Rajasthan Navratri 2022: 1971 की जंग में पाक ने जोधपुर पर गिराए दर्जनों बम, मां चामुंडा ने ऐसे की थी लोगों की रक्षा, ये है पूरी कहानी

जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित मंदिर में मां चामुंडा की प्रतिमा 561 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 1517 में मंडोर से लाकर स्थापित की थी। जोधपुर के लोग देवी मां को अपनी रक्षक मानते हैं। 1971 की भारत-पाक की जंग के दौरान दोनों समय पाकिस्तान की ओर से जोधपुर में गिराए गए बमों को मां ने अपने आंचल में समेट लिया था। एक भी बम नहीं फटने दिया।

पाकिस्तान के बमों को मां ने अपने आंचल में समेटा

मुख्य बातें
  • राव जोधा ने मां चामुंडा की प्रतिमा 561 वर्ष पूर्व मंडोर से लाकर की थी स्थापित
  • आजादी से पहले मां के समक्ष महिषासुर के तौर पर भैंसे की बलि देने की प्रथा थी
  • 1971 की जंग के दौरान पाकिस्तान की ओर से जोधपुर में गिराए गए बमों को मां ने अपने आंचल में समेट लिया था

Rajasthan: राजस्थान की सूर्यनगरी कहे जाने वाले रियासत कालीन शहर जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थापित देवी भगवती के स्वरूप में विराजित मां चामुंडा के दर्शनों के लिए शहर के लोगों का हुजूम उमड़ रहा है। बता दें कि, जोधपुर के लोग देवी मां को अपनी रक्षक मानते हैं। मां के चमत्कारों के कई किस्से कहानियां अतीत से जुड़े हैं।

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जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित मंदिर में मां चामुंडा की प्रतिमा 561 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 1517 में मंडोर से लाकर स्थापित की थी। हालांकि पूर्व में देवी चामुंडा परिहार राजपूतों की कुलदेवी मानी जाती थी। बाद में इन्हें राव जोधा ने भी अपनी इष्टदेवी के स्वरूप में स्वीकार किया।

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आजादी के पहले थी बलि देने की प्रथाजनश्रुति के मुताबिक, मां चामुंडा को चील के रूप में जोधपुर के किले पर पंख फैला कर रक्षा करने वाली माना जाता है। हालांकि आजादी से पहले तक मंदिर में मां के समक्ष असुर महिषासुर के तौर पर भैंसे की बलि देने की प्रथा थी। आजादी के बाद इसे बंद कर दिया गया। बताया जाता है कि, मंदिर का विधिवत निर्माण राव जोधा के वंशज महाराजा अजीतसिंह ने करवाया था। कहा जाता है कि, राव जोधा को मां का आशीर्वाद मिला था कि, मेहरानगढ़ दुर्ग की हमेशा चील के रूप में मां रक्षा करेंगी।

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