Holi Festival 2023: जयपुर के इस गांव में रंगों ने बदली महिलाओं की तकदीर, गोबर से बनाती हैं गुलाल, जानिए कैसे
Holi Festival 2023: गांव केशवपुरा में गोयम गुलाल बनाने के काम में जुटी इन महिलाओं को आर्थिक संबल मिला है। वे परिवार के लिए कर्जे को चुकाने सहित सदस्यों के इलाज का जिम्मा भी संभाले हैं। इसके लिए पूरे 64 परिवार दिन रात मेहनत कर रहे हैं। हालांकि पहले ये महिलाएं गाय- भैंस चराने सहित खेती का काम करती थीं। मगर अब गोयम गुलाल बना रहीं है तो इनकी तकदीर भी संवरी है।
जयपुर के निकट गांव केशवपुरा में महिलाएं बना रही गोबर से ऑर्गेनिक गुलाल (सांकेतिक तस्वीर)
- गांव केशवपुरा के 64 परिवारों की महिलाएं बना रही गोयम गुलाल
- गोबर से महिलाएं कई अन्य उपयोगी उत्पाद का निर्माण भी कर रही है
- गोबर से महिलाओं की तकदीर संवरी तो परिवारों में खुशियों का संचार हुआ
बाजार भी ग्राहकों से गुलजार होने लगे हैं। दुकनों पर इस बार नई तरह की पिचकारियां व हर्बल और ऑर्गेनिक रंगों की भरमार है। लोगों की होली की खुशियां बरकरार रहे व वे घातक रसायनों से बचें इसके लिए राजधानी जयपुर के निकट एक गांव जुटा हुआ है। यहां पर महिलाएं गोबर से गुलाल व अन्य सामान बना रही हैं। इसके लिए पूरे 64 परिवार दिन रात मेहनत कर रहे हैं। हालांकि पहले ये महिलाएं गाय- भैंस चराने सहित खेती का काम करती थीं। मगर अब गोयम गुलाल बना रहीं है तो इनकी तकदीर भी संवरी है।
ऐसे भरे परिवार में खुशियों के रंगगुलाबी नगरी जयपुर के निकट बसे गांव केशवपुरा में गोयम गुलाल बनाने के काम में जुटी इन महिलाओं को आर्थिक संबल मिला है साथ ही ये महिलाएं परिवार के लिए कर्जे को चुकाने सहित सदस्यों के इलाज का जिम्मा भी संभाले हैं। बता दें कि, जयपुर के गउ सार एनजीओ संचालक संजय छाबड़ा इसके पीछे के असली किरदार हैं। संजय छाबड़ा के मुताबिक, गांव में बनने वाला गोयम गुलाल ऑर्गेनिक होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए शत प्रतिशत सुरक्षित है। गुलाल को सुगंधित बनाने के लिए इसमें फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। गोबर की बदबू हटाने के लिए सबसे पहले इसे कड़ी धूप में सुखाया जाता है। इसके बाद गोबर से गुलाल का निर्माण किया जाता है। यहां पर गुलाल के अलावा गोबर से कई तरह की मूर्तियां, टाइल्स, घड़ी व राखी जैसे उत्पाद भी बनाए जाते हैं।
लाखों की आय का जरिया है गोबरएनजीओ संचालक संजय गोयल के मुताबिक, गाय के गोबर से उत्पाद बनाने के लिए इस गांव को लोगों को जोड़ा। विगत दो तीन सालों में ही ये परिवार 20 लाख रुपए कमा चुके हैं। गोबर से उत्पाद बनाने के लिए पहले महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। संजय गोयल के मुताबिक, गांव में अलग-अलग जगह पर महिलाएं सामुहिक तौर पर अपने घरों में गुलाल बनाने का काम करती है। इस बार अधिकांश जगह होली पर इसी गुलाल का उपयोग किया जाएगा।
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