर किसी को अचरज में डालती है। यहां पर फाग की मस्ती और रंगों की बौछार के साथ निभाई जाने वाली परंपराएं सदियों पुरानी है, मगर आज भी जिंदा है। होली के मौके पर आपको इन्हीं अनूठी परंपराओं के बारे में बताएंगे।
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भाभियां देवरों पर बरसाती है कोड़ेराजस्थान का पंजाब व हरियाणा से सटता इलाका है श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जो कि, बीकानेर संभाग के दो जनपद हैं। यहां पर बरसों से कोड़ामार होली खेलने की परंपरा चल आ रही है। धुलेंडी के दिन जब गलियों में हुड़दंगियों की टोलियां रंग खेलने और गैर खेलने निकलती हैं तो उन पर महिलाएं रंगों से भीगे कोड़े बरसाती है। वहीं देवर जब भाभी को रंग लगाने का प्रयास करता है तो भाभी सूती कपड़े के बने कोड़े को रंगों में भिगोकर देवर को पीटती है। इसके बाद भाभी से शगुन के तौर पर देवर नेग भी मांगता है।
फूलों से होरी खेले नंनद को लालगुलाबी नगरी जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी के मंदिर में फूलों वाली होरी की धूम होती है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु नाना प्रकार के फूलों को भगवान गोविंद देव जी पर बरसाते हैं। इस दौरान वे राधा - कृष्ण की रास रचाने की आस्था में भाव विभोर होकर और नाचते हुए भजन गाते हैं फूलों से होरी खेले नंद को लाल। इस दौरान यहां का दृश्य देखते ही बनता है। लगता है जैसे साक्षात श्रीकृष्ण वृंदावन में राधा व गोपियों संग रास रचा रहे हैं।
कमर में बाल्टी बांध करते हैं घूमर राजस्थान के बीकानेर शहर में डोलची (बाल्टी) वाली होली खेलने की परंपरा करीब 5 सदी से चली आ रही है। जिसे यहां के लोग आज भी जीवित रखे हुए हैं। इसे खेल के तौर पर यहां लोग कमर में चमड़े की बनी डोलची बांध कर एक -दूसरे पर पानी फेंकते हैं, और गोल गोल घूमकर घूमर नृत्य करते हैं। इससे पूर्व बड़े बर्तनों में पानी भरा जाता है। गलियों में होने वाली इस परंपरागत होली को देखने के लिए शहर की छतों पर महिलओं की भीड़ लग जाती है। शाम तक चलने वाले इस आयोजन का समापन अंत में गुलाल उड़ा कर किया जाता है।
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